पाकुड़: देश में विकास के नाम पर भाजपा वोट बटोर रही है लेकिन इनका डंका झारखंड में आकर फुस हो जाता है. इसका मुख्य कारण है कि केंद्र की मोदी सरकार के यहां के आदिवासियों के उत्थान के लिए कोई एजेंडा नहीं है. ये बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने गुरुवार को जिला मुख्यालय स्थित परिसदन में पत्रकार सम्मेलन कर कहीं. अपनी मांगों को लेकर 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम करने जा रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि आदिवासी सेंगेल अभियान मरांग बुरू को बचाने, सरना कोड को लागू कराने, स्थानीय नीति को लागू करने, पलायन कर गए आदिवासियों एवं मूलवासियों को जमीन देने, रोजगार मुहैया कराने सहित अन्य कई मांगों को लेकर 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ ही नहीं बल्कि देश के सभी पहाड़ पर्वतों को आदिवासियो को सौंपे नहीं तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा. उन्होनें कहा कि मरांग बुरू पर आदिवासियों का अधिकार है न कि जैनियों का.
मीडिया से बात करते हुए सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड राज्य बने 22 वर्ष होने के बाद भी किसी सरकार ने स्थानीयता, आरक्षण और नियोजन नीति को स्पष्टता से स्थापित नहीं कर पाई और न ही कोई ठोस कदम उठा पाई. जिस कारण आज झारखंड में आदिवासी मूलवासी पलायन करने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि सोरेन परिवार 1932 का खतियान का हौआ बनाकर जनता को बेवकूफ बना रही है.
उन्होंने कहा कि आज झारखंड में बाहरी लोग रोजगार कर रहे हैं और नियोजन नीति लागू नहीं होने के कारण यहां के आदिवासी मूलवासी बेरोजगार हो गए हैं. सालखन मुर्मू ने कहा कि सोरेन परिवार ने आदिवासियों एवं मूलवासियों को मांस मदिरा देकर उसका वोट लिया लेकिन उनका भविष्य को अंधेरे कर दिया. सालखन मुर्मू ने कहा कि देश के गृहमंत्री संथाल परगना दौरा करने आ रहे लेकिन यहां के आदिवासियों एवं मूलवासियों के लिए नहीं बल्कि अपना वोट बैंक मजबूत करने.
सालखन मुर्मू ने कहा कि अगर भाजपा को झारखंड में आदिवासी एवं मुलवासियों का वोट लेना है तो पहले मरांग बुरू को आदिवासियों को सौंपे, यहां स्थानीय नीति को लागू करें, बेरोजगारों को रोजगार दें. इसके अलावा आदिवासी मूलवासी के एजेंडे पर बात करें तभी उन्हें यहां आदिवासी मूलवासी वोट देकर आगे बढ़ाएंगे नहीं तो झारखंड में भाजपा का मजबूत नहीं हो पायेगा. सालखन मुर्मू ने कहा कि हमें विश्वास है कि हमारी मांगे जल्द पूरी होगी क्योकि देश में पहली बार कोई आदिवासी महिला राष्ट्रपति के पद पर आसीन हैं.