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विधानसभा चुनाव 2019: पाकुड़ की जनता का मेनिफेस्टो - jharkhand assembly election

झारखंड में नवंबर के आखिरी और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव 2019 के होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. ऐसे में अभी से मतदाता तैयार हैं कि वो अपनी विधानसभा क्षेत्र के होने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से क्या चाहते हैं. मतदाताओं की मांग है कि उनका मेनिफेस्टो राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में इस बार शामिल हो.

पाकुड़ की जनता का मेनिफेस्टो
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Published : Sep 7, 2019, 7:12 AM IST

पाकुड़: संथाल परगना प्रमंडल के सबसे पिछड़े जिले पाकुड़ के लोगों ने विधानसभा चुनाव 2019 के लिए अपना मेनिफेस्टो ईटीवी भारत से साझा किया है. मेनिफेस्टो में जिले के लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार और उद्योग जैसे मुद्दों को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करने की बात कही है.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

झारखंड में नवंबर के आखिरी और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव 2019 के होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. ऐसे में अभी से मतदाता तैयार हैं कि वो अपनी विधानसभा क्षेत्र के होने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से क्या चाहते हैं. मतदाता की मांग है कि उनका मेनिफेस्टो राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में इस बार शामिल हो.

Manifesto of the people of Pakur in assembly election 2019
पाकुड़ की जनता का मेनिफेस्टो


एक नजर में पाकुड़ विधानसभा सीट
पाकुड़ विधानसभा सामान्य सीट है. आजादी के बाद से अबतक अधिकांश चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. जिले की इस विधानसभा सीट पर जनसंघ, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी और भारतीय जनता पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी जीत का स्वाद चखा है. पिछले 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आलमगीर आलम चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर झामुमो के मौलाना अकिल अख्तर और तीसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के रंजीत कुमार उर्फ रंजू तिवारी रहे थे.

Manifesto of the people of Pakur in assembly election 2019
पाकुड़ की जनता का मेनिफेस्टो

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: महेशपुर सीट से JMM विधायक स्टीफन मरांडी का रिपोर्ट कार्ड

वैसे तो इस क्षेत्र में स्वास्थ्य, रोजगार और सिंचाई की प्रमुख समस्या है. हालांकि चुनाव के वक्त मतदाताओं के दो धड़ों में बंट जाने के कारण यहां मतदाताओं का धुर्वीकरण ही उम्मीदवार की जीत या हार तय करता रहा है. पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल है. यहां आदिवासी मतदाता यदि एकजुट होकर किसी के पक्ष में मतदान कर दें, तो परिणाम बदलते भी हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के हजारों पटसन की खेती करने वाले किसानों को सरकार हो या स्थानीय जनप्रतिनिधि कोई सुविधाएं नहीं दिला पाए. जिसके चलते इन्हें उत्पादित पटसन का न तो उचित मूल्य मिल पाता है और फसलों के नुकसान होने पर बीमा की बात तो कहना भी बेइमानी है.

पाकुड़: संथाल परगना प्रमंडल के सबसे पिछड़े जिले पाकुड़ के लोगों ने विधानसभा चुनाव 2019 के लिए अपना मेनिफेस्टो ईटीवी भारत से साझा किया है. मेनिफेस्टो में जिले के लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार और उद्योग जैसे मुद्दों को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करने की बात कही है.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

झारखंड में नवंबर के आखिरी और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव 2019 के होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. ऐसे में अभी से मतदाता तैयार हैं कि वो अपनी विधानसभा क्षेत्र के होने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से क्या चाहते हैं. मतदाता की मांग है कि उनका मेनिफेस्टो राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में इस बार शामिल हो.

Manifesto of the people of Pakur in assembly election 2019
पाकुड़ की जनता का मेनिफेस्टो


एक नजर में पाकुड़ विधानसभा सीट
पाकुड़ विधानसभा सामान्य सीट है. आजादी के बाद से अबतक अधिकांश चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. जिले की इस विधानसभा सीट पर जनसंघ, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी और भारतीय जनता पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी जीत का स्वाद चखा है. पिछले 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आलमगीर आलम चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर झामुमो के मौलाना अकिल अख्तर और तीसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के रंजीत कुमार उर्फ रंजू तिवारी रहे थे.

