कोडरमा: जिले के उपायुक्त रमेश घोलप ने एक अनूठी मिसाल पेश की है. एक अनाथ बच्ची का अभिभावक बनकर उपायुक्त रमेश घोलप ने न सिर्फ बच्ची के हौसले को पंख दिया, बल्कि अब तक लोगों की नजरों से दूर रह रही बच्ची को समाज की मुख्यधारा से जोड़ दिया है.
अनाथ हो गई थी सपना
दरअसल, काफी कम उम्र में ही सपना की मां गीता और उसके पिता ईश्वर दास की मौत हो गयी थी. ऐसे में अनाथ बच्ची किसी तरह दूसरों के यहां रह कर गुजर-बसर कर रही थी. लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी कोडरमा उपायुक्त को मिली वे खुद सपना के घर पहुंचे और सपना का एडमिशन कस्तूरबा विद्यालय में कराया और खूद एडमिशन रजिस्टर पर उसके अभिभावक के रूप में हस्ताक्षर भी किया. उपायुक्क्त रमेश घोलप ने कहा कि वे इस तरह के बच्चों की मदद के लिए हमेशा आगे आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि महिला और बाल विकास योजना के तहत सपना को लालन-पालन के लिए दो हजार रुपए 18 साल तक दिए जाएंगे.
ये भी पढ़ें- PVUNL ने 60 मजदूरों को गेट के बाहर का दिखाया रास्ता, विरोध में हंगामा
डीसी की पहल
बता दें कि बचपन में ही माता पिता का साया उठने के बाद सपना ने आंगनबाड़ी में पढ़ाई के बाद मजबूरियों के कारण पढ़ाई से रिश्ता नाता छोड़ दिया था. लेकिन शिक्षा के प्रति उसकी जिज्ञासा को देखते हुए एक कार्यक्रम में मिले उपायुक्त रमेश घोलप ने उसे शिक्षा के काफी करीब ला दिया है. सपना के माता-पिता के गुजरने के बाद उसका लालन-पालन करने वाली चाची बसंती देवी ने बताया कि उसने किसी तरह से सपना का लालन-पालन तो किया, लेकिन उसकी पढ़ाई जारी नहीं रख सकी.
ये भी पढ़ें- CAA-NRC के विरोध में उमड़ा हुजूम, लेकिन पता नहीं ये है क्या
बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास
वहीं, कस्तूरबा विद्यालय की प्रिंसिपल ने बताया कि जिस बच्ची की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई है, वो उसे बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी.