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अनाथ सपना के हौसले को DC ने दी उड़ान, अभिभावक बन स्कूल में कराया एडमिशन

कोडरमा डीसी रमेश घोलप ने अनाथ बच्ची सपना के हौसले को दी उड़ान. अभिभावक बन कर अनाथ बच्ची का स्कूल में एडमिशन कराते हुए हर संभव मदद का दिया भरोसा दिया.

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डीसी रमेश घोलप की पहल
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Published : Jan 8, 2020, 6:30 PM IST

कोडरमा: जिले के उपायुक्त रमेश घोलप ने एक अनूठी मिसाल पेश की है. एक अनाथ बच्ची का अभिभावक बनकर उपायुक्त रमेश घोलप ने न सिर्फ बच्ची के हौसले को पंख दिया, बल्कि अब तक लोगों की नजरों से दूर रह रही बच्ची को समाज की मुख्यधारा से जोड़ दिया है.

देखें पूरी खबर

अनाथ हो गई थी सपना
दरअसल, काफी कम उम्र में ही सपना की मां गीता और उसके पिता ईश्वर दास की मौत हो गयी थी. ऐसे में अनाथ बच्ची किसी तरह दूसरों के यहां रह कर गुजर-बसर कर रही थी. लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी कोडरमा उपायुक्त को मिली वे खुद सपना के घर पहुंचे और सपना का एडमिशन कस्तूरबा विद्यालय में कराया और खूद एडमिशन रजिस्टर पर उसके अभिभावक के रूप में हस्ताक्षर भी किया. उपायुक्क्त रमेश घोलप ने कहा कि वे इस तरह के बच्चों की मदद के लिए हमेशा आगे आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि महिला और बाल विकास योजना के तहत सपना को लालन-पालन के लिए दो हजार रुपए 18 साल तक दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें- PVUNL ने 60 मजदूरों को गेट के बाहर का दिखाया रास्ता, विरोध में हंगामा

डीसी की पहल
बता दें कि बचपन में ही माता पिता का साया उठने के बाद सपना ने आंगनबाड़ी में पढ़ाई के बाद मजबूरियों के कारण पढ़ाई से रिश्ता नाता छोड़ दिया था. लेकिन शिक्षा के प्रति उसकी जिज्ञासा को देखते हुए एक कार्यक्रम में मिले उपायुक्त रमेश घोलप ने उसे शिक्षा के काफी करीब ला दिया है. सपना के माता-पिता के गुजरने के बाद उसका लालन-पालन करने वाली चाची बसंती देवी ने बताया कि उसने किसी तरह से सपना का लालन-पालन तो किया, लेकिन उसकी पढ़ाई जारी नहीं रख सकी.

ये भी पढ़ें- CAA-NRC के विरोध में उमड़ा हुजूम, लेकिन पता नहीं ये है क्या

बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास
वहीं, कस्तूरबा विद्यालय की प्रिंसिपल ने बताया कि जिस बच्ची की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई है, वो उसे बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी.

कोडरमा: जिले के उपायुक्त रमेश घोलप ने एक अनूठी मिसाल पेश की है. एक अनाथ बच्ची का अभिभावक बनकर उपायुक्त रमेश घोलप ने न सिर्फ बच्ची के हौसले को पंख दिया, बल्कि अब तक लोगों की नजरों से दूर रह रही बच्ची को समाज की मुख्यधारा से जोड़ दिया है.

देखें पूरी खबर

अनाथ हो गई थी सपना
दरअसल, काफी कम उम्र में ही सपना की मां गीता और उसके पिता ईश्वर दास की मौत हो गयी थी. ऐसे में अनाथ बच्ची किसी तरह दूसरों के यहां रह कर गुजर-बसर कर रही थी. लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी कोडरमा उपायुक्त को मिली वे खुद सपना के घर पहुंचे और सपना का एडमिशन कस्तूरबा विद्यालय में कराया और खूद एडमिशन रजिस्टर पर उसके अभिभावक के रूप में हस्ताक्षर भी किया. उपायुक्क्त रमेश घोलप ने कहा कि वे इस तरह के बच्चों की मदद के लिए हमेशा आगे आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि महिला और बाल विकास योजना के तहत सपना को लालन-पालन के लिए दो हजार रुपए 18 साल तक दिए जाएंगे.

