लातेहारः भोला प्रसाद पेशे से फुटकर दुकानदार हैं. इनके अंदर समाज सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है. ऐसे में अपने स्तर से वो जहां तक हो सके समाज की सेवा किसी ना किसी रूप से हमेशा करते रहे हैं. गरीबी को इन्होंने काफी नजदीकी से देखा है. इस वजह से गरीबों की तकलीफ को भी यह अच्छी तरह जानते हैं. ऐसे में गरीबों की मदद करने के लिए यह हमेशा तत्पर रहते हैं.
गरीबी देखकर हुए विचलित, घर से की शुरूआत
गरीबों के बच्चे को देखकर दहल जाता था दिल भोला प्रसाद अक्सर श्रृंगार का सामान बेचने गांव में जाया करते हैं. ऐसे में गांव में नंगे बदन घूमते हुए बच्चों को देखकर उनका दिल दहल जाता. इसके बाद उनमें गरीबों का तन ढकने का जज्बा उत्पन्न हुआ. उन्होंने मन में ठान लिया कि जहां तक हो सके वो गरीबों की मदद करेंगे और उन्हें कपड़ा उपलब्ध करवाएंगे. शुरूआत इन्होंने अपने पास से ही की. घर में रखे कुछ पुराने कपड़े और आस-पड़ोस के लोगों के पुराने कपड़ों को लेकर वह गांव के गरीबों तक पहुंचे और उन्हें कपड़ा दिया. धीरे धीरे उनका यह कार्य लोकप्रिय होता गया.
लोगों ने की मदद
उनके इस नेक काम को देखकर स्थानीय स्तर के लोगों ने भी दिल खोलकर उन्हें इस काम में मदद देने लगे. घर के पास से खोल दिया मुफ्त कपड़ा दुकान भोला प्रसाद ने अपने घर के पास मुफ्त कपड़ा दुकान खोल दिया. जहां 24 घंटे गरीबों के लिए मुफ्त कपड़ा उपलब्ध रहता है. सुबह में भोला अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मिलकर कपड़ा दुकान में काम करते हैं और कपड़ा लेने आए गरीबों को मुफ्त में वस्त्र देते हैं.
गरीबी को करीब से देखा
बचपन के बारे में भोला प्रसाद बताते हैं कि उनका जीवन पूरी तरह तंगहाली में बीता था. उनके पिता स्वर्गीय मुन्ना प्रसाद होटलों में 50 पैसे प्रति जार की दर से पानी ढोने का काम करते थे. इसी बीच बीमारी से पिता का भी निधन हो गया और पूरा परिवार बेसहारा हो गया. स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि भोला प्रसाद को अपनी पढ़ाई भी अधूरी छोड़नी पड़ी. जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं उस उम्र में भोला रोजी-रोजगार की तलाश में जुट गए. काफी संघर्ष के बाद भोला जब अपने पैरों पर खड़ा हो पाया तो उन्होंने जहां तक हो सके गरीबों की मदद करने की ठान ली.
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परिवार का मिला पूरा साथ
भोला के इस समाज सेवा के कार्य में उनके परिवार के सदस्य भी पूरा सहयोग करते हैं. भोला की पत्नी सुनीता देवी ने कहा कि उनके पति अमीर तो नहीं है लेकिन हमेशा लोगों की सेवा में तत्पर रहते हैं. वह भी अपने पति के कार्यों में पूरा सहयोग करना चाहती है. वहीं भोला की बेटी जूही ने कहा कि जिस प्रकार उसके पापा गरीबों की सेवा करते हैं, वह भी आगे चलकर अपने पापा के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए गरीबों की सेवा करना चाहती है. उनकी दूसरी बेटी रुचि ने कहा कि पापा ने उन्हें बताया था कि किस प्रकार गरीबी में उनका जीवन बीता. इसके बावजूद उनके पिता गरीबों के लिए इतना कुछ कर रहे हैं. लॉकडाउन में भी उन लोगों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जहां तक हो सके समाज की सेवा की. आगे भी वो लोग हमेशा समाज की सेवा करेंगे
जहां चाह-वहां राह की कहावत को चरितार्थ करते हुए भोला ने यह दिखा दिया कि समाज सेवा के लिए पैसे से अमीर होना जरूरी नहीं है, आप दिल के अमीर हैं तो समाज के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं.