पलामूः घर से निकला था कमाने के लिए.. लौट रहा हूं जिंदगी बचाने के लिए, पैदल ही चल निकला हूं घर पाने के लिए..यह रचना लॉकडाउन में फंसे मजदूरों पर सटीक बैठती है. पलामू का जिक्र आते ही अकाल, सुखाड़, नक्सल हिंसा और पलायन की तस्वीर नजर आने लगती है. फनीश्वरनाथ रेणु, महाश्वेता देवी समेत कई बड़े साहित्यकारों ने पलामू के बारे में कई लेख लिखे हैं. कोरोना वायरस से पूरा विश्व जूझ रहा है, इसके संक्रमण को रोकने के लिए लॉक डाउन किया गया है. लॉकडाउन का मजदूरों पर बुरा असर हुआ है, जिन मजदूरों ने दो पैसे कमाने के लिए बड़े शहरों की ओर रुख किया था अब वे अपनी जान बचाने के लिए किसी तरह अपने घर पंहुचने को बेताब हैं. घर पंहुचने की इतनी बेचैनी है कि कोई मजदूर तीन हजार किलोमीटर का लंबा सफर कर रहा है तो कोई सैकड़ों किलोमीटर का रास्ता साइकिल से तय कर रहा है.
हैदराबाद से पैदल पंहुची दंपत्ति
लातेहार जिला के मनिका के रहने वाले राजेश भुइयां और उनकी पत्नी ऋषि देवी हैदराबाद में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में राज मिस्त्री का काम करते थे. दोनों 14 दिनों तक लगातार पैदल चल कर पलामू पंहुचे. दोनों ने बताया कि कंपनी ने उन्हें खाना देना बंद कर दिया था, वे मजबूर हो कर पैदल चलते हुए पलामू पंहुचे. अब दोनों दुबारा फिर उस जगह पर नहीं जाना चाहते हैं. दंपत्ति बताता है कि रास्ता में आम लोगों ने उन्हें खाना-पीना खिलाया और मदद की. इस तरह पलामू के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के पिपरा के रहने वाले दो भाई पंजाब के जालंधर से पैदल चल कर पलामू पंहुच गए. दोनों लगातार 10 दिनों तक पैदल चले थे.
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किसी ने साइकिल तो किसी ने पैदल तय किया सफर
लॉकडाउन में फंसने के बाद मजदूरों को घर की याद आने लगी, जिस कंपनी में वे काम करते थे उस कंपनी ने भी मजदूरों का साथ छोड़ दिया. मजबूरी में मजदूरों ने बचे हुए पैसे से साइकिल खरीदी और घर की ओर रवाना हुए. रोहित कुमार, अरविंद सिंह यादव, मुकेश कुमार और उनके करीब एक दर्जन साथी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से छह दिनों तक लगातार पैदल चल कर पलामू पंहुचे. उत्तरप्रदेश के इटावा से दर्जनों की संख्या में मजदूर ट्रक में छुप कर पलामू पंहुचे थे. पुलिस जवानों को नजर पड़ी तो मजदूरों की स्क्रीनिंग की गई.
पलायन का दंश झेलता रहा है मजदूर
राज्य की सरकार ने बाहर फंसे हुए मजदूरों के लिए सहायता एप जारी किया है. एप में अब तक 32,738 मजदूर निबंधित हुए हैं, जबकि 12 हजार के करीब लोग पहले ही पलामू लौटे हैं. 2011 के जनगणना के अनुसार पलामू की आबादी 19.36 लाख है. 2020 तक पलामू की आबादी 22 लाख तक आंकी जा रही है. ये उन मजदूरों और छोटे कामगारों का आंकड़ा है जो पलामू की आबादी का दो प्रतिशत के करीब है. यह आधिकारिक आंकड़ा है जबकि गैर आधिकारिक पलायन का आंकड़ा कहीं अधिक है.