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लातेहार: सिस्टम ने ली 5 वर्षीय निम्मी की जान, दो दिनों से घर में नहीं जला था चूल्हा

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Published : May 17, 2020, 4:46 PM IST

Updated : May 26, 2020, 12:36 PM IST

लातेहार के मनिका प्रखंड में एक बच्ची की कथित भूख से मौत हो गई. निम्मी की मां ने उसकी मौत की वजह भूख को बताया है, वहीं जिला प्रशासन ने सफाई देते हुए बताया कि निम्मी की मौत भूख से नहीं, बल्कि बीमारी से हुई है. इस परिवार के घर पिछले दो दिनों से चूल्हा तक नहीं जला था. आस पास के लोग जो कुछ खाने को देते थे उसी के भरोसे इस परिवार का जीवन यापन हो रहा था.

A girl died of alleged hunger in Latehar
परिवार में मातम

लातेहार: सरकार भले ही गरीबों तक योजना का लाभ पहुंचाने के दावे कर रही हो, लेकिन धरातल पर सच्चाई यह है कि आज भी कई ऐसे गरीब हैं जो दाने-दाने को मोहताज हैं. गरीबी में जीवन जी रहे मनिका प्रखंड के हेसातू गांव निवासी जुगलाल भुइयां की 5 वर्षीय बच्ची व्यवस्था की भेंट चढ़ गई. मृतक बच्ची की मां का दावा है कि उनकी बेटी की मौत भूख के कारण हो गई है, क्योंकि घर में खाने के लिए एक दाना भी नहीं था. हालांकि प्रशासन ने बच्ची की मौत की वजह बीमारी को बताया है.

देखें पूरी खबर

लातेहार के हिसातू गांव निवासी जुगलाल भुइयां के 8 बच्चे हैं. वह अपने दो बच्चों के साथ लॉकडाउन से पहले ही लातेहार में संचालित एक भट्ठे में काम करने चला गया था. घर में उसकी पत्नी और पांच छोटे-छोटे बच्चे रह रहे थे. इस परिवार के पास राशन कार्ड भी नहीं था. ऐसे में पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया. इस विकट परिस्थिति में भी जुगलाल के परिवार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली. न तो मुखिया ने ही उस परिवार को अनाज दिया और न ही डीलर ने. आसपास के लोगों से मदद मिलने पर पूरे परिवार का खाना पीना चल रहा था.

इसे भी पढे़ं:- ग्रामीणों के लिए वरदान बना मनरेगा, जिले में 10,000 मजदूरों को मिल रहा है काम

2 दिन से नहीं बना था खाना
जुगलाल की पत्नी मानती ने कहा कि घर में अनाज नहीं रहने के कारण 2 दिनों से खाना नहीं बना था, बच्चे भूखे थे, जिसके कारण उनकी 5 वर्षीय बेटी निम्मी की तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई. उसने बताया कि आसपास के लोग कुछ दे देते थे तो घर में खाना बना लेती थी.

नहीं मिल रही थी मजदूरी
मृतका के पिता जुगलाल ने कहा कि वह भट्ठा में काम करने गया था, लेकिन वहां भी कई दिनों से मजदूरी भुगतान नहीं किया गया. उसने बताया कि लॉकडाउन के कारण वह घर भी नहीं पहुंच सका था. बच्चे की मौत की खबर मिलने के बाद वह किसी तरह से घर पहुंचा है.


प्रोफेसर ज्यांद्रेज का दावा भूख से हुई बच्ची की मौत
घटना की जानकारी मिलने के बाद अर्थशास्त्री ज्यांद्रेज पीड़ित के गांव पहुंचे और मामले की छानबीन की. उन्होंने स्पष्ट कहा कि महिला की घर की स्थिति को देखकर और आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ करने पर स्पष्ट पता चल रहा है कि बच्ची की मौत भूख से हुई है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार सिर्फ कोरी भाषण बाजी कर रही है, गरीबों तक राशन नहीं पहुंचना काफी दुखद है.

मुखिया ने कहा नहीं था राशन का फंड
गांव के मुखिया गोपाल सिंह ने कहा कि राशन के लिए उनके पास कोई फंड नहीं था, जो पैसे थे उससे राशन खरीदकर अन्य गांव के ग्रामीणों को बांट दिया गया था. उन्होंने स्वीकार किया कि इस महिला के घर में राशन नहीं पहुंच पाया है.

नहीं मांगी थी राशन
गांव के राशन डीलर का कहना है कि महिला ने उनसे राशन की मांग ही नहीं की थी.

बीमार थी बच्ची
इस संबंध में लातेहार एसडीएम सागर कुमार ने जांच के बाद कहा कि बच्ची की मौत भूख से नहीं बल्कि बीमारी के कारण हुई है. उन्होंने कहा कि पूछताछ में पता चला कि बच्ची अपने भाई-बहन के साथ बगल के तालाब में नहाने गई थी, उसके बाद उसकी तबीयत खराब हो गई, जिससे उसकी मौत हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि यह परिवार गांव में काफी कम रहता है, इस कारण से परिवार का राशन कार्ड नहीं बना होगा, पीड़ित परिवार का राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है.

