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जहां कभी बम और बारूद की होती थी गंध, आज वहां है सरकारी स्मार्ट स्कूल

लातेहार का एक सरकारी स्कूल ऐसा है जो पूरे सूबे के लिए मिसाल पेश कर रहा है, यह स्कूल है मोरवाईकला का स्तरोन्नत उच्च विद्यालय. इस स्कूल में व्यवस्था का आलम यह है कि यहां के बच्चे अब निजी स्कूलों की तरह लैब और लाइब्रेरी के माहौल में पढ़-बढ़ रहे हैं.

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प्रैक्टिकल नॉलेज लेते बच्चे
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Published : Dec 14, 2019, 2:06 PM IST

लातेहार: सरकारी स्कूल सुनकर ही लगता है न कि एक वैसा स्कूल होगा जहां न शिक्षक होंगे, न पढ़ाई का कोई संसाधन ही, बस बच्चे जाएंगे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मिड डे मिल खाएंगे और खेल-कूदकर वापस घर लौट आएंगे. लेकिन जिले के स्तरोन्नत उच्च विद्यालय, मोरवाईकला ने इस धारणा को उलटकर रख दिया है.

देखें पूरी खबर


लैब की है व्यवस्था
कभी नक्सल के शरण स्थली के रूप में जाने जाने वाला बरवाडीह प्रखंड का मोरवाईकला उच्च विद्यालय आज बेहतर शिक्षा के केंद्र के रूप में अपनी अलग पहचान स्थापित बना रहा है. आज इस स्कूल की तकदीर बिल्कुल निजी विद्यालयों सी हो गई है. निजी स्कूल के बच्चों की तरह यहां के बच्चे भी अब सिर्फ किताबों में पढ़कर सब रट नहीं लिया करते बल्कि उसपर सवाल उठाते हैं, जब तक अपनी आंखों से उसे देख नहीं ले तब तक उसे मानने से इंकार करते हैं. बच्चों में यह बदलाव आया है स्कूल में नए शिक्षकों की बहाली और लैब की व्यवस्था हो जाने से.


नई शिक्षकों की हुई बहाली
इस स्कूल में पहले कभी दो तीन शिक्षक ही हुआ करते थे, ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती भी तो कहां से, लेकिन आज शिक्षकों की बहाली के बाद से स्कूल की तस्वीर बदल गई है. सरकार की तरफ से जो भी सुविधा दी जा रही थी, आज उसका भरपूर इस्तेमाल हो रहा है. सरकारी संसाधन सिर्फ स्कूलों की शोभा नहीं बढ़ा रहे बल्कि देश का भावी भविष्य संवार रहे हैं.

ये भी पढ़ें: नो सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे से निपटने के लिए नन्हें हाथ बना रहे रोबोट


बच्चों में है उत्साह
स्कूल में आए इस बदलाव को लेकर यहां पढ़ रहे बच्चों में काफी उत्साह है. वे कहते हैं कि नए शिक्षकों की बहाली होने के कारण जहां हर पीरियड की पढ़ाई समय-समय पर हो रही है, वहीं लैब स्टार्ट हो जाने से साइंस के वे शब्द जो सिर्फ हम सुनते आए थे, अब उन्हें माइक्रोस्कोप के सहारे देखकर हम बेहतर तरीके से जान-समझ पाते हैं. इस सकारात्मक बदलाव का ही कारण है कि स्कूल में बच्चों की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है. इस स्कूल ने लोगों के सामने जिस तरह की मिशाल पेश की है, वैसी ही मिशाल सब पेश करे तो सही में स्कूल की शिक्षा व्यवस्था दुरस्त हो जाएगी.

लातेहार: सरकारी स्कूल सुनकर ही लगता है न कि एक वैसा स्कूल होगा जहां न शिक्षक होंगे, न पढ़ाई का कोई संसाधन ही, बस बच्चे जाएंगे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मिड डे मिल खाएंगे और खेल-कूदकर वापस घर लौट आएंगे. लेकिन जिले के स्तरोन्नत उच्च विद्यालय, मोरवाईकला ने इस धारणा को उलटकर रख दिया है.

