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बूढ़ा पहाड़ जल्द होगा नक्सल मुक्त, माओवादियों के इलाके में पुलिस कैंप स्थापित करने की पहल

पलामू, गढ़वा और लातेहार जिला के दुर्गम इलाके में बूढ़ा पहाड़ की सीमा छत्तीसगढ़ राज्य से लगी है. दुर्दांत नक्सलियों के गढ़ बूढ़ा पहाड़ में पुलिस कैंप उन इलाकों में लगाया जाएगा जहां पर माओवादी अपना कैंप चलाते थे. सुरक्षाबलों का कैंप लगाने की पहल के बाद जल्द ही बूढ़ा पहाड़ नक्सल मुक्त होगा.

Police will set up camp in Buddha Pahad stronghold of Naxalites
बूढ़ा पहाड़
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Published : Aug 30, 2022, 9:44 AM IST

पलामूः माओवादियों के यूनीफाइड कमांड बूढ़ा पहाड़ (Maoists Unified Command Budha Pahar) के जिस इलाके नक्सलियों का कैंप चलता था. अब वहां सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया जाएगा. बूढ़ा पहाड़ माओवादियों का अभेद किला रहा (Budha Pahad stronghold of Naxalites) है. हाल ही में सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ को घेर कर अभियान शुरू किया था. लेकिन बारिश के कारण अभियान को बंद करना पड़ा. सुरक्षाबलों के बूढ़ा पहाड़ के सबसे टॉप पर मौजूद झींकपानी, पीपरढाब और पुंदाग के इलाके में पुलिस का कैंप बनाया जाएगा. झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य मिलकर कैंप (Police will set up camp in Budha Pahad) स्थापित करेंगे.

इसे भी पढ़ें- बरसात में बूढ़ा पहाड़ पर फोर्स का रोंगटे खड़ा करने वाला ऑपरेशन, इलाके को लाल आतंक से आजाद कराने की कोशिश

फिलहाल बूढ़ा पहाड़ (Buddha Pahad Jharkhand) के इलाके में एक दर्जन के करीब सुरक्षाबलों का कैंप मौजूद है. सुरक्षा एजेंसियां को सूचना मिली थी कि बूढ़ा पहाड़ के झींकपानी के इलाके में माओवादी बड़ी बैठक कर अपना ट्रेनिंग कैंप चला रहे है. इसी सूचना के आलोक में झारखंड और छत्तीसगढ़ ने नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान (joint operation against naxalites) शुरू किया था. इस अभियान में 40 से कंपनी से अधिक सुरक्षाबलों को तैनात किया गया था. पलामू रेंज के डीआईजी राज कुमार लकड़ा ने बताया कि मुख्यालय के तरफ से फोर्स मिला और अभियान शुरू किया गया था. लेकिन बारिश के कारण बंद किया गया.

देखें पूरी खबर
झींकपानी में कैंप (Police Camp in Jhinkpani) स्थापित करना बड़ा चुनौतीः बूढ़ा पहाड़ के इलाके में माओवादी कमजोर हो गए हैं. लेकिन इलाके में सुरक्षाबलों की पहुंच बड़ी चुनौती है. अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने 25 से अधिक लैंड माइंस को नष्ट किया है जबकि कई जगहों पर सीरीज लैंडमाइंस विस्फोट हुआ है. एक सप्ताह पहले एक अभियान दौरान ही सुरक्षाबलों ने कैंप की स्थापना की योजना तैयार की थी, मगर मौसम के कारण यह योजना सफल नहीं हो पायी. नक्सल और बूढ़ा पहाड़ को जानने वाले देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि बूढ़ा पहाड़ पर माओवादी कमजोर हुए हैं लेकिन खत्म नहीं हुए हैं. हाल के दिनों के सुरक्षाबलों की दबिश बढ़ी है. उन्होंने बताया कि बूढ़ा पहाड़ के इलाके में माओवादियों को कैडर नहीं मिल रहा है, जिसके लिए कभी कभी बच्चों को भी इस्तेमाल में लाया गया है.बूढ़ा पहाड़ में माओवादियों ने बचाव के लिए लगाया है लैंड माइंसः बूढ़ा पहाड़ में माओवादियों अपने बचाव के लिए लैंड माइंस का इस्तेमाल करते हैं. सुरक्षाबलों के अभियान के क्रम में माओवादी अक्सर लैंड माइंस का इस्तेमाल करते हैं. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में 2013-14 से अब तक 275 से भी अधिक बार विस्फोट हुए हैं, कई विस्फोट सीरीज में हुए हैं. फिलहाल बूढ़ा पहाड़ के इलाके में एक हजार से भी अधिक सुरक्षाबलों की तैनाती (Police camp in Budha Pahad) है. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में सौरव उर्फ मरकस बाबा के नेतृत्व में माओवादियों की टीम 30 से 35 की संख्या में सक्रिय है.

