कोडरमा: जिले के बेकोबार पंचायत में बना यह जलमीनार हाथी का दांत साबित हो रहा है. 2017 से यहां से लोगों को मिलने वाली जलापूर्ति पूरी तरह से ठप पड़ी है. जिसके कारण न सिर्फ लोगों को दूषित जल का सेवन करना पड़ रहा है, बल्कि यहां लगे लाखों रुपए के मोटर और अन्य इक्यूपमेंट भी जंक खा रहे हैं. बहरहाल स्थानीय लोगों ने जलापूर्ति योजना को फिर से शुरू करने की मांग की है.
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जलापूर्ति योजना पूरी तरह ठप
दरअसल, इस जलापूर्ति योजना की शुरुआत से लेकर 2 सालों तक लोगों को मुफ्त पानी दिए जाने की बात कही गई थी. 2 सालों के बाद इसका संचालन ग्रामीणों की सहमति से तय किए गए जल कर से किया जाना था. पंचायत के मुखिया रहमत अली का कहना है कि 2 सालों के बाद लोगों ने जल कर नहीं दिया और पैसे मांगने गई जल सहिया के साथ बदसलूकी भी की जाती थी. यही कारण है कि पेयजल आपूर्ति योजना पूरी तरह से ठप पड़ गया.
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स्थानीय भुगत रहे खामियाजा
ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों के बीच आपसी तालमेल के अभाव के कारण शुद्ध पेयजल के लिए करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया जलापूर्ति योजना पूरी तरह से ठप पड़ा है और इसका खामियाजा स्थानीय को भुगतना पड़ रहा है.