जामताड़ा: जिला में 5 दलित पीड़ित परिवार को उनके जमीन और घर से बेदखल कर दिए जाने को लेकर इंसाफ की गुहार का मामला तूल पकड़ लिया है. इसको लेकर सोमवार को झारखंड राज्य अनुसूचित आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की टीम जामताड़ा पहुंची. राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की टीम में राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के उपाध्यक्ष और झारखंड राज्य अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष ने संयुक्त रूप से दलित परिवार से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं.
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'दलित परिवार के साथ हुआ है गलत'
राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के उपाध्यक्ष ने दलित पीड़ित परिवार से मिलने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि दलित परिवार के मिलने से पता चला है कि इनके साथ गलत हुआ है. अगर गलत नहीं होता तो यह गरीब सड़क पर आकर नहीं बैठते. उन्होंने कहा कि पूरी तरह जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
धरना दे रही महिला हुई बेहोश
इस दौरान धरनास्थल पर धरना दे रहे 5 दलित पीड़ित परिवार की महिलाओं में से एक महिला सदस्य रोते-बिलखते आयोग की टीम के सामने अपनी व्यथा सुनाते सुनाते बेहोश हो गई. महिला के बेहोश होने पर वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया. झारखंड अनुसूचित जाति का आयोग के अध्यक्ष गिरधारी राम डॉक्टर चिल्लाते रहे लेकिन वहां कोई नहीं आया. जनजाति आयोग के अध्यक्ष दलितों के प्रति प्रशासन की उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाए जाने को लेकर काफी विरोध जताया. झारखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि दलित परिवार के साथ काफी गलत हुआ है. दलित परिवार बेहोश हो रहे हैं, ना यहां डॉक्टर देखने आ रहे है और ना ही उपायुक्त देखने आ रहे हैं. ऐसे में इनका खामियाजा यहां के पदाधिकारियों को भुगतना पड़ेगा.