पलामूः पलामू में संचालित पीवीटीजी पाठशाला आदिम जनजाति के बच्चों को शिक्षित कर रहा है. इसकी चहुंओर प्रशंसा हो रही है. अब इसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली है. दरअसल, दिल्ली में 18 और 19 मई को देश के सभी राज्यों के स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशनल सोसाइटी का प्रोजेक्ट रिव्यू किया जाएगा. इसके लिए झारखंड के पलामू में संचालित पीवीटीजी पाठशाला का चयन किया गया है. पीवीटीजी पाठशाला का संचालन झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की ओर से उड़ान प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत आदिम जनजाति इलाके के बच्चों को पढ़ाया जाता है और उन्हें कई तरह की सामग्री दी जाती है.
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मनातू के सात गांवों में पीवीटीजी पाठशाला का हो रहा संचालनः पलामू के अति नक्सल प्रभावित इलाके मनातू के सात गांवों में पीवीटीजी पाठशाला का संचालन किया जा रहा है. झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी इस पाठशाला का एक प्रोजेक्ट तैयार कर रही है. अभी से लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी राष्ट्रीय स्तर पर प्रोजेक्ट प्रेजेंटेशन की तैयारी कर रही है.
उड़ान प्रोजेक्ट के तहत पलामू के मनातू में सात पाठशाला का हो रहा संचालनः जेएलपीएस के पलामू डीपीएम विमलेश शुक्ला ने प्रोजेक्ट के चयन को लेकर पुष्टि की है. आदिम जनजाति को राज्य और केंद्र सरकार ने संरक्षण की श्रेणी में रखा है. इन परिवार को शैक्षणिक और अन्य तरह के विकास के लिए सरकार कई तरह की योजना चला रही हैं. इसी कड़ी में जेएसएलपीएस की उड़ान प्रोजेक्ट के तहत पलामू के मनातू के इलाके में सात पाठशाला खोले गए हैं.
जेएसएलपीएस की महिलाएं जगा रहीं शिक्षा की अलखः पाठशाला के माध्यम से आदिम जनजाति की नई पीढ़ी को पढ़ाया जा रहा है. जेएसएलपीएस की महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाएं पाठशाला की निगरानी करती हैं और बच्चों को पढ़ाती हैं. यह पाठशाला पलामू के मनातू के चिड़ी खुर्द, रंगेया, दलदलीया, कोहबरिया, धूमखाड़, उरुर, गौरवा टोला में संचालित हैं.
पाठशालाओं में 400 बच्चें करते हैं पढ़ाईः इन पाठशाला में आदिम जनजाति परिवार के करीब 400 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ने वाले बच्चों को खेल समेत कई सामग्री भी उपलब्ध करायी गई है. जिन इलाकों में या पाठशाला खोले गए हैं वो अति पिछड़े हैं. वहां के 90 प्रतिशत लोग साक्षर नहीं हैं.