जामताड़ा: सदर अस्पताल में स्वास्थ विभाग की सहिया और स्थानीय निजी नर्सिंग होम के बीच साठ-गांठ से प्रसूति महिलाओं की जान जोखिम में है. यहां स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है. अधिकतर गरीब प्रसूति महिलाएं को गंभीर बोलकर रेफर कर दिया जाता है. फिर सहिया प्रसूति महिला को कम पैसे में इलाज कराने के बहाने निजी नर्सिंग होम पहुंचा देता है.
इन सभी मामलों से जामताड़ा स्वास्थ विभाग बिल्कुल बेखबर है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक निजी नर्सिग होम से प्रसूति महिला को पैसा के अभाव में छोड़ा नहीं जा रहा था. मामले के बाद परिजनों ने काफी हंगामा किया उसके बाद उसे छोड़ा गया. परिजनों ने पूछताछ में बताया कि पहले इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया था, जहां कहा गया कि यहां इलाज संभव नहीं है. इसके बाद सहिया उसे नर्सिंग होम ले आई. एक मरीज के परिजन ने बताया गया कि सदर अस्पताल गए, लेकिन वहां बताया गया कि यहां इलाज नहीं होगा.
इस बारे में जब सदर अस्पताल की सिविल सर्जन आशा एक्का से संपर्क कर पूछा गया तो सिविल सर्जन ने बताया कि सदर अस्पताल में महिलाओं का ऑपरेशन किया जाता है. गंभीर अवस्था में ही उसे रेफर किया जाता है. किस सहिया ने इस तरह का काम किया है उसके बारे में पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने जांच कर कार्रवाई करने की बात कही.
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वहीं इस बारे में जब जामताड़ा उपायुक्त से पूछा गया तो उपायुक्त ने बताया कि प्रसूति महिलाओं के ऑपरेशन नहीं किए जाने का मामला बराबर संज्ञान में लाया जाता है, जिसे लेकर सिविल सर्जन और अस्पताल प्रबंधन को कड़ी चेतावनी दी गई है. यदि इस तरह का कोई लापरवाही और मामला सामने आता है तो पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
जामताड़ा सदर अस्पताल में प्रसूति महिलाओं के इलाज के लिए सरकार ने पूरी व्यवस्था की है. बावजूद इसके सदर अस्पताल में प्रसूति महिलाओं को ऑपरेशन कराने और इलाज कराने में आनाकानी की जाती है. निजी नर्सिंग होम को लाभ पहुंचाने के लिए सहिया के माध्यम से गंभीर और इलाज नहीं कहकर अधिकतर प्रसूति महिलाओं को रेफर कर नर्सिंग होम में पहुंचा दिया जाता है. यह सारा खेल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के नाक के नीचे हो रहा है. बावजूद इसके सभी अनभिज्ञ बने हुए हैं.