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हजारीबाग में आरटीआई एक्टिविस्ट को फंसाने के मामले में पीआईएल दर्ज करने की तैयारी, वरिष्ठ अधिवक्ता ने की मामले की निंदा - झारखंड हाईकोर्ट

हजारीबाग में आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को जेल भेजने की साजिश मामले में अब पीआईएल दर्ज होने की तैयारी शुरू हो गई है. PIL एक्सपर्ट और झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार ने मामले की घोर निंदा की है. साथ ही उच्च स्तरीय जांच किए जाने की बात कही है.

Preparation for filing PIL in case of trapping RTI activist in Hazaribag
हजारीबाग में आरटीआई एक्टिविस्ट को फंसाने के मामले में पीआईएल दर्ज करने की तैयारी
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Published : Mar 21, 2021, 6:05 PM IST

हजारीबाग: सीएनटी जमीन बिक्री के साथ-साथ आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को फंसाने के लिए बाइक की डिक्की में मादक पदार्थ रखा गया था. इसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. इस मामले को लेकर अब पीआईएल भी दर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है. बताते चलें कि हजारीबाग में करोड़ों-अरबों रुपए की जमीन बेच दी गई है. ये वो जमीन है, जो सरकारी, वन भूमि और सीएनटी की है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- जल्द सुधरेगी रिम्स की व्यवस्था, स्वास्थ्य सचिव ने बैठक कर पदाधिकारियों को दिए सख्त निर्देश

झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने की कड़ी निंदा

हजारीबाग पहुंचे PIL एक्सपर्ट और झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा है कि जिस तरह से राजेश मिश्रा को फंसाया गया, वो घोर निंदनीय है. उनका कहना है कि आरटीआई एक्टिविस्ट के नाते वो कई जानकारी इकट्ठा कर रहे थे और हमारे पास भी आए थे. लेकिन ये सूचना लीक कर दी गई. उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. इस दौरान उन्होंने एसपी को धन्यवाद भी दिया कि उन्होंने जांच करने के बाद निर्दोष करार दिया है. हालांकि ये स्पष्ट है कि इसके पीछे बड़े राजनेता या कारोबारी शामिल हैं. मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. अगर जांच नहीं होती, तो हम लोग हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे.

पूर्ण रूप से हो जांच

उनका यह भी कहना है कि रजिस्टर की भूमिका संदिग्ध है. अधिकारियों की बिना संलिप्तता का इतना बड़ी घटना हजारीबाग में नहीं घट सकती. मुख्य आरोपियों के पास मादक पदार्थ और हथियार कैसे पहुंचा, इसकी भी जांच होनी चाहिए. फिलहाल राजेश मिश्रा की गिरफ्तारी और जमानत पर बाहर आने के बाद पूरे शहर में चर्चा हो रही है.

हजारीबाग: सीएनटी जमीन बिक्री के साथ-साथ आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को फंसाने के लिए बाइक की डिक्की में मादक पदार्थ रखा गया था. इसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. इस मामले को लेकर अब पीआईएल भी दर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है. बताते चलें कि हजारीबाग में करोड़ों-अरबों रुपए की जमीन बेच दी गई है. ये वो जमीन है, जो सरकारी, वन भूमि और सीएनटी की है.

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झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने की कड़ी निंदा

हजारीबाग पहुंचे PIL एक्सपर्ट और झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा है कि जिस तरह से राजेश मिश्रा को फंसाया गया, वो घोर निंदनीय है. उनका कहना है कि आरटीआई एक्टिविस्ट के नाते वो कई जानकारी इकट्ठा कर रहे थे और हमारे पास भी आए थे. लेकिन ये सूचना लीक कर दी गई. उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. इस दौरान उन्होंने एसपी को धन्यवाद भी दिया कि उन्होंने जांच करने के बाद निर्दोष करार दिया है. हालांकि ये स्पष्ट है कि इसके पीछे बड़े राजनेता या कारोबारी शामिल हैं. मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. अगर जांच नहीं होती, तो हम लोग हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे.

पूर्ण रूप से हो जांच

उनका यह भी कहना है कि रजिस्टर की भूमिका संदिग्ध है. अधिकारियों की बिना संलिप्तता का इतना बड़ी घटना हजारीबाग में नहीं घट सकती. मुख्य आरोपियों के पास मादक पदार्थ और हथियार कैसे पहुंचा, इसकी भी जांच होनी चाहिए. फिलहाल राजेश मिश्रा की गिरफ्तारी और जमानत पर बाहर आने के बाद पूरे शहर में चर्चा हो रही है.

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