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डीसी की पहल
बता दें कि बचपन में ही माता पिता का साया उठने के बाद सपना ने आंगनबाड़ी में पढ़ाई के बाद मजबूरियों के कारण पढ़ाई से रिश्ता नाता छोड़ दिया था. लेकिन शिक्षा के प्रति उसकी जिज्ञासा को देखते हुए एक कार्यक्रम में मिले उपायुक्त रमेश घोलप ने उसे शिक्षा के काफी करीब ला दिया है. सपना के माता-पिता के गुजरने के बाद उसका लालन-पालन करने वाली चाची बसंती देवी ने बताया कि उसने किसी तरह से सपना का लालन-पालन तो किया, लेकिन उसकी पढ़ाई जारी नहीं रख सकी.

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बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास
वहीं, कस्तूरबा विद्यालय की प्रिंसिपल ने बताया कि जिस बच्ची की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई है, वो उसे बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी.

Intro:कोडरमा उपायुक्त रमेश घोलप ने एक अनूठी मिसाल पेश की है । एक अनाथ बच्ची का अभिभावक बन कर उपायुक्त रमेश घोलप ने न सिर्फ अनाथ बच्ची के हौसले को पंख दिए हैं बल्कि अब तक लोगों की नजरों से दूर रह रही बच्ची को समाज की मुख्यधारा से जोड़ दिया है ।


Body:जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों यह गाना भले ही फिल्मों में गाया गया हो लेकिन जिस अंदाज में कोडरमा उपायुक्त रमेश घोलप ने गुमो बस्ती के हरिजन टोला में रहने वाली सपना का एडमिशन कस्तूरबा विद्यालय में कराया है उससे तो यह गाना हकीकत में सच साबित हो रही है । दरअसल काफी कम उम्र में ही सपना की मां गीता और उसके पिता ईश्वर दास का निधन हो गया था ऐसे में अनाथ बच्ची किसी तरह दूसरों परिजनों के यहां गुजर-बसर कर रही थी लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी कोडरमा उपायुक्त को मिली वे खुद सपना के घर पहुंचे और सपना का एडमिशन कस्तूरबा विद्यालय में कराया और खूब एडमिशन रजिस्टर पर उसके अभिभावक के रूप में हस्ताक्षर भी किए । उपायुक्क्त रमेश घोलप ने कहा कि वे इस तरह के बच्चों की मदद के लिए हमेशा आगे आते रहेंगे ।उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास योजना के तहत सपना को लालन-पालन के लिए दो हजार रुपये अठारह सालों तक दिए जाएंगे ।

बाईट:- रमेश घोलप उपायुक्त कोडरमा।

बचपन में ही माता पिता का साया उठने के बाद सपना ने आंगनबाड़ी में पढ़ाई के बाद मजबूरियों के कारण पढ़ाई से रिश्ता नाता छोड़ दिया था । लेकिन शिक्षा के प्रति उसकी जिज्ञासा को देखते हुए एक कार्यक्रम में मिले उपायुक्त रमेश घोलप ने उसे शिक्षा के काफी करीब ला दिया है । सपना के माता-पिता के गुजरने के बाद उसके लालन-पालन करने वाली चाची बसंती देवी ने बताया कि उन्हें किसी तरह से सपना का लालन-पालन तो किया लेकिन उसकी पढ़ाई जारी नहीं रख सकी । हालांकि उन्हें इस बात की खुशी है कि खुद डीसी ने आकर उनकी बच्ची का एडमिसन कराया हैं ।

बाईट:-बसंती देवी ,सपना के परिजन ।

उपायुक्त खुद सपना के घर पहुंचे और बतौर अभिभावक एडमिशन रजिस्टर में सिग्नेचर कर कस्तूरबा विद्यालय में उसका एडमिशन कराया । स्कूल में दाखिला के बाद सपना को उपायुक्त ने स्कूल सामाग्री के अलावे जूते चप्पल और स्कूल ड्रेस भी दिए । इतना ही नहीं उपायुक्त में अपनी गाड़ी में बिठाकर सपना को स्कूल तक पहुंचाया ।कस्तूरबा विद्यालय की प्राचार्य ने बताया कि जिस बच्ची की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई है वे उसे बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी ।

बाईट:-विभा देवी ,प्राचार्या ,कस्तूरबा विद्यालय ।



Conclusion:कोडरमा उपायुक्त रमेश घोलप ने जिस तरह से एक अनाथ बच्ची को बेहतर शिक्षा देने के लिए बतौर अभिभावक जो भूमिका निभाई है वह काबिले तारीफ है । इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कभी सपना को अपने माता-पिता के गुजरने का दुख हुआ तो कभी उपायुक्त के इस पहल पर सपना कुछ देर के लिए भावुक भी हो गई ।
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