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कांग्रेस के धरोहर श्रृंखला की 15वीं वीडियो हुई जारी, रामेश्वर उरांव ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की साहस को किया याद

रांची में शनिवार को कांग्रेस के धरोहर श्रृंखला की 15वीं वीडियो को जारी कर दिया गया है. इस दौरान झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के साहस को याद किया.

15th video of heritage series
धरोहर श्रृंखला की 15वी वीडियो जारी
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Published : Oct 3, 2020, 2:18 PM IST

Updated : Oct 16, 2020, 4:19 PM IST

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने शनिवार को कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की 15वीं वीडियो को अपने सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट को शेयर किया. इस दौरान उन्होंने जारी वीडियो को लेकर कहा कि एक सफल बैरिस्टर सरदार वल्लभ भाई पटेल की सरदार बनने की कहानी समर्पण और मजबूत इरादे के धागे से बनी हुई है. सरदार बनना इतना आसान नहीं था. उसके लिए जरूरी था शानदार वकालत को छोड़ने का साहस जो पटेल साहब ने ही दिखाए.

कांग्रेस की तरफ से जारी किया गया वीडियो

गुजरात के सबसे प्रसिद्ध वकील
रामेश्वर उरांव ने कहा कि इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई पूरी करके 1913 में भारत लौटे सरदार वल्लभभाई पटेल गुजरात के सबसे प्रसिद्ध वकील थे. 1917 में प्लेग संकट में पटेल साहब उस प्रवृत्ति को त्यागते हुए अहमदाबाद मुंसिपालिटी बोर्ड के सदस्य के साथी स्वच्छता समिति के चेयरमैन का दायित्व चुने गए. उस महामारी के दौरान पटेल साहब खुद जनता की सहायता के लिए अहमदाबाद की सड़कों पर उतर गए. नालियों की सफाई और दवा के छिड़काव पर बारीकी से नजर रखने लगे. हालांकि इससे पहले पटेल प्लेग के शिकार भी हो चुके थे. लेकिन अपने पद की जिम्मेदारी के भाव ने उनको जनता के दुख दर्द में शामिल कर दिया. उस समय की बारी में हरिजन पत्रिका के 10 फरवरी 1951 के अंक में पालन करते हैं. पटेल की आंखें कहती हैं मैंने स्वच्छता समिति के चेयरमैन का दायित्व दिया है. अगर मैं अपने पद का दायित्व छोड़ता हूँ तो यह लोगों के साथ विश्वासघात होगा.

शहर को छोड़ने से किया था इंकार
कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में पटेल को याद करना अहम है. उन्होंने प्लेग फैलने पर किस तरह के कदम उठाए थे और किस तरह अदम्य साहस का परिचय दिया. दिसंबर 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैल गया. स्कूल कचहरी बंद हो गए और ढेर सारे लोग शहर छोड़कर चले गए. पटेल उस समय गांधी के प्रभाव में आ चुके थे. उन्होंने व्यक्तिगत सुरक्षा की अनदेखी करते हुए शहर छोड़ने से इंकार कर दिया और अहमदाबाद की गलियों में सीवर की सफाई कराते और प्लेटग प्रभावित इलाकों में दवाओं का छिड़काव कराते थे. जो राजनीति और सेवाभाव की एक अद्भुत मिसाल थी.

इसे भी पढे़ं-9 अक्टूबर तक कांग्रेस बेरमो उम्मीदवार के नाम की कर सकती है घोषणा, बड़ी मार्जिन से जीत की है तैयारी

वीडियो के माध्यम से देश की जनता को दिखाना है
वहीं झारखंड सरकार के मंत्री बादल और बन्ना गुप्ता ने धरोहर वीडियो को लेकर कहा कि अहमदाबाद प्लेग के दौरान पटेल की सेहत पर भी बुरा असर पड़ा. लेकिन यह पहला मौका था जब उनकी नेतृत्व क्षमता से लोग प्रभावित हुए. जब सूट बूट और फराटे दार अंग्रेजी बोलने वाले पटेल ने गांधी के आकर्षण में राजनीति में न आने की अपनी कसम तोड़ते हुए गुजरात सभा के सेक्रेटरी के रूप में राजनीति में कदम रखा. कांग्रेस पार्टी अपने बुजुर्गों और देश के लिए किए गए कार्यों को कभी जीते जी भूल नहीं सकती. आजादी पाने के लिए हमारे महान विभूतियों ने जो कुर्बानियां और बलिदान दी हैं. इस धरोहर वीडियो के माध्यम से देश की जनता देख रही है.


