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करोड़ों की लागत से बना जलमीनार पड़ा है बेकार, नहीं मिल रहा पानी, लग रहा जंग - जलापूर्ति योजना कोडरमा

कोडरमा के बेकोबार पंचायत में करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया ग्रामीण जलापूर्ति योजना ठप पड़ा है. 2017 के बाद से जलापूर्ति नहीं होने के कारण लोग परेशान हैं.

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बेकार पड़ा जलमीनार
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Published : Sep 6, 2020, 4:46 PM IST

कोडरमा: जिले के बेकोबार पंचायत में बना यह जलमीनार हाथी का दांत साबित हो रहा है. 2017 से यहां से लोगों को मिलने वाली जलापूर्ति पूरी तरह से ठप पड़ी है. जिसके कारण न सिर्फ लोगों को दूषित जल का सेवन करना पड़ रहा है, बल्कि यहां लगे लाखों रुपए के मोटर और अन्य इक्यूपमेंट भी जंक खा रहे हैं. बहरहाल स्थानीय लोगों ने जलापूर्ति योजना को फिर से शुरू करने की मांग की है.

देखें पूरी खबर
2017 से पड़ा है बेकारसाल 2014 में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री और वर्तमान में कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने इस जलापूर्ति योजना का उद्घाटन किया था और 2 सालों तक बेकोबार पंचायत समेत दो अन्य पंचायतों के तकरीबन 750 लोगों तक इस जलमीनार से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन 2017 से जलापूर्ति पूरी तरह से ठप है. जलापूर्ति ठप होने के पीछे स्थानीय लोग बेकोबार पंचायत के मुखिया को जिम्मेदार बता रहें हैं.

ये भी पढ़ें- दुमकाः मचान बनाकर छात्र कर रहा ऑनलाइन क्लास, नेटवर्क की समस्या को कर रहा दूर

जलापूर्ति योजना पूरी तरह ठप
दरअसल, इस जलापूर्ति योजना की शुरुआत से लेकर 2 सालों तक लोगों को मुफ्त पानी दिए जाने की बात कही गई थी. 2 सालों के बाद इसका संचालन ग्रामीणों की सहमति से तय किए गए जल कर से किया जाना था. पंचायत के मुखिया रहमत अली का कहना है कि 2 सालों के बाद लोगों ने जल कर नहीं दिया और पैसे मांगने गई जल सहिया के साथ बदसलूकी भी की जाती थी. यही कारण है कि पेयजल आपूर्ति योजना पूरी तरह से ठप पड़ गया.

ये भी पढ़ें- अवैध लकड़ी लदा ट्रैक्टर जब्त, तस्करों में मचा हड़कंप


स्थानीय भुगत रहे खामियाजा
ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों के बीच आपसी तालमेल के अभाव के कारण शुद्ध पेयजल के लिए करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया जलापूर्ति योजना पूरी तरह से ठप पड़ा है और इसका खामियाजा स्थानीय को भुगतना पड़ रहा है.

कोडरमा: जिले के बेकोबार पंचायत में बना यह जलमीनार हाथी का दांत साबित हो रहा है. 2017 से यहां से लोगों को मिलने वाली जलापूर्ति पूरी तरह से ठप पड़ी है. जिसके कारण न सिर्फ लोगों को दूषित जल का सेवन करना पड़ रहा है, बल्कि यहां लगे लाखों रुपए के मोटर और अन्य इक्यूपमेंट भी जंक खा रहे हैं. बहरहाल स्थानीय लोगों ने जलापूर्ति योजना को फिर से शुरू करने की मांग की है.

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2017 से पड़ा है बेकारसाल 2014 में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री और वर्तमान में कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने इस जलापूर्ति योजना का उद्घाटन किया था और 2 सालों तक बेकोबार पंचायत समेत दो अन्य पंचायतों के तकरीबन 750 लोगों तक इस जलमीनार से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन 2017 से जलापूर्ति पूरी तरह से ठप है. जलापूर्ति ठप होने के पीछे स्थानीय लोग बेकोबार पंचायत के मुखिया को जिम्मेदार बता रहें हैं.

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जलापूर्ति योजना पूरी तरह ठप
दरअसल, इस जलापूर्ति योजना की शुरुआत से लेकर 2 सालों तक लोगों को मुफ्त पानी दिए जाने की बात कही गई थी. 2 सालों के बाद इसका संचालन ग्रामीणों की सहमति से तय किए गए जल कर से किया जाना था. पंचायत के मुखिया रहमत अली का कहना है कि 2 सालों के बाद लोगों ने जल कर नहीं दिया और पैसे मांगने गई जल सहिया के साथ बदसलूकी भी की जाती थी. यही कारण है कि पेयजल आपूर्ति योजना पूरी तरह से ठप पड़ गया.

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स्थानीय भुगत रहे खामियाजा
ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों के बीच आपसी तालमेल के अभाव के कारण शुद्ध पेयजल के लिए करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया जलापूर्ति योजना पूरी तरह से ठप पड़ा है और इसका खामियाजा स्थानीय को भुगतना पड़ रहा है.

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