पलामू: झारखंड और बिहार के शीर्ष नक्सली कमांडरों का सारंडा से संपर्क टूट गया है. दरअसल, सारंडा का इलाका माओवादियों का ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो है, जहां से माओवादी झारखंड, बिहार और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में अपनी गतिविधियां संचालित करते रहे हैं. सारंडा को चारों तरफ से सुरक्षा बलों ने घेर लिया है. जिसके बाद झारखंड और बिहार के शीर्ष माओवादी कमांडरों का सारंडा से संपर्क टूट गया है.
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यह दस्ता झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर शीर्ष माओवादी कमांडर छोटू खरवार, झारखंड-बिहार सीमा पर नितेश यादव जबकि पलामू, लातेहार और चतरा के सीमावर्ती इलाकों में मनोहर गंझू के नेतृत्व में सक्रिय है. लेकिन ये सभी कमांडर सारंडा स्थित अपने शीर्ष कमांडरों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.
मनोहर गंझू ने छोटू खरवार से मांगी मदद: मिली जानकारी के मुताबिक, शीर्ष माओवादी कमांडर मनोहर गंझू ने सारंडा के नक्सलियों से संपर्क टूटने के बाद रीजनल कमेटी सदस्य छोटू खरवार से मदद मांगी थी. मनोहर गंझू ने छोटू खरवार से कुछ दस्ते के सदस्यों की मांग की थी. लेकिन छोटू खरवार ने दस्ता सदस्य देने से इंकार कर दिया. शीर्ष पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, नक्सली कम ताकतवर हो गए हैं और मदद के लिए एक-दूसरे से संपर्क कर रहे हैं.
माओवादियों को नहीं मिल रहे कैडर: झारखंड और बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा जमावड़ा सारंडा में है. सारंडा से अन्य इलाकों का संपर्क टूट गया है. मनोहर गंझू और नितेश यादव की टीम में दो से तीन लोग ही हैं. छोटू खरवार के पास करीब एक दर्जन कैडर हैं. नक्सली मामलों की जानकारी रखने वाले देवेन्द्र ने बताया कि दस्ते में सदस्यों की संख्या कम होने के बाद पहले दूसरे इलाकों से कैडर बुलाये जाते थे. लेकिन माओवादियों के सभी इलाकों में सुरक्षा बलों की कड़ी निगरानी है, कैडर का तेजी से सफाया हो गया है. माओवादियों को अब नये कैडर नहीं मिल रहे हैं.