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ट्रकों में बिहार और उत्तरप्रदेश जा रहे मजदूरों को रामगढ़ जिला प्रशासन ने रोका, चालकों पर केस दर्ज

लॉकडाउन के दौरान दो ट्रकों और एक कंटेनर में सवार होकर बिहार और उत्तर प्रदेश जा रहे करीब 100 लोगों को रामगढ़ जिला प्रशासन के द्वारा रोक दिया गया. ट्रकों में बच्चे, महिलाएं और पुरुष भी शामिल हैं.

Ramgarh district administration stopped people going to Bihar and Uttar Pradesh in trucks
ट्रकों में बिहार और उत्तरप्रदेश जा रहे लोगों को रामगढ़ जिला प्रशासन ने रोका
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Published : Apr 1, 2020, 4:50 PM IST

रामगढ़: लॉकडाउन के दौरान दो ट्रकों और एक कंटेनर में सवार होकर बिहार और उत्तर प्रदेश जा रहे करीब 100 लोगों को रामगढ़ जिला प्रशासन के द्वारा रोक दिया गया. दोनों ट्रकों और कंटेनर को जब्त कर चालक और खलासी पर रामगढ़ थाना में मामला दर्ज कर कर दिया गया है. ट्रकों और कंटेनर में सवार करीब 100 महिला पुरुष बच्चों को पटेल चौक के समीप पटेल छात्रावास में बनाए गए शेल्टर होम में रखा गया है.

देखें पूरी खबर

जिले के पटेल छात्रावास के शेल्टर होम में ठहराए गए उत्तर प्रदेश बिहार के लोगों का कहना है कि वह लोग कोरोना से तो बाद में मरेंगे उससे पहले भूख और यहां की अव्यवस्था से मर जाएंगे. जिसे कोरोना नहीं है यहां आने के बाद उसे भी कोरोना के संक्रमण से कोई नहीं बचा सकता. उन लोगों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि करीब 100 से ज्यादा लोगों को इस शेल्टर होम में भेड़ और बकरी की तरह भर दिया गया है.

ये भी पढ़ें: कोविड-19: 9 विदेशियों सहित 24 लोग गिरफ्तार, धर्म प्रचार के लिए पहुंचे थे कोडरमा

यहां ना खाने की व्यवस्था है और ना ही इलाज की व्यवस्था है. ना जांच की व्यवस्था है और ना ही सेनिटाइजर की व्यवस्था है. सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक यहां की व्यवस्था करने वाले खुद उड़ा रहे हैं. यहां इतनी जगह ही नहीं है कि यहां रहने वाले लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें. उन्होंने कहा कि खाने के नाम पर कभी थोड़ा सा चावल तो कभी थोड़ा सी खिचड़ी और कभी 100-200 ग्राम चूड़ा दे दिया जाता है. इससे पेट भरना काफी मुश्किल हो रहा है. साथ ही साथ यहां लाए लोगों की कोई मेडिकल जांच नहीं करवाई गई.

सभी को भेड़ और बकरी की तरह एक छत के नीचे रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है. मेडिकल जांच के नाम पर एक टीम के द्वारा केवल कागज पर नाम लिखकर खानापूर्ति कर दी गई है.लोगों ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि सभी की जांच करवाई जाए और जो लोग बीमार हैं उनका इलाज करवाया जाए और उन लोगों की अलग रहने की व्यवस्था की जाए, ताकि दूसरों को उनकी बीमारी ना लगे.

ये भी पढ़ें: झारखंड में लॉकडाउन के दौरान हैं परेशान तो ईटीवी भारत बनेगा आपकी आवाज

पटेल छात्रावास में बनाए गए शेल्टर होम में रहने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का कहना है कि वह लोग भुवनेश्वर में मजदूरी का काम करते थे. लॉकडाउन के बाद उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. इस कारण वह लोग मिलकर पैदल ही भुनेश्वर से उत्तर प्रदेश के लिए निकल पड़े. टाटानगर के समीप उधर से आ रहे ट्रक और कंटेनर के चालक से मदद मांगी और अपनी आपबीती सुनाई तो ट्रक और कंटेनर के चालक ने उन लोगों को लिफ्ट दे दी, लेकिन रामगढ़ जिला प्रशासन के द्वारा और कंटेनर को जब्त कर ट्रक और कंटेनर में सवार सभी लोगों को शेल्टर होम पहुंचा दिया.

रामगढ़: लॉकडाउन के दौरान दो ट्रकों और एक कंटेनर में सवार होकर बिहार और उत्तर प्रदेश जा रहे करीब 100 लोगों को रामगढ़ जिला प्रशासन के द्वारा रोक दिया गया. दोनों ट्रकों और कंटेनर को जब्त कर चालक और खलासी पर रामगढ़ थाना में मामला दर्ज कर कर दिया गया है. ट्रकों और कंटेनर में सवार करीब 100 महिला पुरुष बच्चों को पटेल चौक के समीप पटेल छात्रावास में बनाए गए शेल्टर होम में रखा गया है.

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जिले के पटेल छात्रावास के शेल्टर होम में ठहराए गए उत्तर प्रदेश बिहार के लोगों का कहना है कि वह लोग कोरोना से तो बाद में मरेंगे उससे पहले भूख और यहां की अव्यवस्था से मर जाएंगे. जिसे कोरोना नहीं है यहां आने के बाद उसे भी कोरोना के संक्रमण से कोई नहीं बचा सकता. उन लोगों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि करीब 100 से ज्यादा लोगों को इस शेल्टर होम में भेड़ और बकरी की तरह भर दिया गया है.

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यहां ना खाने की व्यवस्था है और ना ही इलाज की व्यवस्था है. ना जांच की व्यवस्था है और ना ही सेनिटाइजर की व्यवस्था है. सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक यहां की व्यवस्था करने वाले खुद उड़ा रहे हैं. यहां इतनी जगह ही नहीं है कि यहां रहने वाले लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकें. उन्होंने कहा कि खाने के नाम पर कभी थोड़ा सा चावल तो कभी थोड़ा सी खिचड़ी और कभी 100-200 ग्राम चूड़ा दे दिया जाता है. इससे पेट भरना काफी मुश्किल हो रहा है. साथ ही साथ यहां लाए लोगों की कोई मेडिकल जांच नहीं करवाई गई.

सभी को भेड़ और बकरी की तरह एक छत के नीचे रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है. मेडिकल जांच के नाम पर एक टीम के द्वारा केवल कागज पर नाम लिखकर खानापूर्ति कर दी गई है.लोगों ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि सभी की जांच करवाई जाए और जो लोग बीमार हैं उनका इलाज करवाया जाए और उन लोगों की अलग रहने की व्यवस्था की जाए, ताकि दूसरों को उनकी बीमारी ना लगे.

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पटेल छात्रावास में बनाए गए शेल्टर होम में रहने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का कहना है कि वह लोग भुवनेश्वर में मजदूरी का काम करते थे. लॉकडाउन के बाद उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. इस कारण वह लोग मिलकर पैदल ही भुनेश्वर से उत्तर प्रदेश के लिए निकल पड़े. टाटानगर के समीप उधर से आ रहे ट्रक और कंटेनर के चालक से मदद मांगी और अपनी आपबीती सुनाई तो ट्रक और कंटेनर के चालक ने उन लोगों को लिफ्ट दे दी, लेकिन रामगढ़ जिला प्रशासन के द्वारा और कंटेनर को जब्त कर ट्रक और कंटेनर में सवार सभी लोगों को शेल्टर होम पहुंचा दिया.

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