खूंटी: झारखंड में रोजगार के लिए बड़ी संख्या में युवा पलायन करते हैं. परिवार के लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करने के लिए लोग आज भी अपने गांव से निकल कर दूसरे शहरों और राज्यों का रुख कर रहे हैं. बाहरी राज्यों में जाकर यहां के ग्रामीण खेतों, फैक्ट्रियों और दिहाड़ी मजदूरी करके 16 से 17 घंटे कड़ी मेहनत करते हैं. इन्ही मजदूरों में से एक हैं विजय होरो. इनका परिवार अब भी इनकी राह देख रहा है.
खूंटी में उचित मजदूरी नहीं मिलने के कारण विजय होरो ने झारखंड से बाहर निकले का फैसला किया. दो महीने पहले जब उन्हें उत्तरकाशी के टनल में काम करने का मौका मिला तो उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया और उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए. उत्तरकाशी के टनल में जो 41 मजदूर फंसे हैं उसमें से एक विजय होरो भी हैं. जैसे ही उनके परिजनों को इस हादसे के बारे में पता चला वे परेशान हो गए.
पिछले 14 दिनों से विजय होरो और उनके साथी टन में फंसे हुए हैं और जिंदगी और मौत से जूझ रहे है. विजय के परिवारवालों का रो रोकर बुरा हाल है. गांव वाले भी परिवार के लोगों को लगातार ढांढस बंधा रहे हैं. विजय घर में अकेले कमाने वाले हैं. ऐसे में घर में पैसे नहीं आने से इनकी मुसीबत और बढ़ गई है. हालांकि घर के लोगों को उम्मीद है कि वे घर जरुर आएंगे.
विजय की पत्नी बताती हैं कि घर से निकले हुए विजय ने कहा था कि वह पैसे कमा कर आएगा तो जो भी इन्हें परेशानी हैं वह दूर हो जाएंगे. बच्चों के लिए अच्छे से खानी पीने की व्यवस्था भी ठीक से हो जाएगी. हालांकि अब जब वे टनल में फंसे हुए हैं तो इनकी चिंता काफी बढ़ गई है.
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