पलामू: जिन गांव की महिलाएं कभी घर की दहलीज के बाहर अपने पैर नहीं निकालती थी, अब उस इलाके की महिलाएं अपने परिवार के भविष्य को संवार रही हैं. हम बात कर रहे है पलामू के नक्सल हीट इलाका छतरपुर के उन गांव की जंहा बड़ा बदलाव हुआ है. इन इलाके की महिलाएं अब आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं और अपने परिवार के भविष्य को संवार रहे हैं.
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झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के जोहार योजना के तहत पलामू के 20 से अधिक गांव में महिलाएं स्वालंबी बन रही हैं. इस योजना के तहत पलामू के छतरपुर के इलाके में 20 गांव की महिलाओं को मुर्गी पालन से जोड़ा गया है. मुर्गी पालन कर गांव की महिलाओं को प्रति महीने आठ से 10 हजार की आमदनी हो रही है. इस परियोजना की शुरुआत पलामू के सात गांव से हुई थी लेकिन धीरे-धीरे इसका फैलाव 20 गांव तक हो चुका है. छतरपुर की एक महिला ने बताया कि इस योजना से सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हैं, उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो रही है.
पलामू से बाहर भेजे जा रहे हैं अंडे, महिलाओं का कुपोषण भी हो रहा दूर: जोहर योजना के तहत मुर्गी पालन करने वाली महिलाएं अंडे को पलामू से बाहर भेज रही हैं. जेएसएलपीएस के अधिकारी महिलाओं को अंडे का व्यापार करने में भी मदद कर रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़े को मानें तो पलामू में 30 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिक हैं. अंडों का उत्पादन कर इसका इस्तेमाल करने वाले महिलाएं कुपोषण मुक्त हो रहे हैं. छतरपुर के जेएसएलपीएस के डीपीएम ने बताया कि यह पिछड़ा हुआ इलाका था, महिलाओं के समूह का गठन के बाद इस इलाके में बदलाव शुरू हुआ. विभाग की पहल पर महिलाएं अब आर्थिक रूप से स्वावलंबी और मजबूत हो रही है. उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन का सबसे बड़ा फायदा हुआ है कि महिलाएं कुपोषण मुक्त हो रही है.
जोहार योजना से महिलाएं कृषि उत्पादों को लेकर होती हैं मजबूत: झारखंड सरकार की जोहार योजना के तहत महिलाओं को कृषि एवं गैर कृषि उत्पादकों को लेकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना है. जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि इस योजना का असर कई इलाकों में देखा जा रहा है. पलामू के नौ हजार से अधिक महिलाएं इससे जुड़ी हुई है और आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं. विभाग की योजना है कि इस योजना से अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ा जाए और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाए.