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पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों को ढूंढने की नई कवायद, विभाग ने तैयार किया विशेष एप - M-STRIPES एप से होगी बाघों की तलाश

एशिया के प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों को ढूंढने के लिए विभाग ने M-STRIPES नाम का एक एप तैयार किया गया है. इससे न केवल बाघों को ढूंढने में मदद मिलेगी, बल्कि अन्य जीवों को रिजर्व के सभी वन्य जीवों की जानकारी मिलेगी. साथ ही शिकारियों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी.

बाघों को ढूंढने की कवायद
बाघों को ढूंढने की कवायद
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Published : Aug 11, 2020, 8:44 PM IST

पलामूः एशिया के प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मार्च के बाद बाघ नहीं देखे गए हैं. इसको लेकर विभाग अत्यंत चितिंत है. विभाग अब बाघों को ढूंढने की नई कवायद शुरू करने जा रहा है. साथ ही बाघ देखे जाने की सूचना पर इनाम भी घोषित किया गया है.

दरअसल पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में फरवरी में एक बाघिन की मौत हुई थी. उस दौरान तीन बाघों की मूवमेंट की खबर थी, लेकिन मार्च के बाद पीटीआर के बाघ नही देखें गए हैं. बाघों की तलाश के लिए पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में 300 उच्च क्षमता वाले कैमरा लगाए गए हैं. एक-एक वनरक्षी को तीन से चार कैमरों की जिम्मेदारी दी गई है. इसके साथ ही रिजर्व प्रबंधन ने बाघ देखने पर पांच हजार रुपये इनाम की भी घोषणा की है.

बाघों को ढूंढने की नई कवायद.

M- STRIPES एप से तलाशा जाएगा

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की तलाश और वन्य जीवों की निगरानी के लिए खास एप तैयार किया गया है. M - STRIPES नाम के इस एप पर अधिकारियों को एक क्लिक कर रिजर्व के सभी वन्य जीवों की जानकारी मिलेगी. फिलहाल ये एप ट्रायल पर है. खास बात ये है कि M- STRIPES एप ऑफलाइन भी काम करेगा. इसके लिए रिजर्व में तैनात 125 वन रक्षियों को मोबाइल उपलब्ध करवाया गया है.

पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर वाईके दास बताते हैं कि एप ट्रायल मोड में है, फिलहाल एक रेंजर और वनरक्षी से इसका काम लिया जा रहा है. उसके बाद सभी को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि इससे टाइगर और उनके मूवमेंट का पता लगाने में काफी सहायता मिलेगी. साथ ही वाटर सोर्स पर भी अच्छी तरह से निगरानी रखी जा सकेगी.

पलामू टाइगर रिजर्व में फिलहाल मैनुअल तरीके से वन्य जीवों पर निगरानी रखी जाती है. ट्रैकर और पेट्रोलिंग टीम वी आकार से जंगल को स्कैन करती है और हालात को कागजों पर नोट करती है. सभी कागजात जमा होने के बाद वन्य जीवों के स्थिति की समीक्षा की जाती है.

लेकिन इस प्रोसेस में लंबा वक्त गुजरता है, लेकिन M - STRIPES एप्प से अधिकारियों को तुरंत स्थिति की जानकारी मिल पाएगी. डायरेक्टर वाईके दास के बताया कि एप के माध्यम से शिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई में सहायता मिलेगी.

1026 वर्ग किलोमीटर में फैला रिजर्व

पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में हैं. 1974 में पूरे देश मे बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ 9 इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी.

पलामू टाइगर रिजर्व उन 9 इलाकों में से एक है जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ बताए गए थे. देश मे पहली बार 1932 बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी.

देश में पहली बार साल 1932 बाघों की गिनती पलामू से शुरू हुई थी. बाघों को संरक्षित करने के लिए साल 1974 में पलामू के 1026 वर्ग किलोमीटर में टाइगर रिजर्व बनाया गया. तब यहां बाघों की संख्या 50 थी लेकिन अब यहां बाघ नहीं दिखते. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में इसी साल फरवरी में एक बाघिन की मौत हुई थी. उस दौरान तीन बाघों की मूवमेंट की खबर थी, लेकिन मार्च के बाद पीटीआर में बाघ नही देखें गए हैं.

यह भी पढ़ेंः झारखंड में 24 घंटों में मॉनसून रहा सामान्य, 12 से 14 अगस्त के बीच हो सकती है भारी बारिश

बाघों की तलाश के लिए पलामू टाइगर रिजर्व में उच्च क्षमता वाले 300 कैमरे लगाए गए हैं. इसकी निगरानी के लिए हर वनरक्षी को तीन से चार कैमरों की जिम्मेदारी दी गई है. इसके साथ ही रिजर्व प्रबंधन ने बाघ देखने की सूचना देने पर पांच हजार रुपये इनाम की भी घोषणा की है. इसके साथ ही बाघों की तलाश और वन्य जीवों की निगरानी के लिए खास एप तैयार किया गया है.

