हजारीबाग: सीएनटी जमीन बिक्री के साथ-साथ आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को फंसाने के लिए बाइक की डिक्की में मादक पदार्थ रखा गया था. इसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. इस मामले को लेकर अब पीआईएल भी दर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है. बताते चलें कि हजारीबाग में करोड़ों-अरबों रुपए की जमीन बेच दी गई है. ये वो जमीन है, जो सरकारी, वन भूमि और सीएनटी की है.
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झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने की कड़ी निंदा
हजारीबाग पहुंचे PIL एक्सपर्ट और झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा है कि जिस तरह से राजेश मिश्रा को फंसाया गया, वो घोर निंदनीय है. उनका कहना है कि आरटीआई एक्टिविस्ट के नाते वो कई जानकारी इकट्ठा कर रहे थे और हमारे पास भी आए थे. लेकिन ये सूचना लीक कर दी गई. उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. इस दौरान उन्होंने एसपी को धन्यवाद भी दिया कि उन्होंने जांच करने के बाद निर्दोष करार दिया है. हालांकि ये स्पष्ट है कि इसके पीछे बड़े राजनेता या कारोबारी शामिल हैं. मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. अगर जांच नहीं होती, तो हम लोग हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे.
पूर्ण रूप से हो जांच
उनका यह भी कहना है कि रजिस्टर की भूमिका संदिग्ध है. अधिकारियों की बिना संलिप्तता का इतना बड़ी घटना हजारीबाग में नहीं घट सकती. मुख्य आरोपियों के पास मादक पदार्थ और हथियार कैसे पहुंचा, इसकी भी जांच होनी चाहिए. फिलहाल राजेश मिश्रा की गिरफ्तारी और जमानत पर बाहर आने के बाद पूरे शहर में चर्चा हो रही है.