पलामू: झारखंड में फोर्थ ग्रेड के पद पर नियुक्ति के लिए 2010 में जारी विज्ञापन अचानक चर्चा में आ गया है. इस विज्ञापन के तहत 2017-18 में पलामू में फोर्थ ग्रेड के पद पर 139 लोगों की नियुक्ति की गई थी. फोर्थ ग्रेड के पद के लिए 2010 में जारी विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध और असंवैधानिक करार दिया है और नियुक्ति को रद्द कर दिया है.
दरअसल, 2010 में पलामू में फोर्थ ग्रेड के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में यह नहीं बताया गया था कि कितने पदों पर नियुक्ति होनी है. विज्ञापन जारी करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी. करीब 22000 लोगों ने भर्ती के लिए आवेदन किया था. 2010 के विज्ञापन के आधार पर 2017-18 में करीब 139 लोगों की नियुक्ति की गई.
नियुक्ति में हुई थी गड़बड़ी, अभ्यर्थी अमृत यादव गए थे कोर्ट
नियुक्ति मामले को लेकर अभ्यर्थी अमृत यादव कोर्ट गए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद विज्ञापन को ही रद्द कर दिया है. अमित यादव का कहना है कि 2010 में विज्ञापन जारी हुआ, 2017 में परीक्षा हुई जबकि नियुक्ति मार्च 2018 में हुई. नियुक्ति में कई अनियमितताएं हुईं और परीक्षा में उनका चयन हो गया. जब दोबारा पैनल बना तो उन्हें हटा दिया गया. उस दौरान उन्हें बताया गया कि संख्या कम है, इस पूरे मामले को लेकर वे हाईकोर्ट गए. हाईकोर्ट में उन्हें स्टे नहीं मिला, जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट गए.
विज्ञापन में नहीं बताई गई सीटों की संख्या
अमृत यादव का कहना है कि नौकरी ज्वाइन करने के बाद उन्हें हटा दिया गया. पूरे मामले में जब कोर्ट में बताया गया कि सिर्फ तीन पद खाली हैं. कोर्ट ने जब विज्ञापन मांगा तो देखा कि विज्ञापन में पद का कोई जिक्र ही नहीं है. 2023 में हुए इस मामले में वे सुप्रीम कोर्ट गए जहां पूरी बहाली रद्द कर दी गई है.
यह भी पढ़ें: