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झारखंड में प्रसिद्ध है नरसिंह मेला, हर साल कार्तिक पूर्णिमा में पहुंचते हैं हजारों लोग

हजारीबाग के प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर में मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भव्य मेले का आयोजन किया गया. करीब 400 साल पुरानी मंदिर में हर साल इस दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और भगवान नरसिंह की पूजा करते हैं.

प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर
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Published : Nov 12, 2019, 9:19 PM IST

हजारीबाग: जिले के प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर में हर साल की भांति इस साल भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य मेले का आयोजन किया गया. मंगलवार को नरसिंह स्थान पर आयोजित इस मेले में पूरे राज्य से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना की.

देखें पूरी खबर

हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारीबाग के नरसिंह स्थान में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. नरसिंह मंदिर में भगवान नरसिंह की 400 साल से भी अधिक पुरानी मूर्ति स्थापित है, जहां पूरे राज्य से लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान नरसिंह मंदिर में पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है. झारखंड में एकमात्र ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां इस दिन हजारों की संख्या में लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. नरसिंह मंदिर स्थान में मेले के आयोजन के लिए नरसिंह मंदिर के संस्थापक पंडित दामोदर मिश्र के वंशज प्राचीन काल से ही अपना सहयोग देते आ रहे हैं.

नरसिंह मंदिर की स्थापना वर्ष 1632 में हुई थी

हजारीबाग स्थित नरसिंह मंदिर की स्थापना वर्ष 1632 में पंडित दामोदर मिश्र ने की थी. मंदिर स्थापना के बाद से ही यहां भगवान नरसिंह के पूजा-पाठ के लिए भक्तों की भीड़ लगते रही है. इस मंदिर में पूजन का अलग-अलग महत्व रहा है. ऐसी मान्यता है कि यहां जलाया गया अखंड द्वीप और मंदिर की परिक्रमा कभी व्यर्थ नहीं जाती है. पूजा-अर्चना के साथ ही मनोवांछित फल की कामना को लेकर सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. हजारीबाग में नरसिंह स्थान पर आयोजित मेले को लोग केतारी मेला के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इस मेले में काफी मात्रा में ईख बेची जाती है. यहां जो भी पूजा करने आता है, वह अपने साथ ईख को प्रसाद के रूप में लेकर लौटता है. जिस कारण इस मेले को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है.

ये भी पढ़ें:- 7 विधानसभा क्षेत्रों के दिव्यांग और 80 साल से ज्यादा उम्र के वोटरों को मिलेगी पोस्टल बैलेट से मतदान की सुविधा

हर मनोकामना होती है पूरी

नरसिंह मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की महिमा अपरंपार है. पुजारी ने बताया कि यहां पूजा करने आए श्रद्धालु कभी खाली हाथ नहीं लौटते, वे जो भी मनोकामना के साथ इस मंदिर में आते हैं, उनकी मनोकामना भगवान नरसिंह जरूर पूरा करते हैं. मेले में हजारीबाग सदर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने भी नरसिंह भगवान की पूजा कर जीत के लिए आर्शीवाद मांगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि 5 सालों तक वे विधायक के रूप में जनता की सेवा की है और उनके आर्शीवाद से दोबारा यह मौका मिलेगा.

हजारीबाग: जिले के प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर में हर साल की भांति इस साल भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य मेले का आयोजन किया गया. मंगलवार को नरसिंह स्थान पर आयोजित इस मेले में पूरे राज्य से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना की.

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हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारीबाग के नरसिंह स्थान में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. नरसिंह मंदिर में भगवान नरसिंह की 400 साल से भी अधिक पुरानी मूर्ति स्थापित है, जहां पूरे राज्य से लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान नरसिंह मंदिर में पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है. झारखंड में एकमात्र ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां इस दिन हजारों की संख्या में लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. नरसिंह मंदिर स्थान में मेले के आयोजन के लिए नरसिंह मंदिर के संस्थापक पंडित दामोदर मिश्र के वंशज प्राचीन काल से ही अपना सहयोग देते आ रहे हैं.

नरसिंह मंदिर की स्थापना वर्ष 1632 में हुई थी

हजारीबाग स्थित नरसिंह मंदिर की स्थापना वर्ष 1632 में पंडित दामोदर मिश्र ने की थी. मंदिर स्थापना के बाद से ही यहां भगवान नरसिंह के पूजा-पाठ के लिए भक्तों की भीड़ लगते रही है. इस मंदिर में पूजन का अलग-अलग महत्व रहा है. ऐसी मान्यता है कि यहां जलाया गया अखंड द्वीप और मंदिर की परिक्रमा कभी व्यर्थ नहीं जाती है. पूजा-अर्चना के साथ ही मनोवांछित फल की कामना को लेकर सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. हजारीबाग में नरसिंह स्थान पर आयोजित मेले को लोग केतारी मेला के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इस मेले में काफी मात्रा में ईख बेची जाती है. यहां जो भी पूजा करने आता है, वह अपने साथ ईख को प्रसाद के रूप में लेकर लौटता है. जिस कारण इस मेले को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है.

