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ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क और गरीबी बनी बाधक, 26 फीसदी बच्चों को ही मिली ऑनलाइन शिक्षा

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Published : Jan 26, 2021, 6:07 PM IST

Updated : Feb 2, 2021, 8:14 PM IST

कोरोना के कारण शिक्षा पर कोई असर न पड़े इसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई, लेकिन पलामू के ग्रामीण इलाकों के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. नेटवर्क की कमी और गरीबी के कारण जिले के सरकारी स्कूलों के सिर्फ 26 प्रतिशत छात्रों को ही ऑनलाइन पढ़ाई नसीब हो पाई है.

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पढ़ाई में नेटवर्क और गरीबी बनी बाधक

पलामूः कोरोना का एक ऐसा दौर आया जो समाज के हर तबके और हर व्यक्ति को सीधे तौर पर प्रभावित किया. देश के भविष्य को इस काल ने इस कदर प्रभावित किया कि वे शिक्षा से महरूम हो गए. देश के भविष्य मोबाइल नेटवर्क और गरीबी के कारण पढ़ाई नहीं कर पाए. कोरोना के कारण अभी भी स्कूल बंद है. स्कूल बंद होने के बाद ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई. स्कूलों के बंद होने से सीधे गरीब और ग्रामीण इलाके के छात्र प्रभावित हुए हैं. पलामू जैसे जिले में कोरोना काल में पढ़ाई के आंकड़े काफी भयावह स्थिति में हैं. पलामू के सरकारी स्कूलों के मात्र 26 प्रतिशत छात्रों को ही ऑनलाइन पढ़ाई नसीब हो पाई है.

देखें स्पेशल स्टोरी

नेटवर्क और गरीबी बनी बड़ी बाधा
पलामू के अतिनक्सल प्रभावित इलाका मनातू के कुंडीलपुर में पांचवीं क्लास के छात्र राजू और सुरेश बताते हैं कि उनके गांव में मोबाइल का नेटवर्क ही नहीं है. उनके माता पिता जंगल से लकड़ी चुनते हैं और बाजार में बेचते हैं, जिससे परिवार का पेट पलता है. मोबाइल खरीदना उनके माता पिता के लिए संभव नहीं है. गांव के स्कूल में बहुत कम शिक्षक आते हैं. पुरानी पढ़ाई व्यवस्था को ही वह याद कर रहे हैं. उनकी भी इच्छा है कि वे पढ़ाई करें, लेकिन वे मजबूर है. इसी तरह नौडीहा बाजार के रायबार गांव की सोनू की भी हालत है. वह बताता है कि उसके गांव में शिक्षक जाते ही नहीं हैं. राजू, सुरेश और सोनू की तरह ही जिले में हजारों छात्र है जिनकी पढ़ाई नहीं हो पाई. पलामू के 20 प्रतिशत इलाके में अभी भी मोबाइल नेटवर्क बड़ी समस्या है. ऑनलाइन पढ़ाई में नेटवर्क बड़ी बाधा बनी है.

इसे भी पढ़ें- पद्म पुरस्कारों का एलान, शिंजो आबे समेत सात को पद्म विभूषण

प्राइवेट स्कूल के बच्चों को हुई समस्या

पलामू में 400 से अधिक प्राइवेट स्कूल संचालित है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो पूरे जिले में प्राइवेट स्कूल के छात्रों को पढ़ाई में मोबाइल नेटवर्क बड़ी बाधा बनी. पलामू जिला प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश देव ने ईटीवी भारत को बताया कि कोविड-19 में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई थी. इस व्यवस्था का शहरी क्षेत्र के बच्चों ने अधिक फायदा उठाया है. जबकि ग्रामीण इलाके के बच्चे नेटवर्क के कारण समस्याओं का सामना किए है. ग्रामीण इलाके के बच्चों के लिए बिजली और मोबाइल नेटवर्क बड़ी बाधा बनी.

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नेटवर्क और गरीबी बनी बाधक
सरकारी स्कूल के मात्र 26 प्रतिशत बच्चों की हुई ऑनलाइन पढ़ाई

पलामू जिला शिक्षा पदाधिकारी उपेंद्र नारायण साफ तौर पर कहते हैं कि गरीबी के कारण कई बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि शिक्षा विभाग उन बच्चों की पढ़ाई के लिए पहल कर रही है. कई शिक्षकों को बच्चों के घर जाकर पढ़ाने का निर्देश दिया गया है. पलामू के 98 प्रतिशत स्कूलों का ऑनलाइन पढ़ाई के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है. जिले के 80 से 85 प्रतिशत शिक्षक ऑनलाइन जुड़े हुए हैं. पलामू में 2568 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 8332 शिक्षक तैनात हैं. जिले में सरकारी स्कूलों में चार लाख के करीब बच्चे नामांकित हैं, जिनमें से मात्र 26 प्रतिशत की ऑनलाइन पढ़ाई हो पा रही है. पलामू के तरहसी से प्रखंड में सबसे अधिक 31 बच्चों की पढ़ाई हो रही है. मोबाइल नेटवर्क से जुड़ने वाले मनातू में 18, नावा बाजार में 18, पिपरा में 19, नौडीहा बाजार माब मात्र 14 प्रतिशत बच्चों की पढ़ाई हो रही है.

