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हजारीबागः प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने की कवायद शुरू, मेगा प्लान में जिले को किया गया शामिल - Included in the Hazaribagh mega plan

हजारीबाग जिले में लॉकडाउन के मद्देनदर बड़ी संख्या में लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है. जिले में अब तक 60 हजार से अधिक मजदूर वापस आए हैं. मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने मेगा प्लान बनाया है. इस मेगा प्लान में हजारीबाग जिला भी शामिल है.

को रोजगार मुहैया कराने की कवायद
को रोजगार मुहैया कराने की कवायद
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Published : Jun 10, 2020, 12:08 PM IST

हजारीबागः कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देश भर में हाहाकार मचा हुआ है. इसका सबसे अधिक बुरा प्रभाव मजदूरों पर हुआ है, जो अपना रोजगार गंवाने के अब अपने घर वापस लौटने को मजबूर हैं. अब तक हजारीबाग में लगभग 60,000 से अधिक मजदूर आ चुके हैं. इन मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने मेगा प्लान बनाया है. इस मेगा प्लान में हजारीबाग जिले को भी शामिल किया गया है.

रोजगार मुहैया कराने की कवायद शुरू.

रोजगार सभी के लिए जरूरी है. ताकि इंसान अपना परिवार का भरण पोषण कर सके. केंद्र सरकार ने देश भर के 6 राज्यों के 116 जिलों की पहचान की है, जहां सबसे अधिक प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं. झारखंड में भी 3 जिले चिन्हित किए गए हैं, जिसमें गिरीडीह, गोड्डा और हजारीबाग शामिल हैं.

हजारीबाग जिले में अब तक 60 हजार से अधिक मजदूर अपने घर लौट गए हैं. यह सिलसिला अभी भी जारी है. उम्मीद की जा रही है कि हजारों की संख्या में और भी मजदूर अभी पहुंच सकते हैं. ऐसे में इन सभी प्रवासियों को उनकी जरूरत के हिसाब से जिला प्रशासन ने क्वॉरेंटाइन किया है. क्वॉरेंटाइन समाप्त होने के बाद उन्हें रोजगार से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है.

42,000 की हुई जांच

जिले में अब तक 42,000 से अधिक लोगों की दक्षता की जांच की गई है, जिसमें भारी संख्या में स्किल्ड लेबर के रूप में हजारीबाग जिला प्रशासन ने चिन्हित किया है. अब मजदूरों को उनके दक्षता के अनुसार रोजगार दिलाने की कवायद शुरू है. भारत सरकार ने जिले को यह निर्देश दिया है कि वह ऐसे लेबरों की पहचान करें जो दक्ष हैं, ताकि उन्हें उनके अनुसार काम दिया जा सके.

मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं के साथ उन्हें जोड़ा जा सके. अब जिला प्रशासन मनरेगा में मजदूरों को जोड़ रही है. वहीं स्किल्ड लेबर को जोड़ने के लिए मेगा प्लान बनाया जा रहा है, जिसे सरकार को दिया जाएगा ताकि अपना जीवन यापन कर सकें.

यह भी पढ़ेंः राज्यपाल ने भगवान बिरसा मुंडा को दी श्रद्धांजलि, अपने आवास पर ही किया माल्यार्पण

मजदूरों की मानें तो अब वह वापस परदेस नहीं जाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि उनको यहीं रोजगार मिले ताकि उनका भरण-पोषण हो सके. मजदूरों का यह भी कहना है कि जो पैसा हमें महानगरों में मिलता था उतना ही अगर यहां मिले तो हमारे लिए काफी होगा.

अब यह देखना होगा कि प्रवासी मजदूरों के लिए जो बड़ा मेगा प्लान तैयार किया है उसकी रूपरेखा क्या रहेगी. इस बाबत मंत्रालय ने कई निर्देश भी जारी किए हैं तो जिले ने भी काम करना शुरू कर दिया है. सरकार की विभिन्न योजनाओं से इन प्रवासियों को जोड़ा जाए तो निश्चित रूप से प्रवासी मजदूर सिर्फ समृद्धि नहीं होंगे बल्कि उनकी दक्षता से राज्य को भी लाभ मिलेगा.

हजारीबागः कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देश भर में हाहाकार मचा हुआ है. इसका सबसे अधिक बुरा प्रभाव मजदूरों पर हुआ है, जो अपना रोजगार गंवाने के अब अपने घर वापस लौटने को मजबूर हैं. अब तक हजारीबाग में लगभग 60,000 से अधिक मजदूर आ चुके हैं. इन मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने मेगा प्लान बनाया है. इस मेगा प्लान में हजारीबाग जिले को भी शामिल किया गया है.

रोजगार मुहैया कराने की कवायद शुरू.

रोजगार सभी के लिए जरूरी है. ताकि इंसान अपना परिवार का भरण पोषण कर सके. केंद्र सरकार ने देश भर के 6 राज्यों के 116 जिलों की पहचान की है, जहां सबसे अधिक प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं. झारखंड में भी 3 जिले चिन्हित किए गए हैं, जिसमें गिरीडीह, गोड्डा और हजारीबाग शामिल हैं.

हजारीबाग जिले में अब तक 60 हजार से अधिक मजदूर अपने घर लौट गए हैं. यह सिलसिला अभी भी जारी है. उम्मीद की जा रही है कि हजारों की संख्या में और भी मजदूर अभी पहुंच सकते हैं. ऐसे में इन सभी प्रवासियों को उनकी जरूरत के हिसाब से जिला प्रशासन ने क्वॉरेंटाइन किया है. क्वॉरेंटाइन समाप्त होने के बाद उन्हें रोजगार से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है.

42,000 की हुई जांच

जिले में अब तक 42,000 से अधिक लोगों की दक्षता की जांच की गई है, जिसमें भारी संख्या में स्किल्ड लेबर के रूप में हजारीबाग जिला प्रशासन ने चिन्हित किया है. अब मजदूरों को उनके दक्षता के अनुसार रोजगार दिलाने की कवायद शुरू है. भारत सरकार ने जिले को यह निर्देश दिया है कि वह ऐसे लेबरों की पहचान करें जो दक्ष हैं, ताकि उन्हें उनके अनुसार काम दिया जा सके.

मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं के साथ उन्हें जोड़ा जा सके. अब जिला प्रशासन मनरेगा में मजदूरों को जोड़ रही है. वहीं स्किल्ड लेबर को जोड़ने के लिए मेगा प्लान बनाया जा रहा है, जिसे सरकार को दिया जाएगा ताकि अपना जीवन यापन कर सकें.

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मजदूरों की मानें तो अब वह वापस परदेस नहीं जाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि उनको यहीं रोजगार मिले ताकि उनका भरण-पोषण हो सके. मजदूरों का यह भी कहना है कि जो पैसा हमें महानगरों में मिलता था उतना ही अगर यहां मिले तो हमारे लिए काफी होगा.

अब यह देखना होगा कि प्रवासी मजदूरों के लिए जो बड़ा मेगा प्लान तैयार किया है उसकी रूपरेखा क्या रहेगी. इस बाबत मंत्रालय ने कई निर्देश भी जारी किए हैं तो जिले ने भी काम करना शुरू कर दिया है. सरकार की विभिन्न योजनाओं से इन प्रवासियों को जोड़ा जाए तो निश्चित रूप से प्रवासी मजदूर सिर्फ समृद्धि नहीं होंगे बल्कि उनकी दक्षता से राज्य को भी लाभ मिलेगा.

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