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हर मनोकामना होती है पूरी

नरसिंह मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की महिमा अपरंपार है. पुजारी ने बताया कि यहां पूजा करने आए श्रद्धालु कभी खाली हाथ नहीं लौटते, वे जो भी मनोकामना के साथ इस मंदिर में आते हैं, उनकी मनोकामना भगवान नरसिंह जरूर पूरा करते हैं. मेले में हजारीबाग सदर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने भी नरसिंह भगवान की पूजा कर जीत के लिए आर्शीवाद मांगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि 5 सालों तक वे विधायक के रूप में जनता की सेवा की है और उनके आर्शीवाद से दोबारा यह मौका मिलेगा.

Intro:कार्तिक महीने के पुनवासी को हर वर्ष हजारीबाग के नरसिंह स्थान में काफी धूमधाम के साथ मेला का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में भगवान नरसिंह का 400 से भी पुराना मंदिर है जहां पूजा अर्चना की जाती है।


Body:श्रद्धालुओं को विश्वास है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नरसिंग स्थान में पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। राज्य में अपनी तरह का यह अनोखा मंदिर है। जहा हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। मेला के आयोजन में भगवान नरसिंह मंदिर के संस्थापक पंडित दामोदर मिश्र के वंशज प्राचीन काल से अब तक अपना सहयोग देते आ रहे हैं। इस मेले में राज्य के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह झारखंड का इकलौता मंदिर है जहां नर्सिंग भगवान विराजमान है।

मंदिर का प्राचीन इतिहास है। नरसिंह मंदिर की स्थापना 1632 ईस्वी में पंडित दामोदर मिश्रा द्वारा की गई थी। तब से यहां भगवान नरसिंह के दर्शन और पूजन का अलग-अलग महत्व रहा है। ऐसी मान्यता है कि यहां जलाया गया अखंड दीप और मंदिर की परिक्रमा कभी व्यर्थ नहीं जाती है। पूजा अर्चना के साथ ही मनोवांछित फल की कामना को लेकर सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहता है।

हजारीबाग में से केतारी मेला भी कहा जाता है। क्योंकि इस मेले में भारी मात्रा में ईख बेची जाती है। जो भी पूजा करने आता है अपने साथ ईख लेकर घर जरूर लौटता है ।इस कारण इस मेले को अलग पहचान भी मिली है ।इस मेले में भगवान नरसिंह की पूजा करने के लिए खासकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष इंतजाम होता है। हजारों की संख्या में लोग राज्य के कोने-कोने से पहुंचते हैं। यहां के पंडित भी कहते हैं कि इस मंदिर की महिमा अपरंपार है ।कोई भी यहां से खाली हाथ नहीं लौटता। अगर मूर्ति से फूल गिरती है तो माना जाता है कि उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।

ऐसे में हजारीबाग के सदर विधानसभा के भाजपा उम्मीदवार मनीष जयसवाल में नरसिंह स्थान मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की। भगवान से यह प्रार्थना की इस बार उन्हें आशीर्वाद दें कि वे भारी मतों से विजय हो। उन्होंने कहा कि 5 सालों तक उन्हें विधायक के रूप में सेवा दी है ।इसमें आम जनता के साथ-साथ भगवान को भी उन्होंने पूजा है । अब दोनों का आशीर्वाद देने का समय आ गया है ।हम उम्मीद करते हैं कि भगवान और आम जनता दोनों का हमें आशीर्वाद मिलेगा।

byte... उपेंद्र पंडित ,मुख्य पुजारी ,नरसिंह स्थान
byte... अजय कुमार मिश्र, सदस्य ,नरसिंह पूजा समिति
byte.... मनीष जयसवाल ,उम्मीदवार ,भारतीय जनता पार्टी सदर हजारीबाग


Conclusion:हिंदू धर्म ग्रंथ पुराण में भी नरसिंह का जिक्र है। जिसमें नरसिंह का अर्थ मानव सिंह है। भगवान विष्णु का अवतार इन्हें माना जाता है। जो आधे मानव और सिंह के रूप में प्रकट हुए। जिनके धड़क तो मानव रूप का है लेकिन सिंह और पंजा सिंह के रूप में है इस कारण इन्हें नरसिंह कहा जाता है।
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