लोहरदगा: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम कि लौ जब जलने लगी थी, उस दौरान लोहरदगा के बुधन सिंह ने साल 1932 में आजादी की लड़ाई में भाग लेकर जिले में स्वतंत्रता संग्राम का आगाज कर दिया था. तब उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. स्वतंत्रता संग्राम में बुधन सिंह के योगदान को लेकर समाज का हर वर्ग उन्हें नमन करता है. लोहरदगा शहरी क्षेत्र के बुधन सिंह लेन में रविवार को बुधन सिंह की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के हर वर्गों ने पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
स्वतंत्रता सेनानियों में अलग पहचान रखते थे बुधन सिंह
बुधन सिंह स्वतंत्रता सेनानियों में अलग पहचान रखते थे. उन्हें हर कोई जननायक के रूप में जानते हैं. टाना भगत समुदाय ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया था. बुधन सिंह स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में लगातार सक्रिय रहे और जेल भी गए. तमाम परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने आजादी की लड़ाई को जारी रखा.
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बुधन सिंह ने दलितों के लिए भी लड़ाई लड़ी
बुधन सिंह ने ठाकुरबाड़ी बाड़ी मंदिर में पुजारियों के प्रबल विरोध के बावजूद दलित वर्ग के लोगों को मंदिर में प्रवेश कराया, जिसके बाद उन्हें कई लोगों के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा. मंदिर के पुजारी ने उनके खिलाफ मुकदमा भी दायर कर दिया था. हालांकि इसमें बुधन सिंह की जीत हुई. डॉ राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण, श्रीकृष्ण सिंह, केबी सहाय और रामवृक्ष बेनीपुरी के संपर्क में रहने के कारण उनकी नेतृत्व क्षमता और भी निखरती चली गई थी. श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बीजेपी, कांग्रेस, भाकपा माले सहित विभिन्न राजनीतिक दलों, विभिन्न सामाजिक और धार्मिक दलों के प्रतिनिधियों ने शामिल होकर बुधन सिंह को श्रद्धांजलि दी.