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दिल की बीमारी ने दिखाई अलग राह, इस विधि से खेती कर कमा रहे लाखों का मुनाफा - लोहरदगा के किसान की कहानी

लोहरदगा के उमेश प्रसाद महतो ने सफलता की ऑर्गेनिक कहानी पेश की है. खेती को आमतौर पर घाटे से जोड़ कर देखा जाता है. लेकिन खेती की परिभाषा को अपनी मेहनत और लगन से उमेश ने बदल दिया है. उमेश ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती करते हैं. जिससे न केवल उन्हें बल्कि दूसरों को भी फायदा हो रहा है.

organic and mixed farming in lohardaga
उमेश प्रसाद महतो
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Published : Dec 8, 2019, 10:58 AM IST

लोहरदगाः झारखंड किसानों का राज्य है. यहां की आधी से ज्यादा आबादी खेती करती है. लोहरदगा जिले में भी ज्यादातर लोग खेती की बदौलत ही अपना परिवार चलाते हैं. खेती में कई चुनौतियों और समस्याओं के बावजूद कुछ ऐसे भी किसान हैं, जिन्होंने खेती की परिभाषा ही बदल दी है. इन्ही में से एक हैं उमेश प्रसाद महतो. उमेश ने ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती कर एक अलग मिसाल पेश की है.

देखें स्पेशल स्टोरी

दूसरों को भी दे रहे रोजगार
उमेश लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में खेती करते हैं. इनके खेतों में फल और सब्जियां हैं जिनमें अमरूद, एप्पल बेर, पपीता, केला शामिल हैं. दिलचस्प बात ये है कि उमेश न सिर्फ इस खेती से खुद लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि कई अन्य लोगों को भी उन्होंने रोजगार दिया है. उनके खेतों में काम करने वाले मजदूर भी काफी खुश हैं.

organic and mixed farming in lohardaga
खेतों की देखभाल करते उमेश

ये भी पढ़ें-दुमका में सुरक्षित मतदान कराना बड़ी चुनौती, प्रशासन ने बेहतर इंतजाम का किया दावा

स्थानीय मजदूर मनदीप उरांव कहते हैं कि पहले रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता था. अब तो यही खेतों में दिल लग जाता है. इस प्रकार की खेती करके काफी आनंद आता है. लोगों का साथ भी मिलता है. देखकर काफी अच्छा लगता है.

ये भी पढ़ें-बहुमत की ओर बढ़ रही है भाजपा, अपने दम पर बनाएगी झारखंड में सरकारः राजीव प्रताप रूडी

कैसे हुई इसकी शुरूआत
उमेश कहते हैं कि उन्हें हृदय रोग है और इसी से उन्हें एहसास हुआ कि आज के समय में फल का सेवन कितना जरूरी है. उनका कहना है कि ऑर्गेनिक खेती से मिलने वाले फल और सब्जियां खाई जाए तो बीमारियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने इस खेती की शुरुआत की. उनका कहना है कि उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती सब कुछ खुद के दम पर किया है.

उमेश एक ही खेत में फल और सब्जी दोनों उत्पादित कर दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं. कई ऐसे फलों को भी उन्होंने यहां पर उत्पादित करके दिखाया है जो दूसरे किसानों के लिए एक सपना था.

लोहरदगाः झारखंड किसानों का राज्य है. यहां की आधी से ज्यादा आबादी खेती करती है. लोहरदगा जिले में भी ज्यादातर लोग खेती की बदौलत ही अपना परिवार चलाते हैं. खेती में कई चुनौतियों और समस्याओं के बावजूद कुछ ऐसे भी किसान हैं, जिन्होंने खेती की परिभाषा ही बदल दी है. इन्ही में से एक हैं उमेश प्रसाद महतो. उमेश ने ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती कर एक अलग मिसाल पेश की है.

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दूसरों को भी दे रहे रोजगार
उमेश लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में खेती करते हैं. इनके खेतों में फल और सब्जियां हैं जिनमें अमरूद, एप्पल बेर, पपीता, केला शामिल हैं. दिलचस्प बात ये है कि उमेश न सिर्फ इस खेती से खुद लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि कई अन्य लोगों को भी उन्होंने रोजगार दिया है. उनके खेतों में काम करने वाले मजदूर भी काफी खुश हैं.

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खेतों की देखभाल करते उमेश

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स्थानीय मजदूर मनदीप उरांव कहते हैं कि पहले रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता था. अब तो यही खेतों में दिल लग जाता है. इस प्रकार की खेती करके काफी आनंद आता है. लोगों का साथ भी मिलता है. देखकर काफी अच्छा लगता है.

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कैसे हुई इसकी शुरूआत
उमेश कहते हैं कि उन्हें हृदय रोग है और इसी से उन्हें एहसास हुआ कि आज के समय में फल का सेवन कितना जरूरी है. उनका कहना है कि ऑर्गेनिक खेती से मिलने वाले फल और सब्जियां खाई जाए तो बीमारियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने इस खेती की शुरुआत की. उनका कहना है कि उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती सब कुछ खुद के दम पर किया है.