पलामूः माओवादियों के यूनीफाइड कमांड बूढ़ा पहाड़ (Maoists Unified Command Budha Pahar) के जिस इलाके नक्सलियों का कैंप चलता था. अब वहां सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया जाएगा. बूढ़ा पहाड़ माओवादियों का अभेद किला रहा (Budha Pahad stronghold of Naxalites) है. हाल ही में सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ को घेर कर अभियान शुरू किया था. लेकिन बारिश के कारण अभियान को बंद करना पड़ा. सुरक्षाबलों के बूढ़ा पहाड़ के सबसे टॉप पर मौजूद झींकपानी, पीपरढाब और पुंदाग के इलाके में पुलिस का कैंप बनाया जाएगा. झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य मिलकर कैंप (Police will set up camp in Budha Pahad) स्थापित करेंगे.

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फिलहाल बूढ़ा पहाड़ (Buddha Pahad Jharkhand) के इलाके में एक दर्जन के करीब सुरक्षाबलों का कैंप मौजूद है. सुरक्षा एजेंसियां को सूचना मिली थी कि बूढ़ा पहाड़ के झींकपानी के इलाके में माओवादी बड़ी बैठक कर अपना ट्रेनिंग कैंप चला रहे है. इसी सूचना के आलोक में झारखंड और छत्तीसगढ़ ने नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान (joint operation against naxalites) शुरू किया था. इस अभियान में 40 से कंपनी से अधिक सुरक्षाबलों को तैनात किया गया था. पलामू रेंज के डीआईजी राज कुमार लकड़ा ने बताया कि मुख्यालय के तरफ से फोर्स मिला और अभियान शुरू किया गया था. लेकिन बारिश के कारण बंद किया गया.

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झींकपानी में कैंप (Police Camp in Jhinkpani) स्थापित करना बड़ा चुनौतीः बूढ़ा पहाड़ के इलाके में माओवादी कमजोर हो गए हैं. लेकिन इलाके में सुरक्षाबलों की पहुंच बड़ी चुनौती है. अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने 25 से अधिक लैंड माइंस को नष्ट किया है जबकि कई जगहों पर सीरीज लैंडमाइंस विस्फोट हुआ है. एक सप्ताह पहले एक अभियान दौरान ही सुरक्षाबलों ने कैंप की स्थापना की योजना तैयार की थी, मगर मौसम के कारण यह योजना सफल नहीं हो पायी. नक्सल और बूढ़ा पहाड़ को जानने वाले देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि बूढ़ा पहाड़ पर माओवादी कमजोर हुए हैं लेकिन खत्म नहीं हुए हैं. हाल के दिनों के सुरक्षाबलों की दबिश बढ़ी है. उन्होंने बताया कि बूढ़ा पहाड़ के इलाके में माओवादियों को कैडर नहीं मिल रहा है, जिसके लिए कभी कभी बच्चों को भी इस्तेमाल में लाया गया है.बूढ़ा पहाड़ में माओवादियों ने बचाव के लिए लगाया है लैंड माइंसः बूढ़ा पहाड़ में माओवादियों अपने बचाव के लिए लैंड माइंस का इस्तेमाल करते हैं. सुरक्षाबलों के अभियान के क्रम में माओवादी अक्सर लैंड माइंस का इस्तेमाल करते हैं. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में 2013-14 से अब तक 275 से भी अधिक बार विस्फोट हुए हैं, कई विस्फोट सीरीज में हुए हैं. फिलहाल बूढ़ा पहाड़ के इलाके में एक हजार से भी अधिक सुरक्षाबलों की तैनाती (Police camp in Budha Pahad) है. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में सौरव उर्फ मरकस बाबा के नेतृत्व में माओवादियों की टीम 30 से 35 की संख्या में सक्रिय है.
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