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पाकुड़: चार माह से नहीं घूम रहा बसों का पहिया, चालक-खलासी परेशान

कोरोना काल में लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के रोजगार छिन गए हैं. पाकुड़ में चार महीने से बसों का परिचालन नहीं हुआ है. जिससे चालाक, खलासी के लिए भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

driver upset due to not operating bus in pakur
बसों का परिचालन बंद
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Published : Aug 8, 2020, 2:54 PM IST

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर जब से लॉकडाउन हुए हैं जिला मुख्यालय से दूसरे जिलों और राज्य की राजधानी जाने वाली बसों का पहिया थम सा गया है. बसों का पहिया नहीं घूमने के कारण इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सैकड़ों लोगों के सामने जीने और मरने की समस्या उत्पन्न हो गयी है.

देखें पूरी खबर

सभी के काम ठप

बसों का पहिया नहीं घूमने की वजह से चालक, खलासी और स्टैंड की किरानी के साथ-साथ बस स्टैंड स्थित चाय, नाश्ता, पान और अन्य दुकानों के दुकानदार भी बीते चार माह से परेशान हैं. बस नहीं चलने से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं जा रहे हैं. आने जाने के लिए यात्री नहीं आ रहे हैं और कमाई बंद हो गई है. जिला मुख्यालय से हर दिन लॉकडाउन होने से पहले बस यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने का काम किया करता था, लेकिन लागू लॉकडाउन के कारण बस का पहिया थम गया. जिसके चलते बसों के मालिकों को आर्थिक क्षति भी उठाने पर रही है. इसके साथ ही खलासी, चालक और बुकिंग करने वाले की किरानी की आमदनी बंद हो गयी है.

सरकार से कर रहें मांग

चालक हो या खलासी सरकार से सिर्फ एक ही मांग कर रहे हैं कि जिस तरह चार पहिया यात्री वाहनों को सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हुए वाहनों का परिचालन की इजाजत दी गयी है वैसे ही कुछ शर्तों पर बसों के परिचालन को भी इजाजत मिले ताकि उनका और उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके. चालक, खलासी और किरानी तो अब यह भी कहने लगे हैं कि यदि सरकार बसों का परिचालन नहीं करवा पा रही है तो कम से कम लॉकडाउन के दरमियान ही उन्हें भी कुछ सरकारी सुविधा मुहैया कराई जाए ताकि वे अपना और परिवार का पेट भर सके.

ये भी देखें- पानी बचाने के लिए नीति-नीयत जरूरी, राह दिखा रहा शिमला का आईआईएएस

बता दें कि पाकुड़ जिला मुख्यालय स्थित बस स्टैंड से प्रखंड मुख्यालयों के अलावे निकटवर्ती पश्चिम बंगाल, बिहार के अलावा झारखंड राज्य के दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, देवघर, बोकारो, रांची आदि स्थानों के लिए बस ही खुलती थी. जिसके सहारे हर दिन यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने और जाने का काम करते थे. यात्री लॉकडाउन में चार पहिया वाहनों को मिली विशेष छूट के बाद अतिरिक्त खर्च कर एक स्थान से दूसरे स्थान तो जा रहे हैं. लेकिन बसों का परिचालन नहीं होने से इसके चालक, खलासी और स्टैंड किरानी के समक्ष विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है.

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर जब से लॉकडाउन हुए हैं जिला मुख्यालय से दूसरे जिलों और राज्य की राजधानी जाने वाली बसों का पहिया थम सा गया है. बसों का पहिया नहीं घूमने के कारण इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सैकड़ों लोगों के सामने जीने और मरने की समस्या उत्पन्न हो गयी है.

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सभी के काम ठप

बसों का पहिया नहीं घूमने की वजह से चालक, खलासी और स्टैंड की किरानी के साथ-साथ बस स्टैंड स्थित चाय, नाश्ता, पान और अन्य दुकानों के दुकानदार भी बीते चार माह से परेशान हैं. बस नहीं चलने से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं जा रहे हैं. आने जाने के लिए यात्री नहीं आ रहे हैं और कमाई बंद हो गई है. जिला मुख्यालय से हर दिन लॉकडाउन होने से पहले बस यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने का काम किया करता था, लेकिन लागू लॉकडाउन के कारण बस का पहिया थम गया. जिसके चलते बसों के मालिकों को आर्थिक क्षति भी उठाने पर रही है. इसके साथ ही खलासी, चालक और बुकिंग करने वाले की किरानी की आमदनी बंद हो गयी है.

सरकार से कर रहें मांग

चालक हो या खलासी सरकार से सिर्फ एक ही मांग कर रहे हैं कि जिस तरह चार पहिया यात्री वाहनों को सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हुए वाहनों का परिचालन की इजाजत दी गयी है वैसे ही कुछ शर्तों पर बसों के परिचालन को भी इजाजत मिले ताकि उनका और उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके. चालक, खलासी और किरानी तो अब यह भी कहने लगे हैं कि यदि सरकार बसों का परिचालन नहीं करवा पा रही है तो कम से कम लॉकडाउन के दरमियान ही उन्हें भी कुछ सरकारी सुविधा मुहैया कराई जाए ताकि वे अपना और परिवार का पेट भर सके.

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बता दें कि पाकुड़ जिला मुख्यालय स्थित बस स्टैंड से प्रखंड मुख्यालयों के अलावे निकटवर्ती पश्चिम बंगाल, बिहार के अलावा झारखंड राज्य के दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, देवघर, बोकारो, रांची आदि स्थानों के लिए बस ही खुलती थी. जिसके सहारे हर दिन यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने और जाने का काम करते थे. यात्री लॉकडाउन में चार पहिया वाहनों को मिली विशेष छूट के बाद अतिरिक्त खर्च कर एक स्थान से दूसरे स्थान तो जा रहे हैं. लेकिन बसों का परिचालन नहीं होने से इसके चालक, खलासी और स्टैंड किरानी के समक्ष विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है.

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