उमेश एक ही खेत में फल और सब्जी दोनों उत्पादित कर दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं. कई ऐसे फलों को भी उन्होंने यहां पर उत्पादित करके दिखाया है जो दूसरे किसानों के लिए एक सपना था.

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स्टोरी-ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती के उदाहरण बन गए हैं उमेश, एप्पल बेर, केला, अमरूद सब कुछ मिलता है यहां
.... उमेश की खेती देख कर मन हो जाता है प्रफुल्लित, अपनी मेहनत से बदल रहे खेती की तस्वीर
एंकर- झारखंड किसानों का राज्य है. यहां कृषि पर ही 70 प्रतिशत आबादी निर्भर करती है. झारखंड के लोहरदगा जिले में ज्यादातर लोग खेती और किसानी की बदौलत ही अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. खेती में कई चुनौतियों और समस्याओं के बावजूद कुछ ऐसे भी किसान हैं, जिन्होंने खेती की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया है. इसी में से एक हैं लोहरदगा के राणा चौक निवासी उमेश प्रसाद महतो. उमेश ने ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती की एक अलग ही मिसाल पेश की है. इनके खेतों में अदरक, हल्दी के साथ-साथ अमरुद, एप्पल बेर, केला, नींबू सहित कई और फल और सब्जियां भी मिलती है. उमेश की मेहनत में यह बता दिया है कि खेती करो तो कुछ अलग और अनोखे अंदाज में. लोग आपको आपकी खेती के माध्यम से ही पहचाने. लोग कहे कि वह देखो वह किसान जा रहा है जिसने खेती को एक नई पहचान दी है.

बाइट-उमेश प्रसाद महतो, किसान

वी/ओ- उमेश प्रसाद महतो ने लोहरदगा से लेकर सेन्हा प्रखंड अंतर्गत एकागुड़ी में लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती की है. इन के खेतों में तरह तरह के फल के पौधे, सब्जियां सब कुछ मिलते हैं.अमरूद, एप्पल बेर, पपीता, केला आदि को देखकर तो जैसे मुंह में पानी आ जाए. दिलचस्प बात यह है कि उमेश न सिर्फ इस खेती से खुद लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि कई मजदूर परिवारों को भी उन्होंने रोजगार दिया है. उनके खेतों में काम करने वाले मजदूर भी काफी खुश हैं. स्थानीय मजदूर मनदीप उरांव कहते हैं कि पहले रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता था. अब तो यही खेतों में दिल लग जाता है. इस प्रकार की खेती करके काफी आनंद आता है. लोगों का साथ भी मिलता है. देखकर काफी अच्छा लगता है. स्थानीय तौर पर रोजगार मिलने से पलायन भी नहीं करना पड़ता.

बाइट- मनदीप उरांव, स्थानीय मजदूर

वी/ओ- उमेश प्रसाद महतो ने 3 साल पहले ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती की शुरुआत की थी. उमेश कहते हैं कि वे खुद हृदय रोग के मरीज हैं. उन्हें एहसास हुआ कि आज के समय में फल का सेवन कितना जरूरी है. अपने खेतों में ऑर्गेनिक खेती से मिलने वाले फल और सब्जियों को खाया जाए तो बीमारियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने इस खेती की शुरुआत की थी. उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती. सब कुछ खुद के दम पर किया है. मन में थोड़ी सी टिस भी होती है कि सरकार यदि सहायता करती तो इस खेती को और भी बेहतर ढंग से कर सकते थे. फिर भी उमेश इस खेती से काफी खुश हैं. दूसरों को भी इस प्रकार की खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं. कई लोग उनके खेतों में आकर उनकी खेती को देखकर प्रेरणा ले रहे हैं.

पीटूसी-


Body:उमेश प्रसाद जैसे किसान विपरीत परिस्थितियों में भी खेती को एक नई पहचान दे रहे हैं. धान, गेहूं जैसी सामान्य फसलों के भरोसे रहकर हर साल खेती में धोखा खाने वाले किसानों के लिए उमेश की मेहनत एक प्रेरणा का स्रोत है. उमेश खुद भी कहते हैं कि अब जिस तरह से कम वर्षा हो रही है, उसके बाद ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती बेहद जरूरी है. कम पूंजी में ज्यादा लाभ चाहिए तो इस प्रकार का काम करना ही होगा.


Conclusion:लोहरदगा के किसान उमेश प्रसाद महतो ने ऑर्गेनिक और मिश्रित खेती का एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है. एक ही खेत में फल और सब्जी दोनों उत्पादित कर दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं. कई ऐसे फलों को भी उन्होंने यहां पर उत्पादित करके दिखाया है जो दूसरे किसानों के लिए एक सपना था. इनके खेत में एप्पल बेर, केला, अमरूद, पपीता, अदरक, हल्दी जैसी कई फसलें एक साथ उत्पादित की जाती हैं.
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