पलामूः झारखंड-बिहार की सीमा पर स्थित मनातू और सलैया. इस इलाके में जहां तक नजर जाएगी, वहां तक सिर्फ पोस्ता की खेती दिखेगी. इस इलाके में जितने भी अफीम के खेत हैं उनका 90 प्रतिशत हिस्सा बिहार में है, इसलिए झारखंड पुलिस पत्र के जरिए बिहार पुलिस से इस मामले में कार्रवाई के लिए कह रही है. पलामू सीमा पार करने के बाद बिहार के इलाके में दाखिल होते है तो करीब 25 से 30 किलोमीटर की दायरे में पोस्ता की खेती ही दिखाई देगी.
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इस इलाके की स्थिति यह है कि प्रत्येक ग्रामीण अपने घर के आसपास भी पोस्ता की खेती करते हैं, जिन्हें पुलिस की खौफ नहीं है. यह इलाका अतिनक्सल प्रभावित है और माओवादियों के सुरक्षित ठिकाना छकरबंधा कॉरिडोर से जुड़ा हुआ है. साल 2019 तक इस इलाके में पोस्ता की खेती नही होती थी. लेकिन अब इस इलाके में बड़े पैमाने पर खेती हो रही है. पलामू जिले के कुंडिलपुर, बिदरा, राजखेता, रायबार के साथ साथ बिहार के सलैया और विराज के इलाके में दो हजार एकड़ से अधिक भूखंड पर पोस्ता की खेती लहलहा रहा है.
पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि मनातू और बिहार के कुछ इलाकों में पोस्ता की खेती की जा रही है. इसको लेकर गया पुलिस को पत्र लिखेंगे और कार्रवाई का आग्रह करेंगे. उन्होंने कहा कि पोस्ता की खेती चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि पलामू और गया पुलिस संयुक्त रूप से पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान चलाएगा. इसके साथ ही पुलिस की ओर से ग्रामीणों को जागरूक भी किया जाएगा. एसपी ने कहा कि ग्रामीण थोड़ी सी लालच के लिए खेती रहे हैं, उन्हें वैकल्पिक खेती से जुड़ा जाएगा.
पलामू पुलिस ने पिछले दो दिनों के भीतर 20 एकड़ भूखंड पर लगे पोस्ता की खेती को नष्ट किया है. झारखंड-बिहार सीमा पर कुछ ग्रामीणों ने खुद पोस्ता की खेती किया है. वहीं, कुछ ग्रामीण तस्करों की मदद से खेती की है. ग्रामीण लालदेव यादव कहते हैं कि पोस्ता की खेती चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि कई ग्रामीण मजबूरी में इस खेती को कर रहे हैं. कम लागत में अधिक मुनाफा होता है. किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं है. उन्होंने कहा कि एक कट्ठा खेती करने में खर्च आठ हजार लगती है. लेकिन आमदनी 70 से 80 हजार रुपये है.
2005 के बाद पलामू चतरा सीमा पर सबसे पहले पोस्ता की खेती की शुरुआत हुई थी. इस इलाके में सुरक्षाबलों के अभियान और जागरूकता के बाद पोस्ता की खेती कम हुई है. पोस्ता की खेती पलामू चतरा सीमा से निकलकर पलामू गया सीमा पर शिफ्ट हो गई है. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार अफीम तस्करों ने सुरक्षित और नए ठिकाने पर पोस्ता की खेती शुरु की है. बता दें कि अफीम तस्करों का नेटवर्क हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान समेत कई राज्यों से जुड़ा है. पिछले एक दशक के दौरान पलामू में 2500 से अधिक ग्रामीणों पर पोस्ता की खेती करने के आरोप में एनडीपीएस एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई है. साल 2017 के बाद से पलामू पुलिस ने 1600 एकड़ में लगे पोस्ता फसल को नष्ट किया है.