रामगढ़: देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर में मूर्ति खंडित करने और अवशेष की चोरी की घटना घटे दस साल पूरे हो गए. इसके बाद भी आज तक इस मामले का खुलासा नहीं हो सका है. इस पर रजरप्पा मंदिर के पुजारियों ने काफी रोष व्यक्त किया है. इसी के विरोध में गुरुवार को रजरप्पा मंदिर के पुजारियों ने काला दिवस के रूप में मनाया. इस मौके पर भगवती की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इसके बाद मंदिर के सभी पुजारियों ने पूरे दिन उपवास रखा.
क्या था पूरा मामला
बता दें कि दो जुलाई 2010 को अज्ञात चोरों ने रजरप्पा मां छिन्मस्तिका मंदिर में प्रवेश कर चोरी की घटना को अंजाम दिया था. चोर ने देवी की प्रतिमा को खंडित कर वहां से सोने के आभूषण, चांदी के मुकुट और कवच समेत कई सामान गायब कर दिया था. मंदिर का देख-रेख करने वाला बहादूर ने इसकी जानकारी मंदिर के पंडों को दी. पंडों ने इसकी सूचना जिला प्रशासन और मिडिया को दी, जिसके बाद देशभर में इस घटना की चर्चा होने लगी. वहीं, आज 10 साल बीत जाने के बाद भी पुलिस मामले का खुलासा करने में नाकामयाब है. विरोध स्वरूप मंदिर के समाज के लोग इस दिन यानी 2 जुलाई को काला दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं.
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चोरी की घटना के बाद भव्य धार्मिक अनुष्ठान पर दोबारा मां की प्रतिमा विराजमान कर दी गई है. 17 जुलाई 2010 से मंदिर का कपाट आम भक्तों के लिए खोल दिया गया. वैसे तो मां के दरबार में हर दिन भक्तों का तांता लगता था, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार एक गाइडलाइन के अनुसार 20 मार्च से ही आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन बंद है. मूर्ति चोरी कांड का खुलासा नहीं हो पाना प्रशासन की कमजोरी है, लेकिन मां की महिमा आज भी बरकरार है.