पलामूः जिले के हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र में मोहर्रम कोविड-19 को लेकर सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक मनाया गया, जुलूस नहीं निकला गया. सिपर, ताजिया और आलम का सेहरा लेकर लोग कर्बला गए और पहलाम की रस्म अदा की. पूरी स्थिति पर अनुमंडल पदाधिकारी कुंदन कुमार और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जितेंद्र कुमार नजर बनाए रखा. सभी मुस्लिम गांव और मोहल्लों में दंडाधिकारी और पुलिस बल को तैनात किया गया है.
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फातिहा कराया और मन्नत मांगी
वहीं हैदरनगर थाना अंतर्गत पूर्वी पंचायत के गंज पर टोला में निर्मित पहलवानी सिपर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक के रूप में प्रख्यात है. इस सिपर पर बारी-बारी से हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग पहुंचे और फातिहा कराया और मन्नत मांगी. ये सिपर एकता की मिसाल कैसे बनी, इसके पीछे की कहानी है. जो हैदरनगर पंचायत के वर्तमान मुखिया के परिवार से जुड़ी है. मुखिया सीमा देवी ने बताया कि इस परिवार के पूर्वज स्व. भोनू साव अपने जमाने के पहलवान थे. गंज पर टोला में जब फिरोज अंसारी के पूर्वज ने इस सिपर का निर्माण किया तो वह इतना भारी बन गया था कि किसी सामान्य व्यक्ति के कंधा से उठाना मुश्किल हो गया था. तब स्व. भानु साव ने ही उसे उठाया था. भाई बिगहा के चिरागन सिपर से मिलनी कराते रहे थे. तभी से इस सिपर का नाम पहलवानी पड़ गया है. आज भी यह सिपर काफी वजनी होता है. स्व. भोनू साव के बाद उनके पुत्र रामरतन साव इसके बाद उनके सबसे छोटे पुत्र उमेश साव कई वर्षों से इस परंपरा को निभाते रहे हैं. मुखिया ने बताया कि पूर्व के वर्षों में यह सिपर गंज पर टोला में निर्मित होने के बाद मोहर्रम काल में उनके दरवाजे पर रखा जाता था, जहां हिंदू-मुस्लिम सभी अकीदतमंद सिरनी चढ़ाते और फातिहा कराते आए हैं. मगर इस साल यह सिपर निर्मित स्थल पर ही रखा रह गया जहां फातिहा की रस्म उनकी फैमिली के अलावा अन्य लोगों ने पूरी की. इस सिपर के सेहरा से ही भाई बिगहा के चिरागन सिपड़ से मिलनी कराई गई. सेहरा से ही कर्बला पर पहलाम की रस्म पूरी की जायेगी.