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हजारीबाग में ताइवान के पीले तरबूज की खेती, चीची गांव की महिलाओं ने किया कमाल

हजारीबाग में ताइवान के पीले तरबूज की खेती हो रही है. अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीची गांव की महिलाएं इसमें हाथ आजमाकर खेती को एक नया आयाम दिया है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, क्या है इस पीले तरबूज की खासियत और कैसे की जाती है इसकी खेती.

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हजारीबाग
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Published : May 5, 2022, 9:32 PM IST

Updated : May 6, 2022, 8:56 AM IST

हजारीबागः ये जिला खेती के लिए पूरे राज्य भर में जाना जाता है. यहां के किसान नए-नए प्रयोग कर अच्छे उत्पाद बाजार में लाने की कोशिश भी करते हैं. इस बार हजारीबाग के सुदूरवर्ती घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीची गांव की महिला किसानों ने पीले तरबूज की खेती कर कुछ नया करने की कोशिश की है. उनके खेत में पीले तरबूज तैयार हो चुके हैं और आसपास के किसान भी आखिर कैसे पीला तरबूज की खेती किया जाए, इसकी जानकारी लेने के लिए पहुंच रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग में तरबूज की खेती से बदली 800 महिलाओं की जिंदगी, बनाई अलग पहचान

गर्मी का सबसे स्वादिष्ट फलों में से एक तरबूज है. तरबूज कहते ही लाल रंग का स्वादिष्ट रस भरा फल आंखों के सामने घूमने लगता है और मुंह में पानी आ जाता है. आज आपको हम पीले रंग का तरबूज दिखाने जा रहे हैं. जिसे सुदूरवर्ती अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीची गांव की महिला किसानों ने उपजाया है. इसका बीज ताइवान से लाया गया है और ग्रीन हाउस में पौधा तैयार कर खेतों में लगाया गया है. अब पीला तरबूज तैयार हो गया है और गांव के लोग इसका स्वाद भी ले रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सबसे पहले खेती करने वाली महिला ने इसका स्वाद चखा और बताया कि यह लाल तरबूज से अधिक रसीला है और मिठास भी अधिक है. महिलाओं का कहना है कि एचडीएफसी बैंक से संपोषित केजीवीके द्वारा संचालित परिवर्तन योजना के तहत किसान पाठशाला का गठन किया गया. उसी पाठशाला में ताइवान के पीले तरबूज की खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. इससे वो लोग भी उत्साहित होकर अपने खेतों में पीला तरबूज लगाएं और आज पीला तरबूज हमें खुशी से लाल कर दे रहा है.

Taiwan yellow watermelon cultivation in Hazaribag
ताइवान का पीला तरबूज
परिवर्तन योजना के फील्ड ऑफिसर बताते हैं कि आमतौर पर जिला में लाल तरबूज की खेती बहुत बड़े स्तर पर किया जा रहा है. इस पर उन्होंने सोचा कि इसमें कुछ परिवर्तन किया जाए. ताइवान से उन्होंने बीज मंगाया और हजारीबाग के दो गांवों चीची एवं उदयपुर में पीले तरबूज की खेती पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया, जिसमें सफलता भी मिली है. अब वो अगले साल 13 गांव में पीले तरबूज की खेती कराएंगे और इसकी मार्केटिंग भी कराएंगे.
पीले तरबूज की खासियतः इसके बारे में कहा जा रहा है यह विटामिन ए और सी का अच्छा स्रोत है, जो एंटी ऑक्सीडेंट है. पीला तरबूज सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है. फलों में पोटैशियम सहित कुछ खनिज भी होते हैं जिससे शरीर में द्रव्य का स्तर नियंत्रित करता है. लाल तरबूज के विपरीत पीले तरबूज से अधिक बिटा कैरोटीन होता है जो एक एंटीऑक्सीडेंट है जो कैंसर और आंख की बीमारी से बचाता है.
Taiwan yellow watermelon cultivation in Hazaribag
तरबूज की खेती करती महिलाएं

महिला किसानों को मदद करने वाली परिवर्तन कार्यक्रम की संयोजिका बताती है कि उन्होंने बड़े ही उत्साह के साथ पीले तरबूज की खेती महिलाओं से कराया. अब तरबूज तैयार हो गया तो खुशी हो रही है. आने वाले समय में और अधिक बड़े स्तर पर हम लोग खेती करने के लिए तैयारी करेंगे. हजारीबाग में पहली बार ताइवान से बीज आयात कर पायलट प्रोजेक्ट के तहत संस्था के द्वारा खेती कराया गया और सफलता भी मिली है. आने वाले दिनों में हजारीबाग के किसान पीला तरबूज का स्वाद भी लोगों को सिखाएंगे.

