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रोज एक किलोमीटर दूर से लाते हैं गंदा पानी, छानकर उसे ही पीने को मजबूर ग्रामीण

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Published : Apr 3, 2022, 3:16 PM IST

Updated : Apr 3, 2022, 3:49 PM IST

बोरवा गांव के ग्रामीणों को पीने के लिए शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा है. ग्रामीण पूरे साल गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. बरसात के दिनों में इनकी स्थिति और दयनीय हो जाती है.

villagers not getting drinking water
villagers not getting drinking water

जामताड़ा: नारायणपुर प्रखंड के बोरवा पंचायत में है बोरवा गांव. यह डभुनगघुटु आदिवासी बहुल टोला. इस गांव के नीचे टोला में पानी की जबरदस्त किल्लत है. इस टोले में निवास करने वाले कुल 17 आदिवासी परिवारों के लगभग 150 सदस्यों को पेयजल के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां रहनेवाले लोगों को गड्ढे का पानी पीना पड़ता है. गांव के इस टोले में न तो चापाकल है और न ही कुआं.

इसे भी पढ़ें: खंडहर में तब्दील हो गया पालास्थली रेलवे स्टेशन, स्थानीय लोगों ने की ट्रेन चलाने की मांग

ग्रामीण क्षेत्रों में हर परिवार को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने की सरकार की योजनाएं यहां फेल होती नजर आती हैं. चापाकल या कुआं नहीं रहने से लोगों को गंदा पानी पीना पड़ता है, जिससे बीमार पड़ने की भी संभावना बनी रहती है. इतना ही नहीं बरसात के दिनों में जब गड्ढा पूरी तरह गंदे पानी से भर जाता है, तब भी मजबूरी में गांव के लोगों के पास कोई अन्य साधन नहीं रहने के कारण गंदे पानी को कपड़े से छानकर पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

देखें पूरी खबर

ग्रामीणों ने बताया कि घर की महिलाएं और बच्चियां 1 किलोमीटर दूर से गढ्ढे से पानी लाती हैं. इसी पानी से खाना पकती हैं और पीने के लिए उपयोग भी किया जाता है. गांव के लोगों का कहना है कि कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और विधायक को भी पेयजल की समस्या के बारे में बताया जा चुका है, लेकिन कोई सुनता नहीं है. सरकार की तरफ से भी हमें मदद नहीं मिल रही है. शुद्ध पेयजल नहीं मिलने से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हो रही है.

जामताड़ा भाजपा जिला अध्यक्ष सोमनाथ सिंह ने आदिवासी टोला में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय विधायक और सरकार इनकी समस्या को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने कहा कि आदिवासी के नाम पर जामताड़ा के विधायक सरकार सिर्फ वोट लेने का काम करती है. जिनके लिए राज्य बना आज वही शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहा हैं. आदिवासी के विकास का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार इनके प्रति असंवेदनशील बनी है.

जामताड़ा: नारायणपुर प्रखंड के बोरवा पंचायत में है बोरवा गांव. यह डभुनगघुटु आदिवासी बहुल टोला. इस गांव के नीचे टोला में पानी की जबरदस्त किल्लत है. इस टोले में निवास करने वाले कुल 17 आदिवासी परिवारों के लगभग 150 सदस्यों को पेयजल के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां रहनेवाले लोगों को गड्ढे का पानी पीना पड़ता है. गांव के इस टोले में न तो चापाकल है और न ही कुआं.

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ग्रामीण क्षेत्रों में हर परिवार को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने की सरकार की योजनाएं यहां फेल होती नजर आती हैं. चापाकल या कुआं नहीं रहने से लोगों को गंदा पानी पीना पड़ता है, जिससे बीमार पड़ने की भी संभावना बनी रहती है. इतना ही नहीं बरसात के दिनों में जब गड्ढा पूरी तरह गंदे पानी से भर जाता है, तब भी मजबूरी में गांव के लोगों के पास कोई अन्य साधन नहीं रहने के कारण गंदे पानी को कपड़े से छानकर पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

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ग्रामीणों ने बताया कि घर की महिलाएं और बच्चियां 1 किलोमीटर दूर से गढ्ढे से पानी लाती हैं. इसी पानी से खाना पकती हैं और पीने के लिए उपयोग भी किया जाता है. गांव के लोगों का कहना है कि कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और विधायक को भी पेयजल की समस्या के बारे में बताया जा चुका है, लेकिन कोई सुनता नहीं है. सरकार की तरफ से भी हमें मदद नहीं मिल रही है. शुद्ध पेयजल नहीं मिलने से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हो रही है.

जामताड़ा भाजपा जिला अध्यक्ष सोमनाथ सिंह ने आदिवासी टोला में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय विधायक और सरकार इनकी समस्या को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने कहा कि आदिवासी के नाम पर जामताड़ा के विधायक सरकार सिर्फ वोट लेने का काम करती है. जिनके लिए राज्य बना आज वही शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहा हैं. आदिवासी के विकास का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार इनके प्रति असंवेदनशील बनी है.

Last Updated : Apr 3, 2022, 3:49 PM IST
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