कोडरमा: लॉकडाउन से जहां समाज का हर तबका प्रभावित हुआ. वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस विकट परिस्थिति में भी अपनी मेहनत और कार्यशैली में बदलाव लाकर परिस्थितियों को अपने काबू में कर रखे है. ऐसा ही एक परिवार कृषक सेवा साव का परिवार है. जिन्होंने कोरोना काल में बंजर खेत में खेती कर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण किया.
कोरोना का नहीं था भय
कोडरमा जिला के चंदवारा प्रखंड अंतर्गत ग्राम सरदारोडीह के रहने वाले इस परिवार को पिछले 6 महीनों में आवश्यक सामानों को जुटाने के लिए बहुत ज्यादा घर से निकलने की जरूरत नहीं पड़ी. परिवार के मुखिया सेवा साव बताते हैं कि कैसे कोरोना आया और कैसे कोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ा, इस बात से उन्हें बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा. सुबह से शाम तक खेतों में मेहनत मजदूरी कर जो पसीने बहाए, इसकी वजह से कोरोना उनके परिवार के आस पास तक नहीं फटक पाया.
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चार एकड़ भूमि पर की खेती
सेवा साव अपनी चार एकड़ भूमि में पिछले 16 सालों से खेती करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ सालों से इनकी चार एकड़ भूमि बंजर पड़ी थी. इस भूमि पर सेवा साव और उनके परिवार ने मेहनत कर बंजर भूमि की मिट्टी को सोना बनाया. अब इस भूमि पर खेती होती रहती हैं. बड़े पैमाने पर इस खेत में सब्जियां उपजाई जाती हैं, जो कोडरमा और आसपास के बाजारों में बिकती है. सेवा साव, उनकी पत्नी उर्मिला देवी, चार बेटे अजय साव, राजेंद्र साव, अशोक साव और श्रवण साव के अलावा उनकी तीन बहुएं और सेवा साव के पोते-पोतिया इस कार्य में उनकी मदद करते है.