M - STRIPES नाम के इस एप पर अधिकारियों को एक क्लिक कर रिजर्व के सभी वन्य जीवों की जानकारी मिलेगी. फिलहाल ये एप ट्रायल पर है. खास बात ये है कि M- STRIPES एप ऑफलाइन भी काम करेगा और शिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में भी कारगर साबित हो सकता है. उम्मीद है कि ये पहल कामयाब होगी और पलामू टाइगर रिजर्व में एक बार फिर बाघों का मूवमेंट दिखेगा.

पलामूः एशिया के प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मार्च के बाद बाघ नहीं देखे गए हैं. इसको लेकर विभाग अत्यंत चितिंत है. विभाग अब बाघों को ढूंढने की नई कवायद शुरू करने जा रहा है. साथ ही बाघ देखे जाने की सूचना पर इनाम भी घोषित किया गया है.

दरअसल पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में फरवरी में एक बाघिन की मौत हुई थी. उस दौरान तीन बाघों की मूवमेंट की खबर थी, लेकिन मार्च के बाद पीटीआर के बाघ नही देखें गए हैं. बाघों की तलाश के लिए पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में 300 उच्च क्षमता वाले कैमरा लगाए गए हैं. एक-एक वनरक्षी को तीन से चार कैमरों की जिम्मेदारी दी गई है. इसके साथ ही रिजर्व प्रबंधन ने बाघ देखने पर पांच हजार रुपये इनाम की भी घोषणा की है.

बाघों को ढूंढने की नई कवायद.

M- STRIPES एप से तलाशा जाएगा

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की तलाश और वन्य जीवों की निगरानी के लिए खास एप तैयार किया गया है. M - STRIPES नाम के इस एप पर अधिकारियों को एक क्लिक कर रिजर्व के सभी वन्य जीवों की जानकारी मिलेगी. फिलहाल ये एप ट्रायल पर है. खास बात ये है कि M- STRIPES एप ऑफलाइन भी काम करेगा. इसके लिए रिजर्व में तैनात 125 वन रक्षियों को मोबाइल उपलब्ध करवाया गया है.

पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर वाईके दास बताते हैं कि एप ट्रायल मोड में है, फिलहाल एक रेंजर और वनरक्षी से इसका काम लिया जा रहा है. उसके बाद सभी को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि इससे टाइगर और उनके मूवमेंट का पता लगाने में काफी सहायता मिलेगी. साथ ही वाटर सोर्स पर भी अच्छी तरह से निगरानी रखी जा सकेगी.

पलामू टाइगर रिजर्व में फिलहाल मैनुअल तरीके से वन्य जीवों पर निगरानी रखी जाती है. ट्रैकर और पेट्रोलिंग टीम वी आकार से जंगल को स्कैन करती है और हालात को कागजों पर नोट करती है. सभी कागजात जमा होने के बाद वन्य जीवों के स्थिति की समीक्षा की जाती है.

लेकिन इस प्रोसेस में लंबा वक्त गुजरता है, लेकिन M - STRIPES एप्प से अधिकारियों को तुरंत स्थिति की जानकारी मिल पाएगी. डायरेक्टर वाईके दास के बताया कि एप के माध्यम से शिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई में सहायता मिलेगी.

1026 वर्ग किलोमीटर में फैला रिजर्व

पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में हैं. 1974 में पूरे देश मे बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ 9 इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी.

पलामू टाइगर रिजर्व उन 9 इलाकों में से एक है जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ बताए गए थे. देश मे पहली बार 1932 बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी.

देश में पहली बार साल 1932 बाघों की गिनती पलामू से शुरू हुई थी. बाघों को संरक्षित करने के लिए साल 1974 में पलामू के 1026 वर्ग किलोमीटर में टाइगर रिजर्व बनाया गया. तब यहां बाघों की संख्या 50 थी लेकिन अब यहां बाघ नहीं दिखते. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में इसी साल फरवरी में एक बाघिन की मौत हुई थी. उस दौरान तीन बाघों की मूवमेंट की खबर थी, लेकिन मार्च के बाद पीटीआर में बाघ नही देखें गए हैं.

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बाघों की तलाश के लिए पलामू टाइगर रिजर्व में उच्च क्षमता वाले 300 कैमरे लगाए गए हैं. इसकी निगरानी के लिए हर वनरक्षी को तीन से चार कैमरों की जिम्मेदारी दी गई है. इसके साथ ही रिजर्व प्रबंधन ने बाघ देखने की सूचना देने पर पांच हजार रुपये इनाम की भी घोषणा की है. इसके साथ ही बाघों की तलाश और वन्य जीवों की निगरानी के लिए खास एप तैयार किया गया है.

M - STRIPES नाम के इस एप पर अधिकारियों को एक क्लिक कर रिजर्व के सभी वन्य जीवों की जानकारी मिलेगी. फिलहाल ये एप ट्रायल पर है. खास बात ये है कि M- STRIPES एप ऑफलाइन भी काम करेगा और शिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में भी कारगर साबित हो सकता है. उम्मीद है कि ये पहल कामयाब होगी और पलामू टाइगर रिजर्व में एक बार फिर बाघों का मूवमेंट दिखेगा.

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