लातेहार: सरकारी स्कूल सुनकर ही लगता है न कि एक वैसा स्कूल होगा जहां न शिक्षक होंगे, न पढ़ाई का कोई संसाधन ही, बस बच्चे जाएंगे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मिड डे मिल खाएंगे और खेल-कूदकर वापस घर लौट आएंगे. लेकिन जिले के स्तरोन्नत उच्च विद्यालय, मोरवाईकला ने इस धारणा को उलटकर रख दिया है.
लैब की है व्यवस्था
कभी नक्सल के शरण स्थली के रूप में जाने जाने वाला बरवाडीह प्रखंड का मोरवाईकला उच्च विद्यालय आज बेहतर शिक्षा के केंद्र के रूप में अपनी अलग पहचान स्थापित बना रहा है. आज इस स्कूल की तकदीर बिल्कुल निजी विद्यालयों सी हो गई है. निजी स्कूल के बच्चों की तरह यहां के बच्चे भी अब सिर्फ किताबों में पढ़कर सब रट नहीं लिया करते बल्कि उसपर सवाल उठाते हैं, जब तक अपनी आंखों से उसे देख नहीं ले तब तक उसे मानने से इंकार करते हैं. बच्चों में यह बदलाव आया है स्कूल में नए शिक्षकों की बहाली और लैब की व्यवस्था हो जाने से.
नई शिक्षकों की हुई बहाली
इस स्कूल में पहले कभी दो तीन शिक्षक ही हुआ करते थे, ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती भी तो कहां से, लेकिन आज शिक्षकों की बहाली के बाद से स्कूल की तस्वीर बदल गई है. सरकार की तरफ से जो भी सुविधा दी जा रही थी, आज उसका भरपूर इस्तेमाल हो रहा है. सरकारी संसाधन सिर्फ स्कूलों की शोभा नहीं बढ़ा रहे बल्कि देश का भावी भविष्य संवार रहे हैं.
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बच्चों में है उत्साह
स्कूल में आए इस बदलाव को लेकर यहां पढ़ रहे बच्चों में काफी उत्साह है. वे कहते हैं कि नए शिक्षकों की बहाली होने के कारण जहां हर पीरियड की पढ़ाई समय-समय पर हो रही है, वहीं लैब स्टार्ट हो जाने से साइंस के वे शब्द जो सिर्फ हम सुनते आए थे, अब उन्हें माइक्रोस्कोप के सहारे देखकर हम बेहतर तरीके से जान-समझ पाते हैं. इस सकारात्मक बदलाव का ही कारण है कि स्कूल में बच्चों की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है. इस स्कूल ने लोगों के सामने जिस तरह की मिशाल पेश की है, वैसी ही मिशाल सब पेश करे तो सही में स्कूल की शिक्षा व्यवस्था दुरस्त हो जाएगी.