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लोहरदगा में आज भी नहीं है सीवरेज और ड्रेनेज की सुविधा, सड़क पर बहता है नाले का पानी - लोहरदगा सीवरेज और ड्रेनेज की सुविधा से दूर

लोहरदगा नगर परिषद 132 साल बाद भी अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाया है. शहर के लोग आज भी जल निकासी जैसी समस्या से जूझ रहे हैं. नगर परिषद का इतिहास अंग्रेजों के जमाने का है. फिर भी यहां पर आज तक न तो सीवरेज और न ही ड्रेनेज की व्यवस्था हुई है. बारिश होते ही शहर तालाब में तब्दील हो जाता है. नगर परिषद इस मामले में आज भी योजना बनाने तक ही अपनी भूमिका में सीमित रह गया है.

लोहरदगा में आज भी नहीं है सीवरेज और ड्रेनेज की सुविधा
Lohardaga denied sewerage and drainage facilities
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Published : Aug 8, 2020, 6:50 PM IST

लोहरदगा: जिला नगर परिषद 132 साल बाद भी अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाया है. शहर के लोग आज भी जल निकासी जैसी समस्या से जूझ रहे हैं. नगर परिषद का इतिहास अंग्रेजों के जमाने का है. फिर भी यहां पर आज तक न तो सीवरेज और न ही ड्रेनेज की व्यवस्था हुई है. बारिश होते ही शहर तालाब में तब्दील हो जाता है. नालियों का गंदा पानी बहता रहता है. नालियों के माध्यम से गंदे पानी को जहां-तहां निकासी किया जा रहा है. संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है. नगर परिषद इस मामले में आज भी योजना बनाने तक ही अपनी भूमिका में सीमित रह गया है.

देखें पूरी खबर

शहर के 24 वार्ड में जल निकासी की समस्या है गंभीर

2011 की जनगणना के अनुसार, लोहरदगा शहर की आबादी 57 हजार और यहां पर घरों की संख्या 17 हजार है. 24 वार्ड वाले लोहरदगा नगर परिषद में आज भी जल निकासी की समस्या कायम है. इन 9 सालों में शहर की आबादी काफी बढ़ चुकी है. घरों की संख्या भी बढ़ी है. शहर का विस्तार भी हुआ है. सुविधाएं आज भी जस की तस है. समस्याओं के निराकरण की दिशा में भी कोई पहल नहीं हो पाई है. लोग आज भी जड़वत समस्याओं से जूझने को विवश हैं. नगर परिषद मास्टर प्लान बनाने की बात कहता है. नगर परिषद के अधिकारी साफ तौर पर कहते हैं कि पहले बड़े शहरों में सीवरेज और ड्रेनेज की समस्या का समाधान होगा, उसके बाद लोहरदगा में कुछ हो सकता है.

ये भी पढ़ें-क्रांति दिवस पर स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करेंगे राष्ट्रपति, झारखंड के 5 स्वतंत्रता सेनानी होंगे शामिल

सड़क पर ही बहता रहता है नाला का पानी

महत्वपूर्ण बात यह है कि लोहरदगा शहर में जल निकासी की समस्या नहीं होने से बरसात में बेहद दयनीय स्थिति हो जाती है. लोगों के घरों में पानी भर जाता है. घर से बाहर निकलना भी मुश्किल होता है. शहर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि किसी एक छोर में पानी की निकासी नहीं हो सकती, जिससे शहर के अलग-अलग नालियों के पानी को जहां-तहां निकालना पड़ता है. कई जगहों पर तो सड़क पर ही नाला का पानी बहता रहता है. आने-जाने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है.

लोहरदगा नगर परिषद का इतिहास है काफी पुराना

लोहरदगा शहर नगर परिषद प्रशासनिक व्यवस्था के दृष्टिकोण से 132 साल पुराना है. यहां अंग्रेजों के जमाने से नगर परिषद की व्यवस्था काम कर रही है. राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले लोहरदगा नगर परिषद का इतिहास काफी पुराना है. फिर भी लोहरदगा शहर में जल निकासी जैसी समस्या का समाधान इन 132 सालों में भी नहीं हो पाया है. शहर के 24 वार्ड के लोग आज भी इस गंभीर समस्या से जूझते हैं. शहर की सड़कें नालियां बनी हुई है.

लोहरदगा: जिला नगर परिषद 132 साल बाद भी अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाया है. शहर के लोग आज भी जल निकासी जैसी समस्या से जूझ रहे हैं. नगर परिषद का इतिहास अंग्रेजों के जमाने का है. फिर भी यहां पर आज तक न तो सीवरेज और न ही ड्रेनेज की व्यवस्था हुई है. बारिश होते ही शहर तालाब में तब्दील हो जाता है. नालियों का गंदा पानी बहता रहता है. नालियों के माध्यम से गंदे पानी को जहां-तहां निकासी किया जा रहा है. संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है. नगर परिषद इस मामले में आज भी योजना बनाने तक ही अपनी भूमिका में सीमित रह गया है.

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शहर के 24 वार्ड में जल निकासी की समस्या है गंभीर

2011 की जनगणना के अनुसार, लोहरदगा शहर की आबादी 57 हजार और यहां पर घरों की संख्या 17 हजार है. 24 वार्ड वाले लोहरदगा नगर परिषद में आज भी जल निकासी की समस्या कायम है. इन 9 सालों में शहर की आबादी काफी बढ़ चुकी है. घरों की संख्या भी बढ़ी है. शहर का विस्तार भी हुआ है. सुविधाएं आज भी जस की तस है. समस्याओं के निराकरण की दिशा में भी कोई पहल नहीं हो पाई है. लोग आज भी जड़वत समस्याओं से जूझने को विवश हैं. नगर परिषद मास्टर प्लान बनाने की बात कहता है. नगर परिषद के अधिकारी साफ तौर पर कहते हैं कि पहले बड़े शहरों में सीवरेज और ड्रेनेज की समस्या का समाधान होगा, उसके बाद लोहरदगा में कुछ हो सकता है.

ये भी पढ़ें-क्रांति दिवस पर स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करेंगे राष्ट्रपति, झारखंड के 5 स्वतंत्रता सेनानी होंगे शामिल

सड़क पर ही बहता रहता है नाला का पानी

महत्वपूर्ण बात यह है कि लोहरदगा शहर में जल निकासी की समस्या नहीं होने से बरसात में बेहद दयनीय स्थिति हो जाती है. लोगों के घरों में पानी भर जाता है. घर से बाहर निकलना भी मुश्किल होता है. शहर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि किसी एक छोर में पानी की निकासी नहीं हो सकती, जिससे शहर के अलग-अलग नालियों के पानी को जहां-तहां निकालना पड़ता है. कई जगहों पर तो सड़क पर ही नाला का पानी बहता रहता है. आने-जाने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है.

लोहरदगा नगर परिषद का इतिहास है काफी पुराना

लोहरदगा शहर नगर परिषद प्रशासनिक व्यवस्था के दृष्टिकोण से 132 साल पुराना है. यहां अंग्रेजों के जमाने से नगर परिषद की व्यवस्था काम कर रही है. राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले लोहरदगा नगर परिषद का इतिहास काफी पुराना है. फिर भी लोहरदगा शहर में जल निकासी जैसी समस्या का समाधान इन 132 सालों में भी नहीं हो पाया है. शहर के 24 वार्ड के लोग आज भी इस गंभीर समस्या से जूझते हैं. शहर की सड़कें नालियां बनी हुई है.

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