पाकुड़: संथाल परगना प्रमंडल के सबसे पिछड़े जिले पाकुड़ के लोगों ने विधानसभा चुनाव 2019 के लिए अपना मेनिफेस्टो ईटीवी भारत से साझा किया है. मेनिफेस्टो में जिले के लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार और उद्योग जैसे मुद्दों को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करने की बात कही है.
झारखंड में नवंबर के आखिरी और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में विधानसभा चुनाव 2019 के होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. ऐसे में अभी से मतदाता तैयार हैं कि वो अपनी विधानसभा क्षेत्र के होने वाले जनप्रतिनिधि और सरकार से क्या चाहते हैं. मतदाता की मांग है कि उनका मेनिफेस्टो राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में इस बार शामिल हो.
एक नजर में पाकुड़ विधानसभा सीट
पाकुड़ विधानसभा सामान्य सीट है. आजादी के बाद से अबतक अधिकांश चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. जिले की इस विधानसभा सीट पर जनसंघ, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी और भारतीय जनता पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी जीत का स्वाद चखा है. पिछले 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आलमगीर आलम चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर झामुमो के मौलाना अकिल अख्तर और तीसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के रंजीत कुमार उर्फ रंजू तिवारी रहे थे.
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वैसे तो इस क्षेत्र में स्वास्थ्य, रोजगार और सिंचाई की प्रमुख समस्या है. हालांकि चुनाव के वक्त मतदाताओं के दो धड़ों में बंट जाने के कारण यहां मतदाताओं का धुर्वीकरण ही उम्मीदवार की जीत या हार तय करता रहा है. पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल है. यहां आदिवासी मतदाता यदि एकजुट होकर किसी के पक्ष में मतदान कर दें, तो परिणाम बदलते भी हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के हजारों पटसन की खेती करने वाले किसानों को सरकार हो या स्थानीय जनप्रतिनिधि कोई सुविधाएं नहीं दिला पाए. जिसके चलते इन्हें उत्पादित पटसन का न तो उचित मूल्य मिल पाता है और फसलों के नुकसान होने पर बीमा की बात तो कहना भी बेइमानी है.