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पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने में मदद करेंगे नार्थ ईस्ट के टाइगर रिजर्व, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की बैठक में लिया गया निर्णय

पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने की दिशा में काम शुरू होगा. इसके लिए पीटीआर दूसरे टाइगर रिजर्व की मदद लेगा. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. North East Tiger Reserve will help PTR.

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North East Tiger Reserve Will Help PTR
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 16, 2023, 7:57 PM IST

पलामूः पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए देश के दूसरे टाइगर रिजर्व मदद करेंगे. 11 और 12 अक्टूबर को असम के काजीरंग में नार्थ ईस्ट के इलाके के सभी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों की बैठक हुई थी. जिसमें नॉर्थ ईस्ट के इलाके में बाघों की संख्या में बढ़ाने के लिए चर्चा की गई. बैठक का आयोजन नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के तरफ से किया गया था. बैठक में पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने भी भाग लिया था.

ये भी पढ़ें-पीटीआर में पहुंचा बाघ आदमखोर नहीं, तीन दिनों में कर चुका है दो शिकार, एक दिन में चलता है 20 किलोमीटर

पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने की दिशा में होगा कामः बैठक में पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या को लेकर चिंता व्यक्त की गई. पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए पहल करने को कहा गया. इसके तहत टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने में दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाने को कहा गया. काजीरंगा, बांधवगढ़, सुंदरवन, वाल्मीकी टाइगर रिजर्व पलामू टाइगर रिजर्व की मदद करेंगे. पीटीआर दूसरे टाइगर रिजर्व के बोमा तकनीक, ग्रास लैंड मैनेजमेंट, ह्यूमन मैनजेमेंट की जानकारी इकट्ठा करेगा. इसके अलावा अंडरटेकर रिजर्व अपनी अपनी विशेषता को पलामू टाइगर रिजर्व के साथ साझा करेंगे.


अलग-अलग टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाएगा पीटीआरः पलामू टाइगर रिजर्व बांधवगढ़, कान्हा, सुंदरवन और वाल्मीकी टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाएगा. बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व के बोमा तकनीक, वहीं वाल्मीकि और सुंदरवन टाइगर प्रोजेक्ट से वन्य जीव मैनेजमेंट को अपनाया जाएगा. दूसरे टाइगर रिजर्व से ग्रास लैंड के साथ-साथ ह्यूमन मैनेजमेंट प्लान की भी जानकारी ली जाएगी.

बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए अपनायी जाएगी अलग तकनीकः दरअसल, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाने की सलाह दी है. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने काजीरंगा में अभी बैठक में भाग लिया था. उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए पहल की जा रही है. पलामू टाइगर रिजर्व दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही है. बैठक में इन्हीं बिंदुओं पर भी चर्चा हुई. बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई तकनीक को अपनाया जा रहा है. नवंबर के महीने से योजनाओं पर कार्य शुरू हो जाएगा. दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को पीटीआर में ग्राउंड स्तर पर भी आकलन किया जाएगा.


पीटीआर में मौजूद है सिर्फ एक बाघः पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आंकड़ों के अनुसार इलाके में सिर्फ एक बाघ मौजूद है. 70 के दशक में बाघों के संरक्षण के लिए देशभर में एक साथ नौ टाइगर रिजर्व शुरू हुए थे. पलामू टाइगर रिजर्व भी नौ टाइगर रिजर्व में शामिल था. उसे वक्त पत्र के इलाके में 50 बाघ थे, लेकिन 2018 में एनटीसीए ने पीटीआर के इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई थी. 2023 में एक बाघ बताया गया है. पलामू का इलाका 70 के दशक तक बाघों के शिकार के लिए चर्चित रहा है. अंग्रेजों के शासन काल में पलामू के इलाके में बाघ मारने ओर इनाम दिया जाता था.

पलामूः पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए देश के दूसरे टाइगर रिजर्व मदद करेंगे. 11 और 12 अक्टूबर को असम के काजीरंग में नार्थ ईस्ट के इलाके के सभी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों की बैठक हुई थी. जिसमें नॉर्थ ईस्ट के इलाके में बाघों की संख्या में बढ़ाने के लिए चर्चा की गई. बैठक का आयोजन नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के तरफ से किया गया था. बैठक में पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने भी भाग लिया था.

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पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने की दिशा में होगा कामः बैठक में पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या को लेकर चिंता व्यक्त की गई. पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए पहल करने को कहा गया. इसके तहत टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने में दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाने को कहा गया. काजीरंगा, बांधवगढ़, सुंदरवन, वाल्मीकी टाइगर रिजर्व पलामू टाइगर रिजर्व की मदद करेंगे. पीटीआर दूसरे टाइगर रिजर्व के बोमा तकनीक, ग्रास लैंड मैनेजमेंट, ह्यूमन मैनजेमेंट की जानकारी इकट्ठा करेगा. इसके अलावा अंडरटेकर रिजर्व अपनी अपनी विशेषता को पलामू टाइगर रिजर्व के साथ साझा करेंगे.


अलग-अलग टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाएगा पीटीआरः पलामू टाइगर रिजर्व बांधवगढ़, कान्हा, सुंदरवन और वाल्मीकी टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाएगा. बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व के बोमा तकनीक, वहीं वाल्मीकि और सुंदरवन टाइगर प्रोजेक्ट से वन्य जीव मैनेजमेंट को अपनाया जाएगा. दूसरे टाइगर रिजर्व से ग्रास लैंड के साथ-साथ ह्यूमन मैनेजमेंट प्लान की भी जानकारी ली जाएगी.

बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए अपनायी जाएगी अलग तकनीकः दरअसल, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को अपनाने की सलाह दी है. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने काजीरंगा में अभी बैठक में भाग लिया था. उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि पीटीआर में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए पहल की जा रही है. पलामू टाइगर रिजर्व दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही है. बैठक में इन्हीं बिंदुओं पर भी चर्चा हुई. बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई तकनीक को अपनाया जा रहा है. नवंबर के महीने से योजनाओं पर कार्य शुरू हो जाएगा. दूसरे टाइगर रिजर्व के स्पेशलाइजेशन को पीटीआर में ग्राउंड स्तर पर भी आकलन किया जाएगा.


पीटीआर में मौजूद है सिर्फ एक बाघः पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आंकड़ों के अनुसार इलाके में सिर्फ एक बाघ मौजूद है. 70 के दशक में बाघों के संरक्षण के लिए देशभर में एक साथ नौ टाइगर रिजर्व शुरू हुए थे. पलामू टाइगर रिजर्व भी नौ टाइगर रिजर्व में शामिल था. उसे वक्त पत्र के इलाके में 50 बाघ थे, लेकिन 2018 में एनटीसीए ने पीटीआर के इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई थी. 2023 में एक बाघ बताया गया है. पलामू का इलाका 70 के दशक तक बाघों के शिकार के लिए चर्चित रहा है. अंग्रेजों के शासन काल में पलामू के इलाके में बाघ मारने ओर इनाम दिया जाता था.

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