पलामू: झारखंड के पलामू के इलाके में आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक हैं. इलाके में प्रतिवर्ष 60 से 70 लोग प्रतिवर्ष आत्महत्या करते हैं. नक्सल विरोधी अभियान में तैनात जवानों में भी आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. आत्महत्या की इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कई स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है. पलामू पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से मंगलवार को आत्महत्या की रोकथाम के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया.
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कार्यशाला में पुलिस के अधिकारी और जवानों ने भाग लिया. इस कार्यशाला में पलामू मानसिक अस्पताल के डॉक्टर आशीष कुमार ने आत्महत्या के प्रवृत्ति को रोकने के लिए पुलिस अधिकारी और जवानों को कई टिप्स दिए है. डॉ आशीष का कहना है कि आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक हैं. नकारात्मक विचार आने के बाद 25 प्रतिशत लोग ही इलाज के लिए पहुंचते हैं, 75 प्रतिशत लोग अभी भी इलाज से दूर हैं. डॉ आशीष ने जवानों और पुलिस अधिकारियों से कहा कि योग एवं अन्य माध्यमों से खुद को मानसिक तौर पर स्वस्थ रखा जा सकता है. नकारात्मक विचार आने के बाद साथी जवान एवं अन्य लोगों से बातचीत कर सकते हैं.
कार्यशाला का उद्घाटन पलामू एसपी रीष्मा रमेशन, सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार सिंह, एसडीपीओ सुरजीत कुमार ने किया. मौके पर पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने कहा कि पुलिस कर्मियों को एक साथ कई टास्क पूरा करना होता है जबकि कई मोर्चों पर इनकी तैनाती होती है. पुलिस की नौकरी करना आसान नहीं है. ड्यूटी के दौरान मानसिक रूप से खुद को मजबूत रखना भी बड़ी बात है. मानसिक तनाव को दूर करने के लिए पहल की जा रही है.