हज़ारीबाग: 1 मार्च से 8वीं से 11वीं तक के स्कूल खुलने जा रहे हैं. राज्य सरकार ने इसके लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. ऐसे में अब स्कूल प्रबंधन ने कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए पूरी तैयारी कर ली है. कोरोना काल के 11 महीने बाद स्कूल खुलने वाले हैं.
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सरकारी स्कूलों में बेहतर व्यवस्था
ईटीवी भारत की टीम ने हज़ारीबाग के स्कूलों का जायजा लिया. 8वीं, 9वीं और 11वीं की कक्षाओं को लेकर स्कूलों में बेहतर व्यवस्था की गई है. तमाम बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए ही क्लास में बैठेंगे.
कोरोना गाइलाइंस का पालन
स्कूल प्रबंधन ने इस बात को लेकर खास तौर पर अभिभावकों को आश्वस्त किया है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया जाएगा. स्कूल शुरू होने से पहले और बाद में पूरा क्लासरूम सेनीटाइज किया जाएगा. सभी छात्र स्कूल में मास्क पहनकर ही प्रवेश करेंगे. इसके अलावा कहीं भी स्कूल परिसर के अंदर छात्रों का जमावड़ा नहीं लगेगा. स्कूल में सभी छात्रों के तापमान की जांच के बाद ही उन्हें एंट्री मिलेगी. इसके लिए बकायदा एक चार्ट तैयार किया जा रहा है, जिसमें देखा जाएगा कि बच्चे का तापमान पिछले दिनों की तुलना में बढ़ा है या नहीं.
मार्च 2020 में बंद हुए थे तमाम स्कूल
साल 2020 के मार्च महीने से ही देश के तमाम शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ झारखंड के स्कूल कॉलेज बंद हो गए थे. अनलॉक के बाद से धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा है. कई राज्य सरकारों ने ऑफलाइन कक्षाएं फिर से शुरू करने का फैसला लिया है. इसी कड़ी में झारखंड सरकार ने भी यह फैसला लिया है.
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मिड-डे मील को लेकर असमंजस
मिड-डे मील की व्यवस्था फिलहाल स्कूलों में देना स्कूल प्रबंधकों के सामने एक समस्या उभरकर सामने आई है. सरकारी आदेश गाइडलाइन के तहत कहा गया है कि मिड-डे मील बनाने वाले रसोइया और उससे संबंधित लोगों को विशेष एहतियात बरतनी होगी और उनका कोरोना टेस्ट होना जरूरी है. वहीं कुछ स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान जो व्यवस्था चल रही है, उसी व्यवस्था के तहत मिड-डे मील और खाद्यान्न बच्चों को मुहैया कराया जाएगा.
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सहमति पत्र जरूरी
स्कूल प्रबंधकों की ओर से अभिभावकों को निर्देश भी भेजे गए हैं. निर्देशों के मुताबिक अभिभावकों से सहमति पत्र मिलने के बाद ही विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश की अनुमति होगी. स्कूल के मैसेंजर ग्रुप में इस संबंध में संदेश भेज दिया गया है. अधिकतर स्कूलों ने इसके लिए एक फॉर्मेट भी बनाया है. रोटेशन के आधार पर बच्चों को स्कूल बुलाने की तैयारी विद्यालय प्रबंधकों की ओर से की गई है.