लातेहार: प्रकृति पूजा का त्योहार सरहुल प्रकृति के कई गूढ़ रहस्य को भी प्रदर्शित करता है. मान्यता है कि सरहुल पूजा के लिए घड़े में रखा जाने वाला पानी आने वाले दिनों में बारिश और मौसम के मिजाज का संकेत देता है. सरहुल पूजा की मान्यताओं पर विश्वास करें तो इस बार अच्छी बारिश की संभावना है.
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लातेहार के आदिवासी मान्यताओं के विशेषज्ञ अधिवक्ता बिरसा मुंडा ने बताया कि सरहुल पूजा के 1 दिन पहले नए घड़े में पाहन के द्वारा पानी भर कर रखा जाता है. दूसरे दिन सरहुल पूजा के बाद घड़े के पानी को देखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि अगर घड़े में रखा गया पानी कम पाया गया तो बारिश की संभावना काफी कम हो जाती है. लेकिन अगर घड़े का पानी सूखे नहीं और घड़े में अधिक पानी बचे तो माना जाता है कि आने वाले बरसात में काफी अच्छी बारिश होगी. घड़े का पानी किसानों की खुशहाली का भी संकेत देता है.
प्रकृति की पूजा की जाती है: वहीं, आदिवासी समाज के विशेषज्ञ और शिक्षक रंथु उरांव ने कहा कि सरहुल पूरी तरह प्रकृति की आराधना का ही त्यौहार है. आदिवासी समाज के लोग सरहुल पर्व मनाकर प्रकृति के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं. प्रकृति भी समाज पर अपनी कृपा बरसाती है. इस दिन पेड़ पौधे और जल स्रोतों की भी पूजा की जाती है. घड़े का पानी समाज के खुशहाली का संकेत देता है. इसके बाद किसान खेती की तैयारी में भी जुट जाते हैं.
इस बार अच्छी होगी बारिश: आदिवासी समाज के पाहन पुजारी घनश्याम सिंह बताते हैं कि इस वर्ष सरहुल ने जो संकेत दिए हैं. उसके अनुसार काफी अच्छी बारिश की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में किसान भी काफी खुशहाल होंगे. सरहुल पूजा को लेकर घड़े में जो पानी रखा गया था. उससे मिले संकेत के अनुसार किसान पहली बारिश में ही खेती आरंभ कर सकते हैं. प्रकृति पूजा का त्योहार सरहुल समाज की खुशहाली का एक संकेत है. सरहुल हमें अभी संदेश देता है कि अगर हम प्रकृति की सुरक्षा करेंगे तो प्रकृति हमारी भी सुरक्षा करेगी.