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Naxal in Jharkhand: ध्वस्त हुआ माओवादियों का झारखंड-बिहार कॉरिडोर, गौतम पासवान को माओवादियों ने बनाया था मध्यजोन का सुप्रीम कमांडर

भाकपा माओवादियों को तगड़ा झटका लगा है. पलामू-चतरा सीमा पर हुए मुठभेड़ में उसके सुप्रीम कमांडर मारे गए हैं. सुप्रीम कमांडर की मौत से माओवादियों का झारखंड-बिहार कॉरिडोर पूरी तरह से खत्म हो गया है.

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Published : Apr 3, 2023, 1:35 PM IST

पलामूः माओवादियों का झारखंड-बिहार कॉरिडोर ध्वस्त हो गया है. पलामू-चतरा सीमा पर हुए मुठभेड़ में माओवादियों का 25 लाख का इनामी सेंट्रल कमिटी सदस्य गौतम पासवान और अजित उर्फ चार्लीस मारा गया है. गौतम पासवान माओवादियों में मध्यजोन सह छकरबंधा का सुप्रीम कमांडर था. गौतम पासवान के साथ-साथ अजीत उर्फ चार्लीस भी झारखंड-बिहार सीमा पर माओवादियों के लिए एक बड़ा नाम था.

ये भी पढ़ेंः Police-Naxal Encounter: चतरा-पलामू सीमा पर पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़, 25 लाख के इनामी गौतम पासवान समेत पांच नक्सलियों के मारे जाने की सूचना

दोनों के साथ तीन अन्य टॉप कमांडर भी मारे गए हैं. पांचों के मारे जाने से माओवादियो को बड़ा झटका लगा है. उनकी कमर टूट गई है. जून 2022 में टॉप नक्सली संदीप यादव की मौत के बाद गौतम पासवान को माओवादियों ने मध्यजोन का सबसे सुप्रीम कमांडर बनाया था. गौतम पासवान को झारखंड-बिहार से यहां पर माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना छकरबंधा की भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. गौतम और अजित के मारे जाने के बाद माओवादियों के मध्य जोन में अब कोई भी सेंट्रल कमिटी सदस्य नहीं बचा है.

छकरबंधा से निकल कर भागे थे दोनों, कई जिलों में रहा है आतंकः संदीप यादव की मौत के बाद झारखंड-बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा में सुरक्षा बलों ने माओवादियों के ख़िलाफ़ बड़ा अभियान शुरू किया. इस अभियान में गौतम पासवान, अजीत उर्फ चार्लीस दस्ते के साथ निकल कर भाग गए थे. दोनों पर झारखंड बिहार में 100 से भी अधिक नक्सल हमले करने का आरोप है. दोनों पर झारखंड के पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा के साथ साथ बिहार के गया, औरंगाबाद में एफआईआर दर्ज हैं. अजीत उर्फ चार्लीस लातेहार के बालूमाथ थाना क्षेत्र के नैना का रहने वाला था. माओवादियों ने इसे कुछ वर्ष पहले स्टेट एरिया कमिटी सदस्य बनाया था. गौतम पासवान बिहार के गया के डुमरिया थाना क्षेत्र का रहने वाला था. पिछले 6 महीने के अंदर गौतम के दस्ते के साथ सुरक्षाबलों की तीन बार मुठभेड़ हुई थी.

माओवादियों के दो सबसे बड़े ठिकानों का नेटवर्क टूटा, खत्म हुआ छकरबंधा से सारंडा कॉरिडोरः टॉप कमांडर गौतम और अजीत के मारे जाने से माओवादियों का छकरबंधा, बूढ़ापहाड़ से सारंडा कॉरिडोर खत्म हो गया है. दोनों टॉप कमांडरों का दस्ता माओवादियों के मध्य जोन और कोयल शंख जोन की बीच की कड़ी थी. माओवादियों का कोयल शंख जोन पूरी तरह से बिहार से सटे हुए मध्यजोन से कट गया है. माओवादियों के कोयल शंख जोन में पलामू, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा का इलाका है. गौतम पासवान और अजीत बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के बीच की कड़ी को निभाते थे.

पलामूः माओवादियों का झारखंड-बिहार कॉरिडोर ध्वस्त हो गया है. पलामू-चतरा सीमा पर हुए मुठभेड़ में माओवादियों का 25 लाख का इनामी सेंट्रल कमिटी सदस्य गौतम पासवान और अजित उर्फ चार्लीस मारा गया है. गौतम पासवान माओवादियों में मध्यजोन सह छकरबंधा का सुप्रीम कमांडर था. गौतम पासवान के साथ-साथ अजीत उर्फ चार्लीस भी झारखंड-बिहार सीमा पर माओवादियों के लिए एक बड़ा नाम था.

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दोनों के साथ तीन अन्य टॉप कमांडर भी मारे गए हैं. पांचों के मारे जाने से माओवादियो को बड़ा झटका लगा है. उनकी कमर टूट गई है. जून 2022 में टॉप नक्सली संदीप यादव की मौत के बाद गौतम पासवान को माओवादियों ने मध्यजोन का सबसे सुप्रीम कमांडर बनाया था. गौतम पासवान को झारखंड-बिहार से यहां पर माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना छकरबंधा की भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. गौतम और अजित के मारे जाने के बाद माओवादियों के मध्य जोन में अब कोई भी सेंट्रल कमिटी सदस्य नहीं बचा है.

छकरबंधा से निकल कर भागे थे दोनों, कई जिलों में रहा है आतंकः संदीप यादव की मौत के बाद झारखंड-बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा में सुरक्षा बलों ने माओवादियों के ख़िलाफ़ बड़ा अभियान शुरू किया. इस अभियान में गौतम पासवान, अजीत उर्फ चार्लीस दस्ते के साथ निकल कर भाग गए थे. दोनों पर झारखंड बिहार में 100 से भी अधिक नक्सल हमले करने का आरोप है. दोनों पर झारखंड के पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा के साथ साथ बिहार के गया, औरंगाबाद में एफआईआर दर्ज हैं. अजीत उर्फ चार्लीस लातेहार के बालूमाथ थाना क्षेत्र के नैना का रहने वाला था. माओवादियों ने इसे कुछ वर्ष पहले स्टेट एरिया कमिटी सदस्य बनाया था. गौतम पासवान बिहार के गया के डुमरिया थाना क्षेत्र का रहने वाला था. पिछले 6 महीने के अंदर गौतम के दस्ते के साथ सुरक्षाबलों की तीन बार मुठभेड़ हुई थी.

माओवादियों के दो सबसे बड़े ठिकानों का नेटवर्क टूटा, खत्म हुआ छकरबंधा से सारंडा कॉरिडोरः टॉप कमांडर गौतम और अजीत के मारे जाने से माओवादियों का छकरबंधा, बूढ़ापहाड़ से सारंडा कॉरिडोर खत्म हो गया है. दोनों टॉप कमांडरों का दस्ता माओवादियों के मध्य जोन और कोयल शंख जोन की बीच की कड़ी थी. माओवादियों का कोयल शंख जोन पूरी तरह से बिहार से सटे हुए मध्यजोन से कट गया है. माओवादियों के कोयल शंख जोन में पलामू, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा का इलाका है. गौतम पासवान और अजीत बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के बीच की कड़ी को निभाते थे.

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