समाजसेवी और नेताओं को सीखने की जरूरत
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने कहा है कि पटेल जनता के साथ देश की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी. इससे वर्तमान भारत के समाजसेवी और नेताओं को सीखने की जरूरत है. पटेल के व्यवहार को मूर्त रूप देकर न सिर्फ प्लेग और कोविड जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लड़ा और जीता जा सकता है. बल्कि देश को भी प्रगति के पथ पर लाया जा सकता है.

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने शनिवार को कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की 15वीं वीडियो को अपने सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट को शेयर किया. इस दौरान उन्होंने जारी वीडियो को लेकर कहा कि एक सफल बैरिस्टर सरदार वल्लभ भाई पटेल की सरदार बनने की कहानी समर्पण और मजबूत इरादे के धागे से बनी हुई है. सरदार बनना इतना आसान नहीं था. उसके लिए जरूरी था शानदार वकालत को छोड़ने का साहस जो पटेल साहब ने ही दिखाए.

कांग्रेस की तरफ से जारी किया गया वीडियो

गुजरात के सबसे प्रसिद्ध वकील
रामेश्वर उरांव ने कहा कि इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई पूरी करके 1913 में भारत लौटे सरदार वल्लभभाई पटेल गुजरात के सबसे प्रसिद्ध वकील थे. 1917 में प्लेग संकट में पटेल साहब उस प्रवृत्ति को त्यागते हुए अहमदाबाद मुंसिपालिटी बोर्ड के सदस्य के साथी स्वच्छता समिति के चेयरमैन का दायित्व चुने गए. उस महामारी के दौरान पटेल साहब खुद जनता की सहायता के लिए अहमदाबाद की सड़कों पर उतर गए. नालियों की सफाई और दवा के छिड़काव पर बारीकी से नजर रखने लगे. हालांकि इससे पहले पटेल प्लेग के शिकार भी हो चुके थे. लेकिन अपने पद की जिम्मेदारी के भाव ने उनको जनता के दुख दर्द में शामिल कर दिया. उस समय की बारी में हरिजन पत्रिका के 10 फरवरी 1951 के अंक में पालन करते हैं. पटेल की आंखें कहती हैं मैंने स्वच्छता समिति के चेयरमैन का दायित्व दिया है. अगर मैं अपने पद का दायित्व छोड़ता हूँ तो यह लोगों के साथ विश्वासघात होगा.

शहर को छोड़ने से किया था इंकार
कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में पटेल को याद करना अहम है. उन्होंने प्लेग फैलने पर किस तरह के कदम उठाए थे और किस तरह अदम्य साहस का परिचय दिया. दिसंबर 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैल गया. स्कूल कचहरी बंद हो गए और ढेर सारे लोग शहर छोड़कर चले गए. पटेल उस समय गांधी के प्रभाव में आ चुके थे. उन्होंने व्यक्तिगत सुरक्षा की अनदेखी करते हुए शहर छोड़ने से इंकार कर दिया और अहमदाबाद की गलियों में सीवर की सफाई कराते और प्लेटग प्रभावित इलाकों में दवाओं का छिड़काव कराते थे. जो राजनीति और सेवाभाव की एक अद्भुत मिसाल थी.

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वीडियो के माध्यम से देश की जनता को दिखाना है
वहीं झारखंड सरकार के मंत्री बादल और बन्ना गुप्ता ने धरोहर वीडियो को लेकर कहा कि अहमदाबाद प्लेग के दौरान पटेल की सेहत पर भी बुरा असर पड़ा. लेकिन यह पहला मौका था जब उनकी नेतृत्व क्षमता से लोग प्रभावित हुए. जब सूट बूट और फराटे दार अंग्रेजी बोलने वाले पटेल ने गांधी के आकर्षण में राजनीति में न आने की अपनी कसम तोड़ते हुए गुजरात सभा के सेक्रेटरी के रूप में राजनीति में कदम रखा. कांग्रेस पार्टी अपने बुजुर्गों और देश के लिए किए गए कार्यों को कभी जीते जी भूल नहीं सकती. आजादी पाने के लिए हमारे महान विभूतियों ने जो कुर्बानियां और बलिदान दी हैं. इस धरोहर वीडियो के माध्यम से देश की जनता देख रही है.


समाजसेवी और नेताओं को सीखने की जरूरत
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने कहा है कि पटेल जनता के साथ देश की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी. इससे वर्तमान भारत के समाजसेवी और नेताओं को सीखने की जरूरत है. पटेल के व्यवहार को मूर्त रूप देकर न सिर्फ प्लेग और कोविड जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लड़ा और जीता जा सकता है. बल्कि देश को भी प्रगति के पथ पर लाया जा सकता है.

Last Updated : Oct 16, 2020, 4:19 PM IST
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