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लातेहार के इस मुखिया ने पेड़ों को ही बना लिया बुढ़ापे का सहारा, बंजर भूमि की बदल दी सूरत

गुंजर उरांव ने पेड़ों को अपने बुढ़ापे का सहारा बना लिया है. उनके बगीचे में फलों के अलावे सौ से ज्यादा दूसरे पेड़ हैं. जिसे देखने काफी संख्या में लोग आते हैं.

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Published : Feb 21, 2019, 8:02 PM IST

देखिए स्पेशल स्टोरी

लातेहारः बस एक सोच आपकी जिंदगी बदल देती है. कुछ ऐसी ही सोच है जिले के परसही पंचायत के मुखिया गुंजर उरांव की. जिन्होंने पेड़-पौधों को ही अपनी फ्यूचर इंवेस्टमेंट के रूप में सेव कर ली है. उनकी इस पहल से उनका जीवन तो सुरक्षित हो ही गया है. साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश जा रहा है.

गुंजर उरांव एक साधारण परिवार से आते हैं. कुछ वर्ष पहले उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ हमेशा बुढ़ापे की चिंता सताती रहती थी. इस पर उनकी पत्नी ने बंजर पड़ी भूमि को उपजाऊ बनाकर उसमें पेड़-पौधे और सब्जी उत्पादन के लिए उन्हें प्रेरित किया.

इसके बाद पूरे परिवार के साथ मिलकर वे लोग अपने ड़ेढ एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने में जुट गए. एक साल की परिश्रम के बाद जमीन फसल लगाने के योग्य हो गया. मुखिया ने इस भूमि पर आम और अमरूद के अलावे 100 की संख्या में इमारती पेड़ लगा दिए. वहीं इसी जमीन में सब्जी भी लगाने लगे.

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गूंजर उरांव का प्रयास सफल रहा. अब तो दूर-दूर से लोग उनकी बागवानी देखने आते हैं. इस समय मुखिया ने कहा कि पेड़ ऐसे साथी हैं, जो कभी साथ नहीं छोड़ते. बुढ़ापे में हो सकता है कि बच्चे भी साथ न दें, लेकिन पेड़ हमेशा सच्चे साथी की तरह रहते हैं. वहीं ग्रामीण उबेश्वर उरांव ने कहा कि मुखिया का प्रयास काफी सराहनीय है. वे लोग भी प्रयास कर रहे हैं कि अपनी भूमि में इसी प्रकार फलदार वृक्ष लगाएं.

लातेहारः बस एक सोच आपकी जिंदगी बदल देती है. कुछ ऐसी ही सोच है जिले के परसही पंचायत के मुखिया गुंजर उरांव की. जिन्होंने पेड़-पौधों को ही अपनी फ्यूचर इंवेस्टमेंट के रूप में सेव कर ली है. उनकी इस पहल से उनका जीवन तो सुरक्षित हो ही गया है. साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश जा रहा है.

गुंजर उरांव एक साधारण परिवार से आते हैं. कुछ वर्ष पहले उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ हमेशा बुढ़ापे की चिंता सताती रहती थी. इस पर उनकी पत्नी ने बंजर पड़ी भूमि को उपजाऊ बनाकर उसमें पेड़-पौधे और सब्जी उत्पादन के लिए उन्हें प्रेरित किया.

इसके बाद पूरे परिवार के साथ मिलकर वे लोग अपने ड़ेढ एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने में जुट गए. एक साल की परिश्रम के बाद जमीन फसल लगाने के योग्य हो गया. मुखिया ने इस भूमि पर आम और अमरूद के अलावे 100 की संख्या में इमारती पेड़ लगा दिए. वहीं इसी जमीन में सब्जी भी लगाने लगे.

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गूंजर उरांव का प्रयास सफल रहा. अब तो दूर-दूर से लोग उनकी बागवानी देखने आते हैं. इस समय मुखिया ने कहा कि पेड़ ऐसे साथी हैं, जो कभी साथ नहीं छोड़ते. बुढ़ापे में हो सकता है कि बच्चे भी साथ न दें, लेकिन पेड़ हमेशा सच्चे साथी की तरह रहते हैं. वहीं ग्रामीण उबेश्वर उरांव ने कहा कि मुखिया का प्रयास काफी सराहनीय है. वे लोग भी प्रयास कर रहे हैं कि अपनी भूमि में इसी प्रकार फलदार वृक्ष लगाएं.

Intro:मुखिया ने पेड़ को बनाया बुढ़ापे का सहारा---- बंजर भूमि को लहलहाया-----
लातेहार। एंकर- कहा जाता है कि पेड़ मनुष्य के सच्चे साथी होते हैं। जब मुसीबत में अपने भी साथ छोड़ देते हैं तो उस वक्त भी पेड़ मनुष्य का सच्चा साथी बन खड़ा रहता है। इसी सोच के साथ लातेहार के परसही पंचायत के मुखिया गुंजर उरांव अपने बुढ़ापे के लिए पेड़ पौधों को सहारा बनाया है।


Body:vo-vo- दरअसल गुंजर उरांव एक साधारण परिवार से आते हैं। कुछ वर्ष पहले उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ हमेशा बुढ़ापे की चिंता सताती रहती थी। इस पर उनकी पत्नी ने बंजर पड़ी भूमि को उपजाऊ बनाकर उसमें पेड़-पौधे और सब्जी उत्पादन के लिए उन्हें प्रेरित किया। इसके बाद पूरे परिवार के साथ मिलकर यह लोग अपने ड़ेढ एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने में जुट गए।एक साल के परिश्रम के बाद भूमि फसल लगाने के योग्य हो गया। मुखिया ने इस भूमि पर आम और अमरूद के अलावे 100 की संख्या में इमारती पेड़ लगा दिए। वहीं इसी भूमि में सब्जी का उत्पादन प्रारंभ किया। गूँजर उराँव का प्रयास सफल रहा। अब तो दूर-दूर से लोग उनके बागवानी को देखने भी आते हैं इस समय में मुखिया ने कहा कि पेड़ ऐसे साथी हैं जो कभी साथ नहीं छोड़ते ।बुढ़ापे में हो सकता है कि बच्चे भी साथ ना दे परंतु पेड़ हमेशा सच्चे साथी रहते हैं। वहीं ग्रामीण उबेश्वर उरांव ने कहा कि मुखिया का प्रयास काफी सराहनीय है ।वे लोग भी प्रयास कर रहे हैं कि अपनी भूमि में इसी प्रकार फलदार वृक्ष लगाएं।
vo- Protecting old age by planting trees- visual and byte
byte- मुखिया गूंजर उरांव
byte- ग्रामीण उबेश्वर उरांव


Conclusion:पेड़ पौधों को अपने बुढ़ापे का सहारा बना कर मुखिया ने न सिर्फ अपना भविष्य सुरक्षित किया है ।बल्कि समाज के अन्य लोगों को भी एक नया संदेश दिया है। इससे पर्यावरण भी संरक्षित रहेगा।
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