पलामू: जिले के एमपी एमएलए कोर्ट ने गढ़वा के भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही को 17 साल पहले के एक मामले में बरी कर दिया है. विधायक भानू प्रताप शाही गुरुवार को पलामू के एमपी एमएलए कोर्ट में पेश हुए थे. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए साक्ष्य के अभाव में विधायक को बरी कर दिया. विधायक के साथ-साथ उनके समर्थक अजय वर्मा, महमूद आलम, मुख्तार अंसारी को भी कोर्ट ने बरी किया है.
विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, न्याय की जीत हुई है, 17 वर्षों के बाद फैसला आया है. विधायक भानु प्रताप शाही और उनके समर्थकों पर जन मुद्दों को लेकर हुए आंदोलन के दौरान एक अधिकारी ने एससी एसटी एक्ट के धाराओं में एफआईआर करवाई थी. उस दौरान भानु प्रताप शाही विधायक थे. दरअसल, गढ़वा जिले के रमना में 2007 में तत्कलीन प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी विश्वनाथ राम ने ग्राम सभा में गलत लाभुकों का चयन किया था. ग्रामसभा के बाद प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी गढ़वा के मेराल स्थित अपने घर चले गए थे.
विवाद के बाद दर्ज कराया गया था मामला: बाद में ग्रामीणों ने विधायक भानु प्रताप शाही से ग्राम सभा में गड़बड़ी की शिकायत की थी. विधायक भानु प्रताप शाही घटना के दिन डाल्टनगंज से लौट रहे थे. ग्रामीणों की शिकायत के बाद उन्होंने प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी से मामले में जानकारी मांगी थी. इसी क्रम में विधायक और सहकारिता पदाधिकारी के बीच विवाद हो गया. इस विवाद के बाद सहकारिता पदाधिकारी ने विधायक भानु प्रताप शाही और उनके समर्थकों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाया था. उस दौरान विधायक भानु प्रताप शाही ने गढ़वा के तत्कालीन एसपी दीपक वर्मा के खिलाफ भी आंदोलन किया था.