पलामूः झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर पलामू के मोहम्मदगंज में महाभारत काल के आज भी अवशेष मौजूद है. मान्यता है कि मोहम्मदगंज में कोयल नदी के पास भीम का बनाया हुआ चूल्हा.
पहाड़ों की श्रृंखला मौजूद
ऐसा कहा जाता है कि पांडव जब अज्ञात वास में निकले थे तो पलामू के मोहम्मदगंज पंहुचे थे. यहां कोयल नदी के तट पर खाना बनाने के चूल्हा बनाया था. चूल्हा तीन बड़े- बड़े चट्टानों से बना हुआ है. जिस जगह पर चूल्हा है वहां से करीब 500 मीटर की दूरी पर पहाड़ों की श्रृंखला है. मान्यता है उन्ही पहाड़ो से भीम ने तीन बड़े चट्टानों को उठाकर चूल्हा बनाया था, जिस वजह से यह इलाका भीम चूल्हा के नाम से जाना जाता है.
सक्रांति पर लगता है मेला
भीम चूल्हा पर हर वर्ष सैकड़ों सैलानी घूमने के लिए आते हैं. भीम चूल्हा के पास ही उतर कोयल तहत परियोजना का बराज है, जहां हर वर्ष मकर संक्रांति के मौके पर मेला लगता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आस्था का बड़ा केंद्र है. सरकार अगर ध्यान दे तो इस इलाके को बड़ा पर्यटन क्षेत्र में तब्दील किया जा सकता है. भीम बराज मेदिनीनगर से करीब 95 जबकि हुसैनाबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर है. सड़क और रेल मार्ग से भीम चूल्हा के पास पंहुचा जा सकता है.