हजारीबागः जिले के बहुचर्चित महेश्वरी परिवार के छह लोगों की मौत का रहस्य आज भी बरकरार है. सीआईडी की टीम ने सोमवार को उस घटना को दोबारा रीक्रिएट(CID recreated the incident) किया. टीम का नेतृत्व सीआईडी के डीएसपी तौकीर आलम और केस आईएसओ रविकांत ने किया.
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एफएसएल की 6 सदस्य टीम भी हजारीबाग पहुंची. उन्होंने सबसे पहले महेश्वरी परिवार के सदस्यों के साथ सदर थाने में गहन पूछताछ की और घटना का विस्तृत जानकारी ली. सीआईडी की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर घटना के बारे में भी जानकारी ली. एफएसएल की टीम ने घटना के दौरान किस अवस्था में शव पाए गए थे उसकी जानकारी स्थानीय एवं परिवार वालों से ली है. साथ ही साथ जिस फ्लैट में शव बरामद किया गया था उसे भी खोला गया. टीम ने विभिन्न पहलुओं की जांच की. एक सदस्य का शव अपार्टमेंट के बेसमेंट पर पाया गया था आखिर शव 5 तल्ले बेसमेंट में कैसे गिरा इसे लेकर विशेष रूप से जांच की गई. पहले शव जिस स्थान पर पाया गया था उसे चिन्हित किया गया. उसके बाद ऊपर से तकनीकी आधार जांच की गई.
सीआईडी की टीम पहुंचने के साथ ही पूरे इलाके में फिर से चर्चा का बाजार गर्म हो गया कि आखिर महेश्वरी परिवार के 6 लोगों की हत्या हुई है या आत्महत्या. इसके पीछे की घटना क्या है. वर्तमान समय में इस अपार्टमेंट में कई लोग रह भी रहे हैं. ऐसे में उन लोगों में भी घटना के बारे में जानने की उत्सुकता नजर आई. सीआईडी की टीम आने के साथ ही पूरे मोहल्ले के लोग जमा रहे.
ज्ञात हो कि 14 जुलाई 2018 को खजांची तालाब के पास बने सीडीएम शुभम अपार्टमेंट के तीसरे तल्ले पर फ्लैट नंबर 303 में रह रहे माहेश्वरी परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई थी. आज भी यह गुत्थी सुलझ नहीं पाई है कि यह हत्या या आत्महत्या की घटना है. मरने वालों में परिवार के मुखिया महावीर अग्रवाल, पत्नी किरण अग्रवाल, उनका बेटा नरेश माहेश्वरी, बहू प्रीति अग्रवाल, पोता अमन अग्रवाल और पोती अन्वी उर्फ परी अग्रवाल शामिल थे. इनमें महावीर अग्रवाल का शव बेडरूम के पंखे से लटका मिला, वहीं नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट के बाहर नीचे गिरा पड़ा था. जिसका हाथ व पैर टूटा हुआ था. किरण अग्रवाल का गला काट कर बिस्तर पर शव पड़ा था. प्रीति अग्रवाल का शव पंखे से लटका मिला. वहीं पोता अमन को भी फांसी लगाई गई थी. पोती अन्वी का शव सोफा से बरामद किया गया था.
बता दें कि 2 साल तक हजारीबाग पुलिस तहकीकात पूरी नहीं कर पाई तो यह पूरा मामला सीआईडी को दे दिया गया था. लेकिन अब लगभग 2 साल केस सीआईडी को मिलने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है.