Manifesto of the people of Pakur in assembly election 2019
पाकुड़ की जनता का मेनिफेस्टो

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: महेशपुर सीट से JMM विधायक स्टीफन मरांडी का रिपोर्ट कार्ड

वैसे तो इस क्षेत्र में स्वास्थ्य, रोजगार और सिंचाई की प्रमुख समस्या है. हालांकि चुनाव के वक्त मतदाताओं के दो धड़ों में बंट जाने के कारण यहां मतदाताओं का धुर्वीकरण ही उम्मीदवार की जीत या हार तय करता रहा है. पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल है. यहां आदिवासी मतदाता यदि एकजुट होकर किसी के पक्ष में मतदान कर दें, तो परिणाम बदलते भी हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के हजारों पटसन की खेती करने वाले किसानों को सरकार हो या स्थानीय जनप्रतिनिधि कोई सुविधाएं नहीं दिला पाए. जिसके चलते इन्हें उत्पादित पटसन का न तो उचित मूल्य मिल पाता है और फसलों के नुकसान होने पर बीमा की बात तो कहना भी बेइमानी है.

Intro:पाकुड़ : संथाल परगना प्रमंडल के सबसे पिछड़े जिले पाकुड़ के लोगो ने विधानसभा चुनाव 2019 के लिए अपना मेनिफेस्टो इटीभी भारत से सांझा किया है। मेनिफेस्टो में जिले के व्यवसायी हो, शिक्षित बेरोजगार हो, युवक या साधारण लोग सभी ने शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार और उद्योग जैसे मुद्दो को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करने की बात कही है।


Body:झारखंड में नवम्बर के अंतिम एवं दिसम्बर माह के दुसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव 2019 के होने की संभावनाए जतायी जा रही है। ऐसे में अभी से मतदाता तैयार है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र के होने वाले जनप्रतिनिधि एवं सरकार से क्या चाहते है। मतदाता यह भी चाहते है कि उनका मेनिफेस्टो राजनीतिक दलो के घोषणा पत्र में इस बार शामिल हो।

इटीभी भारत ने पाकुड़ जिले की जनता से उनकी मांगे जानी। जनता अपने घोषणा पत्र में किन किन मुद्दो को शामिल कर रही है इस पर चर्चा की गयी। 

एक नजर में पाकुड़ विधानसभा सीट 
पाकुड़ जिले का पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र सामान्य सीट है। आजादी के बाद से अबतक अधिकांश चुनावो में कांग्रेस के प्रत्याशियो ने जीत दर्ज की है। जिले के इस विधानसभा सीट पर जनसंघ, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी माक्र्सवादी एवं भारतीय जनता पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी जीत का स्वाद चखा है।

पिछले 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आलमगीर आलम चुनाव जीते थे। दुसरे स्थान पर झामुमो के मौलाना अकिल अख्तर और तीसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के रंजीत कुमार उर्फ रंजु तिवारी रहे थे।


Conclusion:वैसे तो इस क्षेत्र में स्वास्थ, रोजगार एवं सिचाई की प्रमुख समस्याए और मुद्दे भी है परंतु चुनाव के वक्त मतदाताओ के दो धड़ो में बंट जाने के कारण यहां मतदाताओ का धुर्वीकरण जीत हार तय करता रहा है। पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल है। यहां आदिवासी मतदाता यदि एकजुट होकर किसी के पक्ष में मतदान कर दे परिणाम बदलते भी है। इस विधानसभा क्षेत्र के हजारो पटसन की खेती करने वाले किसानो को सरकार हो या स्थानीय जनप्रतिनिधि कोई सुविधाए नही दिला पाये। जिसके चलते इन्हे उत्पादित पटसन का न तो उचित मुल्य मिल पाता है फसलो के नुकसान होने पर बीमा की बात तो कहना भी बैइमानी है।
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