प्रशासन ने दी मदद
घटना की जानकारी मिलने के मनिका के प्रखंड विकास पदाधिकारी एनके राम ने गांव पहुंचकर मृतक बच्ची के परिजनों को राशन और कुछ नगद पैसे भी दिए, साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार से मामले की जानकारी ली.

बच्ची की मौत भूख से हुई है या बीमारी से यह तो जांच का विषय है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि गरीबी के चरम पर रहने के बावजूद इस परिवार को लॉकडाउन की इस विकट स्थिति में भी किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली.

लातेहार: सरकार भले ही गरीबों तक योजना का लाभ पहुंचाने के दावे कर रही हो, लेकिन धरातल पर सच्चाई यह है कि आज भी कई ऐसे गरीब हैं जो दाने-दाने को मोहताज हैं. गरीबी में जीवन जी रहे मनिका प्रखंड के हेसातू गांव निवासी जुगलाल भुइयां की 5 वर्षीय बच्ची व्यवस्था की भेंट चढ़ गई. मृतक बच्ची की मां का दावा है कि उनकी बेटी की मौत भूख के कारण हो गई है, क्योंकि घर में खाने के लिए एक दाना भी नहीं था. हालांकि प्रशासन ने बच्ची की मौत की वजह बीमारी को बताया है.

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लातेहार के हिसातू गांव निवासी जुगलाल भुइयां के 8 बच्चे हैं. वह अपने दो बच्चों के साथ लॉकडाउन से पहले ही लातेहार में संचालित एक भट्ठे में काम करने चला गया था. घर में उसकी पत्नी और पांच छोटे-छोटे बच्चे रह रहे थे. इस परिवार के पास राशन कार्ड भी नहीं था. ऐसे में पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया. इस विकट परिस्थिति में भी जुगलाल के परिवार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली. न तो मुखिया ने ही उस परिवार को अनाज दिया और न ही डीलर ने. आसपास के लोगों से मदद मिलने पर पूरे परिवार का खाना पीना चल रहा था.

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2 दिन से नहीं बना था खाना
जुगलाल की पत्नी मानती ने कहा कि घर में अनाज नहीं रहने के कारण 2 दिनों से खाना नहीं बना था, बच्चे भूखे थे, जिसके कारण उनकी 5 वर्षीय बेटी निम्मी की तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई. उसने बताया कि आसपास के लोग कुछ दे देते थे तो घर में खाना बना लेती थी.

नहीं मिल रही थी मजदूरी
मृतका के पिता जुगलाल ने कहा कि वह भट्ठा में काम करने गया था, लेकिन वहां भी कई दिनों से मजदूरी भुगतान नहीं किया गया. उसने बताया कि लॉकडाउन के कारण वह घर भी नहीं पहुंच सका था. बच्चे की मौत की खबर मिलने के बाद वह किसी तरह से घर पहुंचा है.


प्रोफेसर ज्यांद्रेज का दावा भूख से हुई बच्ची की मौत
घटना की जानकारी मिलने के बाद अर्थशास्त्री ज्यांद्रेज पीड़ित के गांव पहुंचे और मामले की छानबीन की. उन्होंने स्पष्ट कहा कि महिला की घर की स्थिति को देखकर और आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ करने पर स्पष्ट पता चल रहा है कि बच्ची की मौत भूख से हुई है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार सिर्फ कोरी भाषण बाजी कर रही है, गरीबों तक राशन नहीं पहुंचना काफी दुखद है.

मुखिया ने कहा नहीं था राशन का फंड
गांव के मुखिया गोपाल सिंह ने कहा कि राशन के लिए उनके पास कोई फंड नहीं था, जो पैसे थे उससे राशन खरीदकर अन्य गांव के ग्रामीणों को बांट दिया गया था. उन्होंने स्वीकार किया कि इस महिला के घर में राशन नहीं पहुंच पाया है.

नहीं मांगी थी राशन
गांव के राशन डीलर का कहना है कि महिला ने उनसे राशन की मांग ही नहीं की थी.

बीमार थी बच्ची
इस संबंध में लातेहार एसडीएम सागर कुमार ने जांच के बाद कहा कि बच्ची की मौत भूख से नहीं बल्कि बीमारी के कारण हुई है. उन्होंने कहा कि पूछताछ में पता चला कि बच्ची अपने भाई-बहन के साथ बगल के तालाब में नहाने गई थी, उसके बाद उसकी तबीयत खराब हो गई, जिससे उसकी मौत हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि यह परिवार गांव में काफी कम रहता है, इस कारण से परिवार का राशन कार्ड नहीं बना होगा, पीड़ित परिवार का राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है.

प्रशासन ने दी मदद
घटना की जानकारी मिलने के मनिका के प्रखंड विकास पदाधिकारी एनके राम ने गांव पहुंचकर मृतक बच्ची के परिजनों को राशन और कुछ नगद पैसे भी दिए, साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार से मामले की जानकारी ली.

बच्ची की मौत भूख से हुई है या बीमारी से यह तो जांच का विषय है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि गरीबी के चरम पर रहने के बावजूद इस परिवार को लॉकडाउन की इस विकट स्थिति में भी किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली.

Last Updated : May 26, 2020, 12:36 PM IST
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