जामताड़ा: जिले में सर्पदंश के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है. प्रतिवर्ष खासकर बरसात के मौसम में सांप काटने की मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हो जाती है. सैकड़ों लोगों को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाने वकी वजह से जान भी गंवानी पड़ती है.
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बरसात के मौसम में जामताड़ा में सांप काटने की मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हो गई है. कई लोगों की जान भी जा चुकी है. आए दिन लोग सांप के शिकार हो रहे हैं. समय से उपचार नहीं होने पर उन्हें जान गंवानी पड़ती है. एक आंकड़े के मुताबिक सिर्फ जामताड़ा सदर अस्पताल में बीते तीन महीने में 15 वैसे लोग पहुंचे थे, जिन्हें सांप ने काटा था, इनमें से एक की मौत हो चुकी है. शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र में सांप काटने के लोग ज्यादा शिकार हो रहे हैं. अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़ फूंक के चक्कर में पड़कर उन्हें जान गंवानी पड़ती है. समय पर उपचार नहीं मिलने पर भी उन्हें मौत का सामना करना पड़ता है.
जामताड़ा स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि सैकड़ों की संख्या में सर्पदंश के शिकार मरीज आते हैं. जिनमें कुछ ही विषैले सांप के शिकार होते हैं. उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है और इनका इलाज किया जाता है. चिकित्सा पदाधिकारी बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के सभी अस्पताल एवं सदर अस्पताल में सांप काटने की दवा उपलब्ध है. उन्होंने लोगों से झाड़-फूंक के चक्कर में ना पड़कर समय पर अस्पताल में इलाज कराने की अपील की. चिकित्सा पदाधिकारी ने अब तक एक मरीज की मौत होने की पुष्टि की है.
जामताड़ा का शाब्दिक अर्थ ही होता है सांपों का आवास. जाम मतलब सांप ताड़ा मतलब आवास. एक समय काफी मात्रा में यहां सांप पाए जाते थे लेकिन घनी आबादी और कटते जंगल के कारण शहरी क्षेत्र में सांपों की संख्या कम हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी काफी संख्या में विभिन्न प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. खासकर बरसात के समय कई प्रकार के सांप बाहर निकलते हैं. जिनमें विषैले सांप भी होते हैं. जिसके शिकार लोग होते हैं.
सांपों के जानकार बताते हैं कि जामताड़ा में विभिन्न प्रकार के प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. जिसमें अजगर चित्ती, पताड़, धामिन विषैले सांपों की श्रेणी में आते हैं. चित्ती सांप काफी संख्या में पाए जाते हैं. ये लोगों के घरों में भी प्रवेश कर जाते हैं. जिसके काटने के बाद समय पर अगर उपचार नहीं हो तो मरीज की मौत भी हो जाती है.