जामताड़ाः जिले में वर्षों से लाखों रुपये खर्च कर पुस्तकालय भवन बनाया गया, लेकिन आज तक एक भी पुस्तकालय चालू नहीं हो पाया. इसे चालू कराने को लेकर प्रशासन की ओर से आज तक दिलचस्पी नहीं दिखाई गई. नतीजा ये है कि जो पुस्तकालय भवन बना है उसकी स्थिति भी दयनीय होती जा रही है. जो चल रहा था उसका भी अस्तित्व खत्म हो रहा है.
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लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए तीन पुस्तकालय भवन
जिले में तीन पुस्तकालय भवन लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए हैं. जिसमें एक प्रखंड परिसर में, दूसरा विधायक निधि से और तीसरा अनुमंडलीय पुस्तकालय वाचनालय भवन में था जो अब बंद पड़ गया है. प्रशासन ने पुस्तकालय भवन तो बना दिया गया, लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो पाया है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
गांव में सामुदायिक पुस्तक खोले जाने को लेकर स्थानीय ग्रामीण जनता बताते हैं कि सामुदायिक पुस्तकालय में काम नाम मात्र का पुस्तक देकर शुरू कर दिया जा रहा है. जितना पुस्तक होना चाहिए उतना उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. जो भी पुस्तक दिया जा रहा है. उसमें अंग्रेजी की पुस्तक ज्यादा है. ऐसे में गांव के बच्चे कितना पढ़ पाएंगे ये कहना मुश्किल है.