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पलामू एमपी एमएलए कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट मामले में विधायक भानु प्रताप शाही को किया बरी, 17 साल पहले दर्ज हुआ था मामला - etv news

पलामू एमपी एमएलए कोर्ट ने भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही को एससी एसटी एक्ट के एक मामले में बरी कर दिया. मामला 17 साल पुराना गढ़वा जिले के रमना का है. जब विवाद के बाद तत्कलीन प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी विश्वनाथ राम ने भानु प्रताप शाही और उनके समर्थकों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज कराया था.

MP MLA court acquitted Bhanu Pratap Shahi
MP MLA court acquitted Bhanu Pratap Shahi
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Published : Jun 22, 2023, 2:22 PM IST

पलामू: जिले के एमपी एमएलए कोर्ट ने गढ़वा के भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही को 17 साल पहले के एक मामले में बरी कर दिया है. विधायक भानू प्रताप शाही गुरुवार को पलामू के एमपी एमएलए कोर्ट में पेश हुए थे. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए साक्ष्य के अभाव में विधायक को बरी कर दिया. विधायक के साथ-साथ उनके समर्थक अजय वर्मा, महमूद आलम, मुख्तार अंसारी को भी कोर्ट ने बरी किया है.

यह भी पढ़ें: Dumka Court Judgment: सड़क जाम और सरकारी कार्य में बाधा मामले में विधायक प्रदीप यादव समेत 17 बरी, 11 वर्ष पुराने मामले में दुमका कोर्ट ने सुनाया फैसला

विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, न्याय की जीत हुई है, 17 वर्षों के बाद फैसला आया है. विधायक भानु प्रताप शाही और उनके समर्थकों पर जन मुद्दों को लेकर हुए आंदोलन के दौरान एक अधिकारी ने एससी एसटी एक्ट के धाराओं में एफआईआर करवाई थी. उस दौरान भानु प्रताप शाही विधायक थे. दरअसल, गढ़वा जिले के रमना में 2007 में तत्कलीन प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी विश्वनाथ राम ने ग्राम सभा में गलत लाभुकों का चयन किया था. ग्रामसभा के बाद प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी गढ़वा के मेराल स्थित अपने घर चले गए थे.

विवाद के बाद दर्ज कराया गया था मामला: बाद में ग्रामीणों ने विधायक भानु प्रताप शाही से ग्राम सभा में गड़बड़ी की शिकायत की थी. विधायक भानु प्रताप शाही घटना के दिन डाल्टनगंज से लौट रहे थे. ग्रामीणों की शिकायत के बाद उन्होंने प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी से मामले में जानकारी मांगी थी. इसी क्रम में विधायक और सहकारिता पदाधिकारी के बीच विवाद हो गया. इस विवाद के बाद सहकारिता पदाधिकारी ने विधायक भानु प्रताप शाही और उनके समर्थकों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाया था. उस दौरान विधायक भानु प्रताप शाही ने गढ़वा के तत्कालीन एसपी दीपक वर्मा के खिलाफ भी आंदोलन किया था.

पलामू: जिले के एमपी एमएलए कोर्ट ने गढ़वा के भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही को 17 साल पहले के एक मामले में बरी कर दिया है. विधायक भानू प्रताप शाही गुरुवार को पलामू के एमपी एमएलए कोर्ट में पेश हुए थे. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए साक्ष्य के अभाव में विधायक को बरी कर दिया. विधायक के साथ-साथ उनके समर्थक अजय वर्मा, महमूद आलम, मुख्तार अंसारी को भी कोर्ट ने बरी किया है.

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विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, न्याय की जीत हुई है, 17 वर्षों के बाद फैसला आया है. विधायक भानु प्रताप शाही और उनके समर्थकों पर जन मुद्दों को लेकर हुए आंदोलन के दौरान एक अधिकारी ने एससी एसटी एक्ट के धाराओं में एफआईआर करवाई थी. उस दौरान भानु प्रताप शाही विधायक थे. दरअसल, गढ़वा जिले के रमना में 2007 में तत्कलीन प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी विश्वनाथ राम ने ग्राम सभा में गलत लाभुकों का चयन किया था. ग्रामसभा के बाद प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी गढ़वा के मेराल स्थित अपने घर चले गए थे.

विवाद के बाद दर्ज कराया गया था मामला: बाद में ग्रामीणों ने विधायक भानु प्रताप शाही से ग्राम सभा में गड़बड़ी की शिकायत की थी. विधायक भानु प्रताप शाही घटना के दिन डाल्टनगंज से लौट रहे थे. ग्रामीणों की शिकायत के बाद उन्होंने प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी से मामले में जानकारी मांगी थी. इसी क्रम में विधायक और सहकारिता पदाधिकारी के बीच विवाद हो गया. इस विवाद के बाद सहकारिता पदाधिकारी ने विधायक भानु प्रताप शाही और उनके समर्थकों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाया था. उस दौरान विधायक भानु प्रताप शाही ने गढ़वा के तत्कालीन एसपी दीपक वर्मा के खिलाफ भी आंदोलन किया था.

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