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हजारीबाग में स्ट्रीट डॉग लवर्स की अनोखी पहल, लावारिस कुत्तों को दी पनाह

हजारीबाग सिर्फ कुदरती खूबसूरती के लिए ही नहीं, बल्कि यहां के लोग भी जिंदादिली के लिए भी जाने जाते हैं. आज हम आपको हजारीबाग के कुछ ऐसे स्ट्रीट डॉग लवर्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो उनसे बेतहां मोहब्बत करते हैं और अपने परिवार का अंग मानते हैं.

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हजारीबाग में स्ट्रीट डॉग लवर्स की अनोखा पहल
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Published : Feb 2, 2021, 6:50 PM IST

Updated : Feb 3, 2021, 5:17 PM IST

हजारीबाग: घरेलू पालतू जानवरों से प्यार करने वालों की देश में कमी नहीं है, लेकिन अगर कोई रोड चरते लावारिस कुत्तों से प्यार करे तो शायद आपको ताज्जुब होगा, लेकिन यह सच है. आज हम आपको हजारीबाग के कुछ ऐसे स्ट्रीट डॉग लवर्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो उनसे बेतहां मोहब्बत करते हैं और अपने परिवार का अंग मानते हैं.

देखें पूरी खबर

स्ट्रीट डॉग के प्रति प्यार

हजारीबाग सिर्फ कुदरती खूबसूरती के लिए ही नहीं जाना जाता है, बल्कि यहां के लोग भी जिंदादिल है. हजारीबाग के कुछ ऐसे युवा हैं, जो लावारिस कुत्तों से बेतहां मोहब्बत करते हैं. आलम यह है कि उन्हें अपने घर में जगह देते हैं. जब वह बीमार पड़ते हैं तो उनका इलाज करवाते हैं और उनके लिए खाना की व्यवस्था करते हैं. जब सड़क किनारे कोई लावारिस कुत्ता दिख जाए तो उसे खाना खिलाना भी नहीं भूलते हैं. ऐसे ही युवा स्ट्रीट डॉग लवर्स ने अनोखा पहल की है. रांची में सेवा कर रहे एनजीओ होप की मदद से लावारिस कुत्तों की सिर्फ नसबंदी ही नहीं कर रहा है, बल्कि उन्हें रेबीज का टीका और उनका इलाज करने की भी व्यवस्था की है.

ये भी पढ़ें-लड़की को कार में उठा कर ले गए युवक, बेहोशी की हालत में सहेली के घर फेंका

रांची में 80 हजार लावारिस कुत्तों की नसबंदी

एनजीओ चलाने वाली महिला ललित शर्मा बताती हैं कि उन लोगों ने रांची में लगभग 80 हजार लावारिस कुत्तों की नसबंदी करवायी है और उन्हें रेबीज का टीका भी दिया है. अब आलम यह है कि डब्ल्यूएचओ में भी रांची शहर का नाम दर्ज है. यह एकमात्र ऐसा शहर है, जो रेबीज मुक्त है. ऐसे में वे लोग हजारीबाग में भी लावारिस कुत्तों की मदद के लिए सामने आए हैं.

हजारीबाग के स्ट्रीट डॉग लवर्स ने उन लोगों को इसके लिए प्रेरित किया और वह यहां ऐसे कुत्तों के लिए खड़ी हुई हैं. उनका यह भी कहना है कि वे लोग अब हजारीबाग में एक सेंटर खोलने की योजना बना रहे हैं. इस बाबत नगर निगम से वार्ता भी हुई है और उन्हें प्रपोजल भी दिया गया है. अगर जगह मिलती है यहां भी निशुल्क सेवा दी जाएगी.

ये भी पढ़ें-धनबाद में बागडिगी कोलियरी खान दुर्घटना की 20वीं बरसी, आश्रितों ने कहा-अब तक पूरे नहीं किए गए वादे

लावारिस कुत्तों को घर में जगह

डॉग लवर्स बताते हैं कि उन्होंने लावारिस 6 कुत्तों को अपने घरों में जगह दी है. ठंड के समय कमरे के अंदर रहने की व्यवस्था की है. उन्हें समय-समय पर भोजन दिया जाता है. बीमार पड़ जाने पर उसका इलाज करवाया जाता है. आलम यह है कि अपने गाड़ी में बैठाकर इन कुत्तों को रांची भी ले गए और उसे रेबीज का टीका भी लगवाया. उनका कहना है कि हर व्यक्ति को जिंदादिल होना चाहिए. इंसान से तो हर कोई प्यार करता है. कभी इन अनमोल लावारिस कुत्तों से प्यार करके देखो तब समझ में आएगा कि प्यार का मतलब क्या होता है.

