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प्रवासी मजदूरों का अपने घर लौटना जारी, सैकड़ों की संख्या में पैदल गुमला पहुंचे मजदूर - migrant laborers of Jharkhand

गुमला में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर दाने-दाने को मोहताज हैं. अब प्रवासी मजदूर लाखों की संख्या में हजारों किलोमीटर का सफर तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं.

Migrant laborers returning
झारखंड में प्रवासी मजदूर
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Published : May 15, 2020, 1:56 PM IST

गुमला: लॉकडाउन 3.0 के दौरान प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों और छात्रों को घर वापस लौटने के लिए दी गई ढील के बाद प्रवासी मजदूर सड़क पर दिखाई देने लगे हैं. छात्रों को तो विशेष वाहन या ट्रेन से उनके घरों तक पहुंचाया गया, लेकिन अपने गांव घर को छोड़कर दो वक्त की रोटी की जुगाड़ के लिए पलायन कर गए मजदूर कोरोना महामारी से दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

50 दिनों से अधिक समय से चल रहे लॉकडाउन के कारण हर तरह के रोजगार मुहैया कराने वाले साधन बंद हो गए हैं. चाहे वह छोटे हों या बड़े कल कारखाने सभी के पहिए रुक गए हैं. यही वजह है कि इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के समक्ष बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है.

वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन की वजह से आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं को बंद कर दिया गया है. ऐसे में मजदूर वर्ग के लोगों को दो वक्त की रोटी भी ठीक से नहीं मिल पा रही है. यही वजह है कि अब ये प्रवासी मजदूर लाखों की संख्या में हजारों किलोमीटर का सफर तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. हालांकि इस बीच जिन मजदूरों को रास्ते में ट्रक या फिर बस मिल जाते हैं तो वे उस पर बैठ जाते हैं.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुरः एमजीएम अस्पताल में 392 कोरोना संदिग्धों की रिपोर्ट आई, एक पॉजिटिव, 391 नेगेटिव

पैदल चलने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या लाखों में है. एसे में पुरूष मजदूर अपनी अगुवाई मे जिनमें दूध मुंह में बच्चे से लेकर महिलायें और बुजुर्ग भी शामिल हैं को लेकर निकल पड़े हैं. इसी क्रम में गुरुवार की शाम सैकड़ों की संख्या में रांची की ओर से प्रवासी मजदूर गुमला पहुंचे, जिन्हें छत्तीसगढ़ राज्य जाना था. जब शहर वासियों की नजर इन मजदूरों पर पड़ी तो उनको रोककर बिस्किट और पानी मुहैया कराया गया. फिर सभी मजदूरों को एक ट्रक के माध्यम से उनके राज्य के लिए देर शाम भेज दिया गया.

गुमला: लॉकडाउन 3.0 के दौरान प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों और छात्रों को घर वापस लौटने के लिए दी गई ढील के बाद प्रवासी मजदूर सड़क पर दिखाई देने लगे हैं. छात्रों को तो विशेष वाहन या ट्रेन से उनके घरों तक पहुंचाया गया, लेकिन अपने गांव घर को छोड़कर दो वक्त की रोटी की जुगाड़ के लिए पलायन कर गए मजदूर कोरोना महामारी से दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

50 दिनों से अधिक समय से चल रहे लॉकडाउन के कारण हर तरह के रोजगार मुहैया कराने वाले साधन बंद हो गए हैं. चाहे वह छोटे हों या बड़े कल कारखाने सभी के पहिए रुक गए हैं. यही वजह है कि इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के समक्ष बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है.

वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन की वजह से आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं को बंद कर दिया गया है. ऐसे में मजदूर वर्ग के लोगों को दो वक्त की रोटी भी ठीक से नहीं मिल पा रही है. यही वजह है कि अब ये प्रवासी मजदूर लाखों की संख्या में हजारों किलोमीटर का सफर तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. हालांकि इस बीच जिन मजदूरों को रास्ते में ट्रक या फिर बस मिल जाते हैं तो वे उस पर बैठ जाते हैं.

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पैदल चलने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या लाखों में है. एसे में पुरूष मजदूर अपनी अगुवाई मे जिनमें दूध मुंह में बच्चे से लेकर महिलायें और बुजुर्ग भी शामिल हैं को लेकर निकल पड़े हैं. इसी क्रम में गुरुवार की शाम सैकड़ों की संख्या में रांची की ओर से प्रवासी मजदूर गुमला पहुंचे, जिन्हें छत्तीसगढ़ राज्य जाना था. जब शहर वासियों की नजर इन मजदूरों पर पड़ी तो उनको रोककर बिस्किट और पानी मुहैया कराया गया. फिर सभी मजदूरों को एक ट्रक के माध्यम से उनके राज्य के लिए देर शाम भेज दिया गया.

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