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लैब की है व्यवस्था
कभी नक्सल के शरण स्थली के रूप में जाने जाने वाला बरवाडीह प्रखंड का मोरवाईकला उच्च विद्यालय आज बेहतर शिक्षा के केंद्र के रूप में अपनी अलग पहचान स्थापित बना रहा है. आज इस स्कूल की तकदीर बिल्कुल निजी विद्यालयों सी हो गई है. निजी स्कूल के बच्चों की तरह यहां के बच्चे भी अब सिर्फ किताबों में पढ़कर सब रट नहीं लिया करते बल्कि उसपर सवाल उठाते हैं, जब तक अपनी आंखों से उसे देख नहीं ले तब तक उसे मानने से इंकार करते हैं. बच्चों में यह बदलाव आया है स्कूल में नए शिक्षकों की बहाली और लैब की व्यवस्था हो जाने से.


नई शिक्षकों की हुई बहाली
इस स्कूल में पहले कभी दो तीन शिक्षक ही हुआ करते थे, ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती भी तो कहां से, लेकिन आज शिक्षकों की बहाली के बाद से स्कूल की तस्वीर बदल गई है. सरकार की तरफ से जो भी सुविधा दी जा रही थी, आज उसका भरपूर इस्तेमाल हो रहा है. सरकारी संसाधन सिर्फ स्कूलों की शोभा नहीं बढ़ा रहे बल्कि देश का भावी भविष्य संवार रहे हैं.

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बच्चों में है उत्साह
स्कूल में आए इस बदलाव को लेकर यहां पढ़ रहे बच्चों में काफी उत्साह है. वे कहते हैं कि नए शिक्षकों की बहाली होने के कारण जहां हर पीरियड की पढ़ाई समय-समय पर हो रही है, वहीं लैब स्टार्ट हो जाने से साइंस के वे शब्द जो सिर्फ हम सुनते आए थे, अब उन्हें माइक्रोस्कोप के सहारे देखकर हम बेहतर तरीके से जान-समझ पाते हैं. इस सकारात्मक बदलाव का ही कारण है कि स्कूल में बच्चों की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है. इस स्कूल ने लोगों के सामने जिस तरह की मिशाल पेश की है, वैसी ही मिशाल सब पेश करे तो सही में स्कूल की शिक्षा व्यवस्था दुरस्त हो जाएगी.

Intro:लातेहार :- कभी नक्सल के शरण स्थली के रूप में जाने जाने वाला बरवाडीह प्रखण्ड का मोरवाई उच्च विद्यालय आज बेहतर शिक्षा के केंद्र के रूप में अपनी अलग पहचान स्थापित कर रहा है जहां आज इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या पहले से कई गुना अधिक हो चुकी है वहीं शिक्षकों की पर्याप्त मात्रा में पदस्थापना भी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का एक प्रमुख कारण बन रहा है । विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को डॉक्टर पढ़ाई के साथ साथ निजी विद्यालय की बेहतर सुविधा अब इस विद्यालय में मुहैया कराई जा रही है जहां पर स्कूली छात्र-छात्राएं बेहतर पठन-पाठन के साथ साथ विद्यालय में अब प्रयोगशाला के जरिए भी विज्ञान की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और आपने आने वाले भविष्य को संवारने में लगातार मेहनत कर रहे हैं । स्कूली छात्र छात्राओं की माने तो विद्यालय के माहौल पूरी तरीके से बदल चुका है जहां पहले से बेहतर शिक्षक की पदस्थापना है वही बेहतर माहौल में पढ़कर बेहतर सीखने का भी काम कर रहे हैं और अपने आने वाले भविष्य में कोई डॉक्टर तो कोई इंजीनियर बनकर अपने परिवार और विद्यालय के नाम रोशन करना चाह रहा है । वहीं शिक्षक और प्रधानाध्यापक की माने तो सभी शिक्षकों के सहयोग और अभिभावकों के साथ के बदौलत आज विद्यालय में अलग ही माहौल है जहां शांति व्यवस्था के बीच बच्चे अपनी किताबी पढ़ाई तो कर ही रहे हैं प्रयोगशाला और पुस्तकालय से भी ज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन को संवारने का प्रयास कर रहे हैं ।

बाईट 1 सन्तोषी कुमारी छात्रा

वाईट 2 सोनू कुमार छात्र

बाईट 3 अरसद अंसारी शिक्षक

बाईट 4 विश्वनाथ राम प्रधान्ध्यापक


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