लावारिस जानवरों को मारते पीटते तो करीब सभी लोगों ने देखा होगा, लेकिन इस तरह का प्यार करने वाले लोग बेहद ही कम मिलेंगे. निस्संदेह स्ट्रीट डॉग लवर आज के समय में प्रेरणा के स्रोत हैं. जरूरत है इन्हें प्रोत्साहित करने और इनसे सीख लेने की, ताकि, बेजुवानों को भी घर में जगह मिल सके.

हजारीबाग: घरेलू पालतू जानवरों से प्यार करने वालों की देश में कमी नहीं है, लेकिन अगर कोई रोड चरते लावारिस कुत्तों से प्यार करे तो शायद आपको ताज्जुब होगा, लेकिन यह सच है. आज हम आपको हजारीबाग के कुछ ऐसे स्ट्रीट डॉग लवर्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो उनसे बेतहां मोहब्बत करते हैं और अपने परिवार का अंग मानते हैं.

देखें पूरी खबर

स्ट्रीट डॉग के प्रति प्यार

हजारीबाग सिर्फ कुदरती खूबसूरती के लिए ही नहीं जाना जाता है, बल्कि यहां के लोग भी जिंदादिल है. हजारीबाग के कुछ ऐसे युवा हैं, जो लावारिस कुत्तों से बेतहां मोहब्बत करते हैं. आलम यह है कि उन्हें अपने घर में जगह देते हैं. जब वह बीमार पड़ते हैं तो उनका इलाज करवाते हैं और उनके लिए खाना की व्यवस्था करते हैं. जब सड़क किनारे कोई लावारिस कुत्ता दिख जाए तो उसे खाना खिलाना भी नहीं भूलते हैं. ऐसे ही युवा स्ट्रीट डॉग लवर्स ने अनोखा पहल की है. रांची में सेवा कर रहे एनजीओ होप की मदद से लावारिस कुत्तों की सिर्फ नसबंदी ही नहीं कर रहा है, बल्कि उन्हें रेबीज का टीका और उनका इलाज करने की भी व्यवस्था की है.

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रांची में 80 हजार लावारिस कुत्तों की नसबंदी

एनजीओ चलाने वाली महिला ललित शर्मा बताती हैं कि उन लोगों ने रांची में लगभग 80 हजार लावारिस कुत्तों की नसबंदी करवायी है और उन्हें रेबीज का टीका भी दिया है. अब आलम यह है कि डब्ल्यूएचओ में भी रांची शहर का नाम दर्ज है. यह एकमात्र ऐसा शहर है, जो रेबीज मुक्त है. ऐसे में वे लोग हजारीबाग में भी लावारिस कुत्तों की मदद के लिए सामने आए हैं.

हजारीबाग के स्ट्रीट डॉग लवर्स ने उन लोगों को इसके लिए प्रेरित किया और वह यहां ऐसे कुत्तों के लिए खड़ी हुई हैं. उनका यह भी कहना है कि वे लोग अब हजारीबाग में एक सेंटर खोलने की योजना बना रहे हैं. इस बाबत नगर निगम से वार्ता भी हुई है और उन्हें प्रपोजल भी दिया गया है. अगर जगह मिलती है यहां भी निशुल्क सेवा दी जाएगी.

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लावारिस कुत्तों को घर में जगह

डॉग लवर्स बताते हैं कि उन्होंने लावारिस 6 कुत्तों को अपने घरों में जगह दी है. ठंड के समय कमरे के अंदर रहने की व्यवस्था की है. उन्हें समय-समय पर भोजन दिया जाता है. बीमार पड़ जाने पर उसका इलाज करवाया जाता है. आलम यह है कि अपने गाड़ी में बैठाकर इन कुत्तों को रांची भी ले गए और उसे रेबीज का टीका भी लगवाया. उनका कहना है कि हर व्यक्ति को जिंदादिल होना चाहिए. इंसान से तो हर कोई प्यार करता है. कभी इन अनमोल लावारिस कुत्तों से प्यार करके देखो तब समझ में आएगा कि प्यार का मतलब क्या होता है.

लावारिस जानवरों को मारते पीटते तो करीब सभी लोगों ने देखा होगा, लेकिन इस तरह का प्यार करने वाले लोग बेहद ही कम मिलेंगे. निस्संदेह स्ट्रीट डॉग लवर आज के समय में प्रेरणा के स्रोत हैं. जरूरत है इन्हें प्रोत्साहित करने और इनसे सीख लेने की, ताकि, बेजुवानों को भी घर में जगह मिल सके.

Last Updated : Feb 3, 2021, 5:17 PM IST
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