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भगवान बिरसा मुंडा की युद्धस्थली में आदिवासी आवासीय विद्यालय की स्थिति खराब, नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं - khunti news

भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) की युद्धस्थली कही जाने वाली डोम्बारी बुरू में आदिवासी बच्चों के लिए बनाया गया आवासीय विद्यालय (tribal residential school) बेहद खराब स्थिति में है. यहां बच्चों के ना समुचित खाना मिल पाता है और ना ही उनके खेलने के लिए कोई व्यवास्था है.

condition of tribal residential school
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Published : Aug 5, 2022, 4:36 PM IST

Updated : Aug 5, 2022, 5:20 PM IST

खूंटी: डोम्बारी बुरू भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) की युद्धस्थली के नाम से जाना जाता है. झारखंड के इतिहास में इस जगह का खास महत्व है. यहीं से भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा ने उलगुलान शुरू किया था. लेकिन यहां बच्चों के लिए बनाया गया आदिवासी आवासीय विद्यालय (tribal residential school) की हालत बेहद खराब है. यहां ना तो बच्चों को समुचित आहार मिलता है और ना ही इनके खेलने के लिए व्यवस्था है. यही नहीं बच्चों को नहाने के लिए भी बाहर जाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल ने लिया था नामांकन के नाम पर पैसा, जांच टीम ने डीएसई को सौंपी रिपोर्ट

झारखंड की पहचान भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) से है. लेकिन बिरसा की युद्धस्थली डोम्बारीबुरू में नुसूचित जनजातीय आवासीय मध्य विद्यालय (tribal residential school) बुनियादी समस्याओं का रोना रो रहा है. कल्याण विभाग के जिम्मे चलने वाले इस आवासीय विद्यालय में 86 बच्चे पढ़ते हैं. यहां खिड़कियां हैं लेकिन दरवाजे नहीं. छतों की हालत ऐसी है कि उसे प्लास्टर टूटकर गिरता रहता है. स्थिति ऐसी है कि कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है. यही नहीं आवासीय परिसर में बच्चों के नहाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में बच्चों को बाहर या जाकर किसी चापाकल से नहाना पड़ता है या फिर तालाब में जाकर नहाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में हादसे का डर बना रहता है.

देखें वीडियो

सरकार ने बच्चों को पॉस्टिक आहार देने के लिए मटन, चिकन, बिरयानी, हॉर्लिक्स मुहैया कराया है, लेकिन सिर्फ कागजों में. यूं ये कहा जाता है कि आदिवासी बच्चों को खेलने के लिए फुटबॉल और हॉकी किट दिए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. जनजातीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की शिकायत है कि उन्हें फुटबॉल नहीं मिलता मांगने पर प्रिंसिपल कहते हैं कि पैसा नहीं है. दबाव देने पर स्कूल के पुरानी किताबों को बेचकर फुटबॉल खरीदा गया है.

यही नहीं, बच्चों का आरोप है कि प्रिंसिपल उन्हें स्कूल की कमियों को किसी को ना बताने के लिए धमकाते हैं. वहीं, स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल बाल्मीकि चौधरी का कहना है कि महंगाई बढ़ गई है और उन्हें 2016 के रेट के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. उनका मानना है कि अधिकारियों को लिखित जानकारी दी गई है लेकिन अधिकारी इस पर कुछ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

खूंटी: डोम्बारी बुरू भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) की युद्धस्थली के नाम से जाना जाता है. झारखंड के इतिहास में इस जगह का खास महत्व है. यहीं से भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा ने उलगुलान शुरू किया था. लेकिन यहां बच्चों के लिए बनाया गया आदिवासी आवासीय विद्यालय (tribal residential school) की हालत बेहद खराब है. यहां ना तो बच्चों को समुचित आहार मिलता है और ना ही इनके खेलने के लिए व्यवस्था है. यही नहीं बच्चों को नहाने के लिए भी बाहर जाना पड़ता है.

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झारखंड की पहचान भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) से है. लेकिन बिरसा की युद्धस्थली डोम्बारीबुरू में नुसूचित जनजातीय आवासीय मध्य विद्यालय (tribal residential school) बुनियादी समस्याओं का रोना रो रहा है. कल्याण विभाग के जिम्मे चलने वाले इस आवासीय विद्यालय में 86 बच्चे पढ़ते हैं. यहां खिड़कियां हैं लेकिन दरवाजे नहीं. छतों की हालत ऐसी है कि उसे प्लास्टर टूटकर गिरता रहता है. स्थिति ऐसी है कि कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है. यही नहीं आवासीय परिसर में बच्चों के नहाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में बच्चों को बाहर या जाकर किसी चापाकल से नहाना पड़ता है या फिर तालाब में जाकर नहाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में हादसे का डर बना रहता है.

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सरकार ने बच्चों को पॉस्टिक आहार देने के लिए मटन, चिकन, बिरयानी, हॉर्लिक्स मुहैया कराया है, लेकिन सिर्फ कागजों में. यूं ये कहा जाता है कि आदिवासी बच्चों को खेलने के लिए फुटबॉल और हॉकी किट दिए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. जनजातीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की शिकायत है कि उन्हें फुटबॉल नहीं मिलता मांगने पर प्रिंसिपल कहते हैं कि पैसा नहीं है. दबाव देने पर स्कूल के पुरानी किताबों को बेचकर फुटबॉल खरीदा गया है.

यही नहीं, बच्चों का आरोप है कि प्रिंसिपल उन्हें स्कूल की कमियों को किसी को ना बताने के लिए धमकाते हैं. वहीं, स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल बाल्मीकि चौधरी का कहना है कि महंगाई बढ़ गई है और उन्हें 2016 के रेट के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. उनका मानना है कि अधिकारियों को लिखित जानकारी दी गई है लेकिन अधिकारी इस पर कुछ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

Last Updated : Aug 5, 2022, 5:20 PM IST
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