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पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के संकेत मिले, जांच के लिए स्कैट भेजा गया वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून - Wildlife Institute Dehradun

प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के होने के संकेत मिले हैं. पीटीआर के बारेसाढ़ और बेतला इलाके में बाघों के संभावित स्कैट से वन विभाग उत्साहित है.

tiger in palamu tiger reserve
पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के संकेत मिले
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Published : Sep 16, 2021, 2:25 PM IST

पलामूः प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के होने के संकेत मिले हैं, हालांकि इस पर वैज्ञानिक मुहर लगना बाकी है. इसके लिए पिछले एक महीने के अंदर पलामू के टाइगर रिजर्व के बारेसाढ़ और बेतला के इलाके से पीटीआर से मिले बाघों के संभावित स्कैट (मल) को जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून भेजा गया है.

ये भी पढ़ें- पलामू टाइगर रिजर्व में दिखे दुर्लभ प्रजाति के 100 भेड़िए, कैमरे में कैद हुआ बच्चों के साथ खेलने का VIDEO

बारेसाढ़ में बाघों का संभावित स्कैट 11- 12 अगस्त को मिला था, जबकि बेतला के इलाके में तीन दिन पहले स्कैट मिला. इससे पहले लातेहार-लोहरदगा सीमा पर डेढ़ महीने पहले बाघ की ओर से शिकार किए जाने के सबूत मिले थे. हालांकि उस दौरान ट्रैपिंग कैमरे में उसकी कोई पिक्चर नहीं मिली थी. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि स्कैट जांच के लिए डब्ल्यूएलआई देहरादून भेजा गया है, जल्द ही जांच रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है.



बाघों की गणना की प्रक्रिया शुरू

इन दिनों पूरे देश मे बाघों की गणना की प्रक्रिया शुरू है. इधर पलामू टाइगर रिजर्व में अक्टूबर के पहले सप्ताह से ट्रैपिंग कैमरा लगाने का काम भी शुरू होने वाला है. बता दें कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) प्रत्येक चार वर्ष में बाघों को गणना करता है. 2018 में हुई गणना में पलामू टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं पाया गया था.

फरवरी 2020 में पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में एक बाघिन मृत मिली थी. इसके बाद अब स्कैट मिलने से पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के होने की उम्मीद जगी है. बता दें कि देश मे पहली बार 1932 में बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी. टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में है. 1974 में पूरे देश मे बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी.

2009 में आठ बाघ बचे थे

पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है, जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ बताए गए थे. 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घट कर 38 हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो बताया गया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ है. 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि सिर्फ आठ बाघ बचे हुए थे.

पलामूः प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के होने के संकेत मिले हैं, हालांकि इस पर वैज्ञानिक मुहर लगना बाकी है. इसके लिए पिछले एक महीने के अंदर पलामू के टाइगर रिजर्व के बारेसाढ़ और बेतला के इलाके से पीटीआर से मिले बाघों के संभावित स्कैट (मल) को जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून भेजा गया है.

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बारेसाढ़ में बाघों का संभावित स्कैट 11- 12 अगस्त को मिला था, जबकि बेतला के इलाके में तीन दिन पहले स्कैट मिला. इससे पहले लातेहार-लोहरदगा सीमा पर डेढ़ महीने पहले बाघ की ओर से शिकार किए जाने के सबूत मिले थे. हालांकि उस दौरान ट्रैपिंग कैमरे में उसकी कोई पिक्चर नहीं मिली थी. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि स्कैट जांच के लिए डब्ल्यूएलआई देहरादून भेजा गया है, जल्द ही जांच रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है.



बाघों की गणना की प्रक्रिया शुरू

इन दिनों पूरे देश मे बाघों की गणना की प्रक्रिया शुरू है. इधर पलामू टाइगर रिजर्व में अक्टूबर के पहले सप्ताह से ट्रैपिंग कैमरा लगाने का काम भी शुरू होने वाला है. बता दें कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) प्रत्येक चार वर्ष में बाघों को गणना करता है. 2018 में हुई गणना में पलामू टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं पाया गया था.

फरवरी 2020 में पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में एक बाघिन मृत मिली थी. इसके बाद अब स्कैट मिलने से पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के होने की उम्मीद जगी है. बता दें कि देश मे पहली बार 1932 में बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी. टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में है. 1974 में पूरे देश मे बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी.

2009 में आठ बाघ बचे थे

पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है, जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ बताए गए थे. 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घट कर 38 हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो बताया गया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ है. 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि सिर्फ आठ बाघ बचे हुए थे.

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