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नेटवर्क और गरीबी बनी बाधक
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गरीबी बनी बाधक

पलामूः कोरोना का एक ऐसा दौर आया जो समाज के हर तबके और हर व्यक्ति को सीधे तौर पर प्रभावित किया. देश के भविष्य को इस काल ने इस कदर प्रभावित किया कि वे शिक्षा से महरूम हो गए. देश के भविष्य मोबाइल नेटवर्क और गरीबी के कारण पढ़ाई नहीं कर पाए. कोरोना के कारण अभी भी स्कूल बंद है. स्कूल बंद होने के बाद ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई. स्कूलों के बंद होने से सीधे गरीब और ग्रामीण इलाके के छात्र प्रभावित हुए हैं. पलामू जैसे जिले में कोरोना काल में पढ़ाई के आंकड़े काफी भयावह स्थिति में हैं. पलामू के सरकारी स्कूलों के मात्र 26 प्रतिशत छात्रों को ही ऑनलाइन पढ़ाई नसीब हो पाई है.

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नेटवर्क और गरीबी बनी बड़ी बाधा
पलामू के अतिनक्सल प्रभावित इलाका मनातू के कुंडीलपुर में पांचवीं क्लास के छात्र राजू और सुरेश बताते हैं कि उनके गांव में मोबाइल का नेटवर्क ही नहीं है. उनके माता पिता जंगल से लकड़ी चुनते हैं और बाजार में बेचते हैं, जिससे परिवार का पेट पलता है. मोबाइल खरीदना उनके माता पिता के लिए संभव नहीं है. गांव के स्कूल में बहुत कम शिक्षक आते हैं. पुरानी पढ़ाई व्यवस्था को ही वह याद कर रहे हैं. उनकी भी इच्छा है कि वे पढ़ाई करें, लेकिन वे मजबूर है. इसी तरह नौडीहा बाजार के रायबार गांव की सोनू की भी हालत है. वह बताता है कि उसके गांव में शिक्षक जाते ही नहीं हैं. राजू, सुरेश और सोनू की तरह ही जिले में हजारों छात्र है जिनकी पढ़ाई नहीं हो पाई. पलामू के 20 प्रतिशत इलाके में अभी भी मोबाइल नेटवर्क बड़ी समस्या है. ऑनलाइन पढ़ाई में नेटवर्क बड़ी बाधा बनी है.

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प्राइवेट स्कूल के बच्चों को हुई समस्या

पलामू में 400 से अधिक प्राइवेट स्कूल संचालित है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो पूरे जिले में प्राइवेट स्कूल के छात्रों को पढ़ाई में मोबाइल नेटवर्क बड़ी बाधा बनी. पलामू जिला प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश देव ने ईटीवी भारत को बताया कि कोविड-19 में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई थी. इस व्यवस्था का शहरी क्षेत्र के बच्चों ने अधिक फायदा उठाया है. जबकि ग्रामीण इलाके के बच्चे नेटवर्क के कारण समस्याओं का सामना किए है. ग्रामीण इलाके के बच्चों के लिए बिजली और मोबाइल नेटवर्क बड़ी बाधा बनी.

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नेटवर्क और गरीबी बनी बाधक
सरकारी स्कूल के मात्र 26 प्रतिशत बच्चों की हुई ऑनलाइन पढ़ाई

पलामू जिला शिक्षा पदाधिकारी उपेंद्र नारायण साफ तौर पर कहते हैं कि गरीबी के कारण कई बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि शिक्षा विभाग उन बच्चों की पढ़ाई के लिए पहल कर रही है. कई शिक्षकों को बच्चों के घर जाकर पढ़ाने का निर्देश दिया गया है. पलामू के 98 प्रतिशत स्कूलों का ऑनलाइन पढ़ाई के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है. जिले के 80 से 85 प्रतिशत शिक्षक ऑनलाइन जुड़े हुए हैं. पलामू में 2568 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 8332 शिक्षक तैनात हैं. जिले में सरकारी स्कूलों में चार लाख के करीब बच्चे नामांकित हैं, जिनमें से मात्र 26 प्रतिशत की ऑनलाइन पढ़ाई हो पा रही है. पलामू के तरहसी से प्रखंड में सबसे अधिक 31 बच्चों की पढ़ाई हो रही है. मोबाइल नेटवर्क से जुड़ने वाले मनातू में 18, नावा बाजार में 18, पिपरा में 19, नौडीहा बाजार माब मात्र 14 प्रतिशत बच्चों की पढ़ाई हो रही है.

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नेटवर्क और गरीबी बनी बाधक
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गरीबी बनी बाधक
Last Updated : Feb 2, 2021, 8:14 PM IST
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