गढ़वाः जिले में मछली पालन और उत्पादन के लिए मत्स्य विभाग ने एक विशेष योजना बनाई है. अब जलाशयों में मत्स्य विभाग की ओर से केज लगाने की तैयारी है, ताकि मछली उत्पादन में गढ़वा पूरे झारखंड में अव्वल बन सके. यह जानकारी जिला मत्स्य पदाधिकारी रामचंद्र कपसे ने दी.
अन्नराज डैम में लगाया जा रहा केज
गढ़वा जिले में मछली उत्पादन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं. जिले के चिरका डैम के बाद मत्स्य विभाग की ओर से अन्नराज डैम में केज लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसके लिए जिला मद से 99 लाख रुपये की स्वीकृति मिली है. जिसके बाद कार्य प्रगति पर है. वर्तमान में जिले में 250 से 300 रुपये प्रति किलो की दर से मछली बिक रही है.
विभाग मछुआरों को दे रहा सुविधाएं
गढ़वा तीन राज्यों से घिरा हुआ है. इस कारण यहां की मछली उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित झारखंड के अन्य इलाकों में भेजी जाती हैं. विभाग मत्स्य पालन के लिए मछुआरों को कई तरह की सुविधाएं दे रहा है. जैसे मछुआ आवास, मछली पालने के लिए तालाब का निर्माण, मछली पकड़ने के लिए जाल जैसे अन्य सामग्री दी जाती है. अब बड़े स्तर पर इसकी शुरुआत हो चुकी है.
केज लगाने से मछुआरों को होगी सहूलियत
अन्नराज डैम गढ़वा शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर है. इसलिए अन्नराज डैम में केज लग जाने से यहां पर मछुआरा को काफी सहूलियत होगी. तालाब के नजदीक ही बाजार मिल जाएगा. शहर के लोगों को ताजी मछली भी आसानी से मिल जाएगी. साथ ही मछली के उत्पादन से मत्स्य पलकों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी.
मत्स्य पदाधिकारी ने दी जानकारी
इस संबंध में जिला मत्स्य पदाधिकारी रामचंद्र कपसे ने कहा कि केज कचलर आधुनिक मछली पालन की प्रूवड टेक्नोलॉजी है. झारखंड केज स्टेट के नाम से जाना जाता है. चांडिल जलाशय से भारत में केज कल्चर की शुरूआत हुई थी. झारखंड में एक लाख हेक्टेयर पानी है. छोटे-बड़े कुल 200 जलाशय राज्य में हैं. गढ़वा में भी 54 जलाशय है. जिले में 600 हेक्टेयर से अधिक पानी है. हम जिले में 12 से 15 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन कर सकते हैं. केज एक्वा कल्चर प्रोजेक्ट लाने के लिए मैं डीसी महोदय को धन्यवाद देता हूं. निश्चित रूप से यह योजना सफल होगी. इसका रिजल्ट आने के बाद हम आने वाले दिनों में जिले के अन्य तालाबों में भी केज लगाएंगे.
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