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जामताड़ाः लाखों रुपये खर्च कर बनाया गया पुस्तकालय भवन, लेकिन आज भी हो रहा पाठकों का इंतजार - जामताड़ा में पुस्तकालय भवन

जामताड़ा में लाखों रुपये खर्च कर पुस्तकालय भवन बनाया गया है, लेकिन आज तक चालू नहीं हो पाया है. जो चल रहा था उसका भी अस्तित्व समाप्त हो चुका है.

built library building could not be operational in jamtara
लाखों रुपये खर्च कर बनाया गया पुस्तकालय भवन
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Published : Mar 26, 2021, 7:49 PM IST

Updated : Mar 26, 2021, 8:18 PM IST

जामताड़ाः जिले में वर्षों से लाखों रुपये खर्च कर पुस्तकालय भवन बनाया गया, लेकिन आज तक एक भी पुस्तकालय चालू नहीं हो पाया. इसे चालू कराने को लेकर प्रशासन की ओर से आज तक दिलचस्पी नहीं दिखाई गई. नतीजा ये है कि जो पुस्तकालय भवन बना है उसकी स्थिति भी दयनीय होती जा रही है. जो चल रहा था उसका भी अस्तित्व खत्म हो रहा है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें: रांची में दिनदहाड़े 20 लाख के गहने की लूट, 3 अपराधियों ने हथियार के बल पर लूटा सोना

लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए तीन पुस्तकालय भवन

जिले में तीन पुस्तकालय भवन लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए हैं. जिसमें एक प्रखंड परिसर में, दूसरा विधायक निधि से और तीसरा अनुमंडलीय पुस्तकालय वाचनालय भवन में था जो अब बंद पड़ गया है. प्रशासन ने पुस्तकालय भवन तो बना दिया गया, लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो पाया है.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

गांव में सामुदायिक पुस्तक खोले जाने को लेकर स्थानीय ग्रामीण जनता बताते हैं कि सामुदायिक पुस्तकालय में काम नाम मात्र का पुस्तक देकर शुरू कर दिया जा रहा है. जितना पुस्तक होना चाहिए उतना उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. जो भी पुस्तक दिया जा रहा है. उसमें अंग्रेजी की पुस्तक ज्यादा है. ऐसे में गांव के बच्चे कितना पढ़ पाएंगे ये कहना मुश्किल है.

जामताड़ाः जिले में वर्षों से लाखों रुपये खर्च कर पुस्तकालय भवन बनाया गया, लेकिन आज तक एक भी पुस्तकालय चालू नहीं हो पाया. इसे चालू कराने को लेकर प्रशासन की ओर से आज तक दिलचस्पी नहीं दिखाई गई. नतीजा ये है कि जो पुस्तकालय भवन बना है उसकी स्थिति भी दयनीय होती जा रही है. जो चल रहा था उसका भी अस्तित्व खत्म हो रहा है.

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लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए तीन पुस्तकालय भवन

जिले में तीन पुस्तकालय भवन लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए हैं. जिसमें एक प्रखंड परिसर में, दूसरा विधायक निधि से और तीसरा अनुमंडलीय पुस्तकालय वाचनालय भवन में था जो अब बंद पड़ गया है. प्रशासन ने पुस्तकालय भवन तो बना दिया गया, लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो पाया है.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

गांव में सामुदायिक पुस्तक खोले जाने को लेकर स्थानीय ग्रामीण जनता बताते हैं कि सामुदायिक पुस्तकालय में काम नाम मात्र का पुस्तक देकर शुरू कर दिया जा रहा है. जितना पुस्तक होना चाहिए उतना उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. जो भी पुस्तक दिया जा रहा है. उसमें अंग्रेजी की पुस्तक ज्यादा है. ऐसे में गांव के बच्चे कितना पढ़ पाएंगे ये कहना मुश्किल है.

Last Updated : Mar 26, 2021, 8:18 PM IST
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