हजारीबागः ये जिला खेती के लिए पूरे राज्य भर में जाना जाता है. यहां के किसान नए-नए प्रयोग कर अच्छे उत्पाद बाजार में लाने की कोशिश भी करते हैं. इस बार हजारीबाग के सुदूरवर्ती घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीची गांव की महिला किसानों ने पीले तरबूज की खेती कर कुछ नया करने की कोशिश की है. उनके खेत में पीले तरबूज तैयार हो चुके हैं और आसपास के किसान भी आखिर कैसे पीला तरबूज की खेती किया जाए, इसकी जानकारी लेने के लिए पहुंच रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग में तरबूज की खेती से बदली 800 महिलाओं की जिंदगी, बनाई अलग पहचान

गर्मी का सबसे स्वादिष्ट फलों में से एक तरबूज है. तरबूज कहते ही लाल रंग का स्वादिष्ट रस भरा फल आंखों के सामने घूमने लगता है और मुंह में पानी आ जाता है. आज आपको हम पीले रंग का तरबूज दिखाने जा रहे हैं. जिसे सुदूरवर्ती अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीची गांव की महिला किसानों ने उपजाया है. इसका बीज ताइवान से लाया गया है और ग्रीन हाउस में पौधा तैयार कर खेतों में लगाया गया है. अब पीला तरबूज तैयार हो गया है और गांव के लोग इसका स्वाद भी ले रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सबसे पहले खेती करने वाली महिला ने इसका स्वाद चखा और बताया कि यह लाल तरबूज से अधिक रसीला है और मिठास भी अधिक है. महिलाओं का कहना है कि एचडीएफसी बैंक से संपोषित केजीवीके द्वारा संचालित परिवर्तन योजना के तहत किसान पाठशाला का गठन किया गया. उसी पाठशाला में ताइवान के पीले तरबूज की खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. इससे वो लोग भी उत्साहित होकर अपने खेतों में पीला तरबूज लगाएं और आज पीला तरबूज हमें खुशी से लाल कर दे रहा है.

Taiwan yellow watermelon cultivation in Hazaribag
ताइवान का पीला तरबूज
परिवर्तन योजना के फील्ड ऑफिसर बताते हैं कि आमतौर पर जिला में लाल तरबूज की खेती बहुत बड़े स्तर पर किया जा रहा है. इस पर उन्होंने सोचा कि इसमें कुछ परिवर्तन किया जाए. ताइवान से उन्होंने बीज मंगाया और हजारीबाग के दो गांवों चीची एवं उदयपुर में पीले तरबूज की खेती पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया, जिसमें सफलता भी मिली है. अब वो अगले साल 13 गांव में पीले तरबूज की खेती कराएंगे और इसकी मार्केटिंग भी कराएंगे.
पीले तरबूज की खासियतः इसके बारे में कहा जा रहा है यह विटामिन ए और सी का अच्छा स्रोत है, जो एंटी ऑक्सीडेंट है. पीला तरबूज सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है. फलों में पोटैशियम सहित कुछ खनिज भी होते हैं जिससे शरीर में द्रव्य का स्तर नियंत्रित करता है. लाल तरबूज के विपरीत पीले तरबूज से अधिक बिटा कैरोटीन होता है जो एक एंटीऑक्सीडेंट है जो कैंसर और आंख की बीमारी से बचाता है.
Taiwan yellow watermelon cultivation in Hazaribag
तरबूज की खेती करती महिलाएं

महिला किसानों को मदद करने वाली परिवर्तन कार्यक्रम की संयोजिका बताती है कि उन्होंने बड़े ही उत्साह के साथ पीले तरबूज की खेती महिलाओं से कराया. अब तरबूज तैयार हो गया तो खुशी हो रही है. आने वाले समय में और अधिक बड़े स्तर पर हम लोग खेती करने के लिए तैयारी करेंगे. हजारीबाग में पहली बार ताइवान से बीज आयात कर पायलट प्रोजेक्ट के तहत संस्था के द्वारा खेती कराया गया और सफलता भी मिली है. आने वाले दिनों में हजारीबाग के किसान पीला तरबूज का स्वाद भी लोगों को सिखाएंगे.

Last Updated : May 6, 2022, 8:56 AM IST
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