पलामू: झारखंड-बिहार के 1.79 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का संकट उत्पन्न हो गया है, जिसमें करीब 54 हजार हेक्टेयर झारखंड की जमीन है, जबकि 1.25 लाख हेक्टेयर बिहार की है.
नहर से नहीं हुई पानी की सप्लाई शुरू
पलामू के उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना के मोहम्मदगंज भीम बराज से पलामू के मोहम्मदगंज, हैदरनगर, हुसैनाबाद और बिहार के औरंगाबाद के नबीनगर, अंबा कटुंबा, औरंगाबाद, रफीगंज, देव और गया के टेकारी तक सिंचाई के लिए पानी जाता है. मोहम्मदगंज से निकल कर गया जाने वाली नहर के चार जगहों पर पूल निर्माण के लिए नहर में ही डायवर्जन बना दिया गया है. नतीजा यह है कि अभी तक नहर से पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई है.
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बिहार के किसानों ने कहा- करेंगे आंदोलन, खनिज ढुलाई करेंगे ठप
मोहम्मदगंज भीम बराज का जायजा लेने पलामू पहुंचे बिहार के किसानों ने कहा कि नहर के पानी को लेकर राजनीति हो रही है. इस नहर से बिहार को 90 और झारखंड को 10 प्रतिशत पानी ही मिलना था, लेकिन झारखंड को अधिक पानी मिल रहा है. किसानों ने कहा कि नहर को लेकर हो रही राजनीति के कारण बिहार के किसान परेशान हैं. किसानों ने कहा कि पानी की सप्लाई शुरू नहीं होती है तो वे झारखंड के खनिज को जीटी रोड पर नहीं आने देंगे और इसे लेकर बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा.
झारखंड के किसानों को नहर के पानी की आस
झारखंड के किसानों ने नहर के पानी की आस में बिचड़ा गिराया है. उनका कहना है कि इस बार बारिश से उन्हें उम्मीद है, लेकिन सिंचाई के लिए वे नहर पर निर्भर है. नहर के पानी की आस में उन्होंने बिचड़ा गिराया है. नहर से पानी नहीं मिला तो बिचड़ा सुख जाएगा. मामले में जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौन है. उतर कोयल नहर परियोजना में झारखंड और बिहार दोनों की हिस्सेदारी है. अधिकारी मीडिया और किसान से कोई बात नहीं कर रहे हैं कि कब तक नहर से किसानों को पानी मिल पाएगा. उतर कोयल नहर परियोजना मंडल डैम से जुड़ी है. मंडल डैम से बिहार के किसानों को काफी उम्मीदें है, लेकिन परियोजना पर काम शुरू नहीं होने से वो निराश है.